285 साल का जयपुर, हैरिटेज के चोले से लेकर आधुनिकता की दौड़ में शामिल
जयपुर। प्रदेश की राजधानी जयपुर नगरी सोमवार को अपना 286 वां जन्मदिवस मना रही है। इन बीते वर्षों में कई पड़ाव देखने के बाद जयपुर ने नए मु...
जयपुर की नई पहचान दिलाने अब मिलती जा रही है। जयपुर का बदलता स्वरुप और आधुनिकता के दौरे में बढ़ते कदमों ने देश की प्रमुख महानगरों की टक्कर में ला खड़ा किया है। जयपुर में हर तरह की लग्जरी सुविधाएं उपलब्ध होने के साथ आसमान छुती इमारतें नया इहितार रच रही है। मेट्रो रेल ने जयपुर के इतिहास में एक नया पन्ना रच रही है।
अगले साल जब जयपुर अपना अगला स्थापना दिवस मनाएगा तो, जयपुर के मानसरोवर से लेकर चांदपोल तक मेट्रो शुरू हो चुकी होगी। जयपुर मेट्रो रेल के बन रहे एलीवेटेड ट्रक के कारण शहर हवा में और आसमान को छुता दिखाई देगा। जयपुर की नई साज-सज्जा भी अब पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन रही है। वहीं बड़ी कम्पनियों को भी जयपुर में निवेश करने का मजबूर कर दिया है।
प्रदेश के अलवा अन्य बाहरी राज्यों से बच्चें हजारों की संख्या में शिक्षा लेने के लिए जयपुर आते है। घाट की गूणी सुरंग, मेट्रो रेल, एलीवेटेड रोड, रामनिवास बाग पार्किंग प्रोजेक्ट, ट्रासपोर्ट नगर अण्डरपास, बीआरटीएस कॉरिडोर, अजमेर पुलिया तक एलीवेटेड रोड, निर्माणधीन विश्वस्तरीय सिंधी कैम्प बस स्टेण्ड, जगतपुरा शुटिंग रेंजजयपुर को नया लुक दिया है।
रंगत खोने लगी विरासत
जयपुर की ऐतिहासिक विरासत को देखने के लिए प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते है। गणगौर माता की सवारी, हाथी उत्सव, तीज की सवारी जयपुर के पुराने इतिहास को हर साल जीवांत कर देती है लेकिन इस हैरिटेज सभ्यता को सहजने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए है। चारदीवारी का खोता मुल स्वरुप जा रहा है।सरकार की थोथी घोषणाएं बहुत हुई। करोड़ों की वित्तीय स्वीकृतियां जारी हुई लेकिन आज भी हैरिटेज इमारतें दम तोड़ रही है। नाहरगढ़ की प्राचीन दीवारें, आमरे किले की कई जगहों पर झड़ता चुना, झरोखों में हुए सुराग ने बता दिया कि पर्यटन विभाग हैरिटेज को सहजने के लिए कितना मुस्तैद है, अब हैरिटेज की बाते सिर्फ कागजों में ही अच्छे लगने लगी है।
शहर में धीरे-धीरे हैरिटेज इमारतें गायब होती जा रही है और उनकी जगह नई इमारतें दिखाई दे रही है। एम्पावर्ड कमेटी की तमाम नसीहत, कोर्ट की फटकार के बाद कोई सुधार नहीं हो पाया है हालांकि परकोटे के बाहर बसे नए जयपुर ने तेजी के साथ विकास किया है जहां चारदीवारी अभी भी अपना मुल स्वरुप बचाने की जद्दोजहद में है, वहीं जयपुर नए स्वरुप की चकाचौंध, आकाश छूती इमारतें, लग्गरी होटल, आधुनिकता सुविधा की एक से बढ़कर एक चीजों ने राजधानी को अब मुंबई-दिल्ली की दौड़ में ला खड़ा किया है। जयपुर की पहचान अब केवल हैरिटेज इमारतें नहीं है ब्लकि इसकी पहचान अब मेट्रो रेल बनती जा रही है जिसने जयपुर के विकास को नए आयाम देने के साथ शहर को मेट्रो सिटी के दर्जे में ला खड़ा किया है।
एक के बाद एक चरण पुरा करती मेट्रो रेल अब जयपुर के विकास की नई पहचान बनती जा रही है हालांकि अस्त-व्यस्त तरीक से बढ़ती जयपुर नगरी ने ट्रैफिक जाम, अतिक्रमण जैसी समस्याएं खड़ी कर दी है लेकिन जयपुर चार महानगरों के अलावा अन्य शहरों के मुकाबले आगे बढ़ रहा है उससे जयपुर को देश की पटल पर नए मजबूत इरादों और संकल्प के साथ ला खड़ा किया है।