दुनियाभर में काबीलियत दर्शाने के बाद अब नासा में भी महिला शक्ति का परचम
नासा ने घोषणा की है कि चार महिला अंतरिक्ष यात्री मंगल ग्रह के मिशन पर भेजी जाएंगी। इनका चयन 6000 उम्मीदवारों में से किया गया। इसके बाद इन्होंने दो वर्ष का कठोर प्रशिक्षण लिया जिसमें टी-38 सुपरसोनिक जेट उड़ाने के साथ भूमि से 40 फीट नीचे पानी में काम किया। विशेष विमान "वोमिट कॉमेट" पर काम करने में महारथ दिखाई जिसमें वजन रहित हो कर छलांग लगाने का अभ्यास किया।
वे इराक में अमेरिका के लड़ाकू मिशन में शामिल रहीं, दक्षिण धु्रव की यात्रा की, अंटार्कटिका में बर्फ की मोटी परत में डाइव किया। दल में शामिल डॉ जेसिका मीर का कहना है कि वह मंगल पर जाने के लिए बेहद उत्साहित है, यह ग्रह हमें पृथ्वी के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बहुत कुछ सिखा सकता है।
मंगल ग्रह पृथ्वी से साढ़े तीन करोड़ मील की दूरी पर है। वहां पहुंचने में छह से नौ माह का समय लग जाएगा। नासा के शोध के अनुसार उसकी सतह पर पानी पाया गया है, इसलिए इस अभियान में कई वैज्ञानिक पेचीदगियों का सामना करना पड़ सकता है। चार महिला अंतरिक्ष यात्रियों में से तीन विवाहित हैं, दो मां भी बन चुकीं। उनके अनुसार मिशन का सबसे कठिन भाग तो यह है कि वे अपने देश व परिवार से इतने लंबे समय के लिए अलग हो जाएंगी, उनके सामने होगा निर्जन ग्रह। चारों अभियान के व्यावहारिक, व्यावसायिक लाभों से भी भली भांति वाकिफ हैं।
मंगल पर औसत तापमान शून्य से 81 डिग्री नीचे रहता है लेकिन विज्ञानियों का कहना है कि अगले 15 साल में हम वहां की यात्रा करने और रहने के लायक अपने आप को बना लेंगे। चीन और रूस अभी मंगल पर रोबोट भेजने की योजना तक ही सीमित रहे लेकिन निजी अमेरिकी कंपनी स्पेस एक्स ने नासा से सहभागिता करके मंगल के लिए मानव मिशन का आधार तैयार करना शुरू कर दिया।
यह ऐसा पहला मिशन होगा, जिसमें महिलाएं सबसे अहम भूमिका में होंगी। वे इस समय रॉकेट व स्पेस सूट की डिजायनिंग कर रही हैं, रोबोटिक मशीन रोवर को नियंत्रित कर रही हैं। मंगल पर जाने को जो महिलाऐं तैयार है उनमें 38 वर्षीया डॉ. जेसिका मीर, 36 वर्षीया एमी मैक्लेन, 37 वर्षीया क्रिस्टीना हैमोक, 38 वर्षीया निकोल ऑनापू मेन के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।