अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को कांग्रेस ने बताया राजनीतिक असहिष्णुता
कांग्रेस ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा पर पिछले दरवाजे से सत्ता हथियाने की आरोप लगाया है। पार्टी नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कैबिनेट की सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है, तो वह इसे अदालत में चुनौती देगी।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। ऐसे में सरकार अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति लगाने के फैसले पर संसद की मुहर नहीं लगवा पाएगी। इसके अलावा मामला अदालत में विचाराधीन है। पांच सदस्यों की संविधान पीठ इसकी सुनवाई कर रही है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कैसे की जा सकती है। यह राजनीतिक असहिष्णुता है। भाजपा नेताओं को लगता है कि पैसे के दम पर अरुणाचल में सरकार बना सकते हैं।
कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर यह खबर सही है कि कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है, सरकार ने ऐसी सिफारिश कर गलत किया है। राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। यह राजनीतिक असहिष्णुता का मामला है। भाजपा को लगता है कि वह अदालत में नहीं जीत पाएगें। यह उनका कापरेटिव फेडेरेलिज्म है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने पूरे विवेक से फैसला लेंगे।
यह है विवाद
अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता 16 दिसंबर को शुरु हई। मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ जाते हुए कांग्रेस के 21 बागी विधायक और भाजपा के 11 सदस्यों ने दो निर्दलीय विधायकों के साथ अस्थाई स्थान पर सत्र आयोजित कर विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया पर महाभियोग चलाया।विधानसभा अध्यक्ष ने इसे असंवैधानिक करार दिया। एक दिन बाद विपक्षी भाजपा और बागी कांग्रेस विधायकों ने एक होटल में मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ मतदान कर उनकी जगह एक असंतुष्ट कांग्रेस विधायक को चुनने का फैसला किया। गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने बागियों के अस्थाई स्थान पर लिए फैसलों पर रोक लगा दी। इस वक्त मामला सुप्रीम कोर्ट में विचारधानी है। संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।