व्हाट्सऐप ने किया चमत्कार और जयपुर में खुदाई के दौरान निकल आया करोड़ों का खजाना
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जयपुर Follow @PawanTlr
सोशल मीडिया की उपयोगिता को देखते हुए इसके बढ़ते हुए चलन ने लोगों को जहां एक-दूसरे के साथ हमेशा संपर्क में बने रहने की सहूलियत और सुविधा मुहैया कराई है, वहीं दूसरी ओर लोगों को इसका ना सिर्फ आदि भी बना दिया है, बल्कि उनकी दुनिया ही सोशल मीडिया तक सिमटती जा रही है। फेसबुक, ट्विटर जैसे अनेकों सोशल नेट्वर्किंग साइटों के बाद अब जमाना WhatsApp का है, जहाँ लोग न सिर्फ अपनी बात एक-दूसरे तक आसानी और त्वरितता के साथ पहुंचा सकते हैं, बल्कि अपने फोटो-वीडियो भी भेज सकते हैं।
WhatsApp ने जहाँ लोगों को अपने सूचना-सन्देश भेजने का सुलभ माध्यम उपलब्ध करवाया हैं, वहीँ लोगों को कितनी ही तरह की लतें भी लगा दी है। उस पर भी WhatsApp पर नित-नए ग्रुप बनाए जाने के नए ट्रेंड ने सूचना तंत्र का एक तरह से 'बेडा गर्क' करके रख दिया है। ग्रुप में सूचनाएं पोस्ट करने में खुद को अव्वल साबित करने के लिए ग्रुप के कई सदस्य लगातार कुछ न कुछ सूचनाएं पोस्ट करते ही रहते हैं, जिसमे अधिकतर सूचनाओं के बारे में तो उन्हें खुद को भी पता और जानकारी नहीं होती है, जिन्होंने वो सुचना ग्रुप में डाली होती है।
दरअसल, WhatsApp पर बने ग्रुपों में खुद को सबसे ज्यादा एक्टिव साबित करने के लिए ग्रुप के कई सदस्य सूचनाओं की झड़ी तक लगा डालते हैं, जबकि हकीकत में तो उस सूचना को डालने वाले सदस्य को भी उस सूचना की सच्चाई के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। ये सूचनाएं महज इतनी भर होती है कि उन्हें किसी दूसरे ग्रुप से मिलती है, जिसे वे अन्य दूसरे ग्रुपों में डालते रहते हैं। इसी सिलसिले में कई सूचनाएं बदल तक जाती है और सूचना का असल स्वरुप और स्थान तक भी बदल जाता है, जिससे ग्रुप के अन्य सदस्यों में भ्रांतियां उत्पन्न होती है।
ऐसा ही एक ताजा मामला इन दिनों WhatsApp जगत में सुर्खियां बंटौर रहा है, जिसमे कुछ वायरल हुई तस्वीरों में कहीं से कोई खजाना निकलता हुआ दिखाई दे रहा है। इन तस्वीरों में से एक तस्वीर में एक शख्स खुदाई के गड्ढे में से एक भारी-भरकम मटके की आकृति वाले पुरातन घड़े को निकालता हुआ दिखाई दे रहा है। वहीं, दूसरी तस्वीर में इस पात्र के अंदर का नज़ारा दिखाया गया है, जिसमे सोने के सिक्के एवं आभूषण रखे हुए नजर आ रहे हैं। इसी तरह से तीसरी तस्वीर में कथित ख़ज़ाने को बाहर निकालने के दौरान मौके पर तमाशबीनों का मज़मा लगा हुआ दिखाई दे रहा है।
WhatsApp पर वायरल हुई इन तस्वीरों के साथ एक सन्देश में लिखा गया है कि, "जयपुर में बड़ी चौपड़ पर मेट्रो की खुदाई के दौरान 80 करोड़ रूपए का खजाना मिला है।" इस खबर के बाद जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के दफ्तर में फोन की घंटियों ने घनघना शुरू कर दिया। साथ ही व्हाट्सऐप एक-दूसरे से कन्फर्म का सिलसिला शुरू हो गया, जो अभी तक भी जारी है।
वहीँ इस मामले में जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के जनसंपर्क अधिकारी वाई के शर्मा का कहना है कि व्हाट्सऐप पर वायरल हो रही इन तस्वीरों और उसके साथ डाले गए सन्देश पूरी तरह से फेक है। ये तस्वीरें किसी न जाने कहां की है, जयपुर में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। ये तस्वीरें और इनके साथ डाला गया सन्देश महज़ अफवाह मात्र है, इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं हैं।
बहरहाल, तस्वीरें चाहे कहीं की भी हो, लेकिन इस तरह से सोशल नेट्वर्किंग साइटों पर अफवाहों का बाजार गर्म होने से एक और जहाँ लोगों में भ्रांतियां उत्पन्न होती है, वहीं दूसरी ओर सूचनाओं के आदान-प्रदान में बहुउपयोगी साबित होने वाली सूचना-प्रणाली पर से अब लोगों का विश्वास उठता जा रहा है।
WhatsApp ने जहाँ लोगों को अपने सूचना-सन्देश भेजने का सुलभ माध्यम उपलब्ध करवाया हैं, वहीँ लोगों को कितनी ही तरह की लतें भी लगा दी है। उस पर भी WhatsApp पर नित-नए ग्रुप बनाए जाने के नए ट्रेंड ने सूचना तंत्र का एक तरह से 'बेडा गर्क' करके रख दिया है। ग्रुप में सूचनाएं पोस्ट करने में खुद को अव्वल साबित करने के लिए ग्रुप के कई सदस्य लगातार कुछ न कुछ सूचनाएं पोस्ट करते ही रहते हैं, जिसमे अधिकतर सूचनाओं के बारे में तो उन्हें खुद को भी पता और जानकारी नहीं होती है, जिन्होंने वो सुचना ग्रुप में डाली होती है।
दरअसल, WhatsApp पर बने ग्रुपों में खुद को सबसे ज्यादा एक्टिव साबित करने के लिए ग्रुप के कई सदस्य सूचनाओं की झड़ी तक लगा डालते हैं, जबकि हकीकत में तो उस सूचना को डालने वाले सदस्य को भी उस सूचना की सच्चाई के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। ये सूचनाएं महज इतनी भर होती है कि उन्हें किसी दूसरे ग्रुप से मिलती है, जिसे वे अन्य दूसरे ग्रुपों में डालते रहते हैं। इसी सिलसिले में कई सूचनाएं बदल तक जाती है और सूचना का असल स्वरुप और स्थान तक भी बदल जाता है, जिससे ग्रुप के अन्य सदस्यों में भ्रांतियां उत्पन्न होती है।
ऐसा ही एक ताजा मामला इन दिनों WhatsApp जगत में सुर्खियां बंटौर रहा है, जिसमे कुछ वायरल हुई तस्वीरों में कहीं से कोई खजाना निकलता हुआ दिखाई दे रहा है। इन तस्वीरों में से एक तस्वीर में एक शख्स खुदाई के गड्ढे में से एक भारी-भरकम मटके की आकृति वाले पुरातन घड़े को निकालता हुआ दिखाई दे रहा है। वहीं, दूसरी तस्वीर में इस पात्र के अंदर का नज़ारा दिखाया गया है, जिसमे सोने के सिक्के एवं आभूषण रखे हुए नजर आ रहे हैं। इसी तरह से तीसरी तस्वीर में कथित ख़ज़ाने को बाहर निकालने के दौरान मौके पर तमाशबीनों का मज़मा लगा हुआ दिखाई दे रहा है।
WhatsApp पर वायरल हुई इन तस्वीरों के साथ एक सन्देश में लिखा गया है कि, "जयपुर में बड़ी चौपड़ पर मेट्रो की खुदाई के दौरान 80 करोड़ रूपए का खजाना मिला है।" इस खबर के बाद जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के दफ्तर में फोन की घंटियों ने घनघना शुरू कर दिया। साथ ही व्हाट्सऐप एक-दूसरे से कन्फर्म का सिलसिला शुरू हो गया, जो अभी तक भी जारी है।
वहीँ इस मामले में जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के जनसंपर्क अधिकारी वाई के शर्मा का कहना है कि व्हाट्सऐप पर वायरल हो रही इन तस्वीरों और उसके साथ डाले गए सन्देश पूरी तरह से फेक है। ये तस्वीरें किसी न जाने कहां की है, जयपुर में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। ये तस्वीरें और इनके साथ डाला गया सन्देश महज़ अफवाह मात्र है, इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं हैं।
बहरहाल, तस्वीरें चाहे कहीं की भी हो, लेकिन इस तरह से सोशल नेट्वर्किंग साइटों पर अफवाहों का बाजार गर्म होने से एक और जहाँ लोगों में भ्रांतियां उत्पन्न होती है, वहीं दूसरी ओर सूचनाओं के आदान-प्रदान में बहुउपयोगी साबित होने वाली सूचना-प्रणाली पर से अब लोगों का विश्वास उठता जा रहा है।