मैनेंजमेंट व राज्य सरकार को सदबुद्धि के लिए अब हरिद्वार कूच करेंगे श्रमिक
इस समयावधि में समझौते के लिए श्रम विभाग ने कई बार बैठकें भी बुलाई लेकिन कम्पनी प्रबंधन एक बार मीटिंग करके आगे की मीटिंग में कभी नहीं आए, जिससे इस क्षेत्र में औद्योगिक अशांति उत्पन्न हो सकती है। जबकि श्रमिक पक्ष सौहाद्पूर्ण माहौल बनाये रखना चाहता है, लेकिन कंपनी के अड़ियल रवैये से ज्ञात होता है कि हौंडा कंपनी राज्य में औद्योगिक अशांति को बढ़ावा दे रही है।
कम्पनी से निकाले गए श्रमिकों ने कई बार शांतिपूर्ण धरने एवं प्रदर्शन की कोशिश की, लेकिन कम्पनी प्रशासन एवं श्रम विभाग ने बार बार झूठे आश्वासन देकर हर बार प्रदर्शन एवं धरने को तुड़वा दिया।
अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि श्रमिकों के पास न तो खाने के लिये कुछ है और न ही अब इन श्रमिकों के पास रहने के लिए जगह है। क्योकि जेब में पैसा नहीं बचा है तो ये अपने रहने के लिए कमरे का किराया तक भी चुकाने में असमर्थ हो गए हैं। ऐसे में अब इनका जीवनयापन करना असंभव सा हो गया है।
होंडा यूनियन के अध्यक्ष नरेश मेहता ने बताया कि राज्य सरकार भी कम्पनी को ही सहायता मुहैया करा रही है, जिसके कारण ये समझौता नहीं हो पा रहा है। मेहता कहा कि हमने सोमवार को भी प्रशासन से न्याय पाने की उम्मीद लेकर तिजारा एसडीएम को ज्ञापन देकर गुहार की कि हमें न्याय दिलवाया जाये। लेकिन प्रशासन ने पुलिसकर्मी बुलाकर श्रमिकों को वहा से भी निकलवा दिया।
इसलिये सभी श्रमिकों ने फेसला किया है कि अब वे इस परेशानी से लाचार होकर पैदल मार्च करते हुये हरिद्वार जायेंगे और वहां अपने जीवनयापन के लिए कोई निर्णय लेंगे। साथ ही भगवान से प्रार्थना करेंगे कि वो राज्य सरकार और कम्पनी प्रशासन को सदबुद्धि दें, जिससे वो श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखकर शांतिपूर्ण वार्ता कर निर्णय ले।