नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में ट्राई का बड़ा फैसला, Facebook की फ्री बेसिक मुहिम को झटका
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/02/TRAI-make-a-decision-in-favor-of-net-neutrality.html
नई दिल्ली। टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने आज एक अहम फैसला लेते हुए नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है, जिसमे दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने इंटरनेट निरपेक्षता का समर्थन करते हुए डाटा शुल्क की दरों में भेदभाव करने पर रोक लगा दी है।
इस आदेश के बाद इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां किसी वेबसाइट, ऐप, कंटेंट आदि के लिए अलग-अलग किस्म के शुल्क निर्धारित नहीं कर पाएंगी। इसका उल्लंघन पर कंपनी को 50 हजार रुपये प्रतिदिन या अधिकतम 50 लाख तक का जुर्माना किया जा सकता है।
इसके साथ ही इस आदेश से फेसबुक फ्री बेसिक के नाम से चलाई जा रही मुहिम को बड़ा झटका लगा है। फेसबुक फ्री बेसिक मुहिम में नेट न्यूट्रेलिटी के विरोध में लोगों को जोड़ने की कोशिश की जा रही थी। इसके लिए फेसबुक ने लोगों को ट्राई तक अपनी बात पहुंचाने के लिए फेसबुक पर सुविधाएं भी दी थी। लेकिन इस पूरी मुहिम का फायदा फेसबुक को नहीं मिला।
ट्राई के इस फैसले के बाद इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों की योजनाएं अब बेकार हो गई है। मार्क जुकरबर्ग ने भारत आकर फ्री बेसिक से मिलने वाली सुविधाओं को सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि गांव के लोगों को इंटरनेट का इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा और ग्रामीण भारत भी शहरों की तरह इंटरनेट का इस्तेमाल करके विकास कर पायेगा। फेसबुक की योजना थी कि ग्रामीणों को मुफ्त इंटरनेट का इस्तेमाल करने दिया जायेगा।
ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अगर कोई सर्विस प्रोवाइडर इसे नहीं मानता है तो उससे टैरिफ प्लान वापस लेने कहा जाएगा। निर्देश के उल्लंघन की तारीख से ही उस पर 50 हजार रुपये रोजाना की दर से अधिकतम 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) के चेयरमैन आर एस शर्मा ने उक्त नियमों (डेटा सेवाओं के लिए भेदकारी शुल्क निषेध नियमन,2016 ) का ब्यौरा यहां जारी किया। उन्होंने कहा, ‘कोई भी सेवा प्रदाता डाटा सामग्री (कंटेंट) के आधार पर डेटा सेवाओं के लिए भिन्न शुल्क न तो वसूलेगा और न ही कोई ऐसी पेशकश करेगा।
ट्राई ने हालांकि दूरसंचार कंपनियों को आपात सेवाओं के लिए शुल्क दर में कटौती की अनुमति दी है। शर्मा ने कहा, ‘हमने आपात सेवाओं को परिभाषित नहीं किया है, लेकिन इस तरह की सेवाओं के मामले में कंपनियों को सात दिन में ट्राई को सूचित करना होगा।
इस आदेश के बाद इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां किसी वेबसाइट, ऐप, कंटेंट आदि के लिए अलग-अलग किस्म के शुल्क निर्धारित नहीं कर पाएंगी। इसका उल्लंघन पर कंपनी को 50 हजार रुपये प्रतिदिन या अधिकतम 50 लाख तक का जुर्माना किया जा सकता है।
इसके साथ ही इस आदेश से फेसबुक फ्री बेसिक के नाम से चलाई जा रही मुहिम को बड़ा झटका लगा है। फेसबुक फ्री बेसिक मुहिम में नेट न्यूट्रेलिटी के विरोध में लोगों को जोड़ने की कोशिश की जा रही थी। इसके लिए फेसबुक ने लोगों को ट्राई तक अपनी बात पहुंचाने के लिए फेसबुक पर सुविधाएं भी दी थी। लेकिन इस पूरी मुहिम का फायदा फेसबुक को नहीं मिला।
ट्राई के इस फैसले के बाद इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों की योजनाएं अब बेकार हो गई है। मार्क जुकरबर्ग ने भारत आकर फ्री बेसिक से मिलने वाली सुविधाओं को सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि गांव के लोगों को इंटरनेट का इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा और ग्रामीण भारत भी शहरों की तरह इंटरनेट का इस्तेमाल करके विकास कर पायेगा। फेसबुक की योजना थी कि ग्रामीणों को मुफ्त इंटरनेट का इस्तेमाल करने दिया जायेगा।
ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अगर कोई सर्विस प्रोवाइडर इसे नहीं मानता है तो उससे टैरिफ प्लान वापस लेने कहा जाएगा। निर्देश के उल्लंघन की तारीख से ही उस पर 50 हजार रुपये रोजाना की दर से अधिकतम 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) के चेयरमैन आर एस शर्मा ने उक्त नियमों (डेटा सेवाओं के लिए भेदकारी शुल्क निषेध नियमन,2016 ) का ब्यौरा यहां जारी किया। उन्होंने कहा, ‘कोई भी सेवा प्रदाता डाटा सामग्री (कंटेंट) के आधार पर डेटा सेवाओं के लिए भिन्न शुल्क न तो वसूलेगा और न ही कोई ऐसी पेशकश करेगा।
ट्राई ने हालांकि दूरसंचार कंपनियों को आपात सेवाओं के लिए शुल्क दर में कटौती की अनुमति दी है। शर्मा ने कहा, ‘हमने आपात सेवाओं को परिभाषित नहीं किया है, लेकिन इस तरह की सेवाओं के मामले में कंपनियों को सात दिन में ट्राई को सूचित करना होगा।