केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार 50 करोड़ के घोटाले के आरोप में गिरफ्तार
इस घोटाले में राजेंद्र कुमार को सीबीआई की ओर से 'किंगपिन' बताया जा रहा है। सीबीआई का आरोप है कि राजेंद्र कुमार ने अलग-अलग महकमों की जिम्मेदारी संभालते हुए अपनों के नाम बनाई कई फर्जी कंपनियों को फायदा पहुंचाया। सूत्रों के मुताबिक एजेंसी की एफआईआर में कहा गया है कि 2006 में एंडेवर्स सिस्टम्स नाम की कंपनी बनाई गई। ये राजेंद्र कुमार और अशोक कुमार की फ्रंट कंपनी है। दिनेश कुमार गुप्ता और संदीप कुमार इसके निदेशक थे। ये कंपनी सॉफ्टवेयर और सॉल्यूशन मुहैया कराती थी।
दरअसल, सीबीआई को शिकायत मिली थी कि राजेंद्र कुमार बीते पांच साल में जिस पद पर भी रहे, उसके जरिए निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाते रहे, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। इस शिकायत के आधार पर सीबीआई ने गत वर्ष दिसंबर में राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर छापा मारा था और वहां से कई दस्तावेज जांच के लिए अपने साथ ले गई थी।
कुमार 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। वह केजरीवाल के पहले कार्यकाल में भी उनके सचिव थे। वह दिल्ली सरकार में शहरी विकास, विद्युत और परिवहन विभाग में भी सचिव रह चुके हैं। दिल्ली डायलॉग कमीशन के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ नौकरशाह आशीष जोशी ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से कुमार के खिलाफ शिकायत की थी।
जोशी ने अपनी शिकायत में कहा था कि मई 2002 से लेकर फरवरी 2005 तक शिक्षा विभाग के निदेशक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव तथा बाद में स्वास्थ्य विभाग में आयुक्त रहते हुए कुमार ने कई कंपनियां बनाईं और उन्हें बिना टेंडर के काम दिया था, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ।
उल्लेखनीय है कि 2007 में राजेंद्र कुमार ने दिल्ली सरकार की ओर से हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए ICSIL का एक पैनल बनाने की प्रक्रिया शुरू की। 2007 में राजेंद्र कुमार दिल्ली ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के सचिव बनाए गए। बिना उचित टेंडर के वे ठेके बांटते रहे। यह कुल मिलाकर 50 करोड़ रुपये का घोटाला है।