50 साल के समान थे आतंक के साए में बिताए वो दो दिन
वहीं देशभर के अन्य स्थानों से आ रहे यात्रियों के वाहनों को कश्मीर में ही रोका जा रहा है। जहां देशभर से करीब दस हजार यात्री फंसे हुए है, लेकिन जयपुर से गए अधिकांश यात्री वापस आ गए हैं और कुछ अभी भी वहीं पर फंसे हुए है।
जयपुर के भोपा की ढाणी, बेगस से यात्रा में गए बिरदी चन्द और उनकी पत्नी प्रेम देवी कुमावत ने कहा कि अमरनाथ के दर्शन के बाद बालटाल में सेना ने रोक दिया। वहां पर आतंक के साए में दो दिन बिताए। यह दो दिन पूरे 50 साल बिताने के समान लगे। इस दौरान हमेशा यह डर लगा रहता था कि कब आतंकी हमला कर दे। इसके चलते यहां पर नींद तक नहीं आई।
उन्होंने कहा कि बालटाल में टैंट में सेना ने रोक दिया, जहां पर रहने और खाने की कई परेशानियों हुई, लेकिन हमेशा डर सताता रहता था कि कब हमला हो जाए। दो दिन बाद भारतीय सेना के जवानों ने रात को डेढ़ बजे बसों के माध्यम से यात्रियों को अपनी सुरक्षा में वहां से रवाना किया और तनावपूर्ण माहौल से बाहर छोड़ा, तब जाकर डर खत्म हुआ।
कुमावत ने कहा कि जब हम जयपुर में आने वाले मुस्लिम और कश्मीरियों को सम्मान देते हैं, लेकिन वह किसी को भी सम्मान नहीं देते हैं और लड़ाई करने पर उतर आते है। यह देश के लिए किसी दुर्भाग्य से कम नहीं है।