पढने की चाह को मिला मुकाम शादी के दस साल बाद बहु बनी सिविल जज
कोटा । वर्तमान समय में समाज में आम धारणा है कि शादी के बंधन में बंधने के बाद लड़का व लड़की गृहस्थी की जिम्मेदार में उलझकर रह जाता है और ...
चेचट की इस बहु ने अपनी मेहनत व लगन के दम पर शादी के दस साल बाद सिविल जज बनकर समाज के सामने एक अनूठी मिसाल पेश की है। ग्राम चेचट के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरिराज शर्मा एवं पदमा शर्मा की बहू व बृजराज शर्मा (गोविन्द) की पत्नि श्रीमती निधि शर्मा ने छत्तीसगढ़ सिविल जज में 11वां स्थान प्राप्त कर परिवार का मान बढाया है।
मध्यप्रदेश इन्दौर की बेटी को बहु बनाकर ससुराल लाये गिरिराज शर्मा ने अपनी बहू को बेटी की तरह उसकी पढाई में रूचि व लगन को देखते हुए इंदौर से ही एलएलबी व एलएलएम की तैयारी करवाई। इस दौरान श्रीमती निधि शर्मा के साथ उनके पति बृजराज शर्मा ने भी पूरा साथ दिया और अपनी पत्नी के साथ तैयारी के दौरान इंदौर में ही रहे। निधि शर्मा के लक्ष्य को प्राप्त करने में दादा-दादी ने अपनी आठ वर्षीय पोती को संभाला।
निधि शर्मा ने जून निधि शर्मा ने जून 2014 में प्रथम परीक्षा व नवम्बर 2014 में मुख्य परीक्षा तथा मार्च 2015 में इन्टरव्यू परीक्षा पास कर 11वां स्थान हासिल किया।
मां ने देखा था सपना
श्रीमती निधि शर्मा की मां भी इंदौर जिला कोर्ट में टाईपिस्ट हैं, कोर्ट में मजिस्ट्रेटों के रौब और रूतबे को उन्होंने काफी नजदीक से देखा व अनुभव किया। इसी अनुभव ने उनके मन में अपनी बेटी को मजिस्ट्रेट बनाने का सपना पाला और निधि शर्मा को बॉकॉम तक की पढाई कराई, इसके बाद वर्ष 2002 में श्रीमती निधि शर्मा की शादी चेचट निवासी बृजराज शर्मा से हुई। निधि के मजिस्ट्रेट बनने के लक्ष्य को ससुराल पक्ष ने भी सहयोग किया और आज निधि ने अपनी मां के सपने को पूरा किया और अपने सास-ससुर व पति का भी मान बढाया।
12-16 घंटे रोजाना की पढाई
निधि बताती हैं कि उन्होंने अपने घर के रोजमर्रा कामकाज को करते हुए भी पढाई के लिए 12-16 घंटे प्रतिदिन समय दिया। इससे पूर्व वर्ष 2013 में राजस्थान सिविल परीक्षा में एक नंबर से व मध्यप्रदेश सिविल एक्जाम में वर्ष 2014 में दो नंबर से असफल रही। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार छत्तीसगढ़ सिविल जज का एग्जाम दिया और सफल हुईं। निधि कहती हैं कि कोई भी व्यक्ति पढाई में निरन्तरता, हिम्मत, विश्वास व हौंसला रखे तो एक दिन सफलता जरूर मिलती है। हार या असफलता से घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि हार से ही व्यक्ति सीखता है और एक दिन जीत जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें जो सम्मान व ओहदा मिला है, उसके प्रति पूरी ईमानदारी, निष्ठा व लगन से काम करेंगी।
ससुराल का सहयोग जरूरी
निधि शर्मा वर्षों के संघर्ष का श्रेय अपने ससुराल पक्ष व पति को देते हुए कहती हैं कि हर लड़की को शादी के बाद ससुराल का इतना सहयोग मिले तो वह अपने साहस व लगन को कायम रखते हुए हर क्षैत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं।