विदेश में रहकर भी कम नहीं हुआ अपने प्रदेश की माटी से प्रेम
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/05/love-from-her-state-and-society-no-less-staying-abroad.html
जोधपुर। राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले विदेश में भले ही बस गए हों, लेकिन अपने प्रदेश के लोगों के प्रति उनका प्यार आज भी कम नहीं हुआ है। इसकी मिसाल पेश की है राजस्थान की एक महिला ने, जो विदेश में रहकर भी समाजिक सरोकार को बढ़ावा दे रही है।
हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाली रचना राठौड़ ने कुछ ऐसी ही मिसाइल पेश की है। राजपूत समाज में महिलाओ को उनका दर्जा मिले और वे जिंदगी में आगे बढ़े, इसी सोच के साथ उन्होंने पहले फेसबुक पेज बनाया, जिसमें सिर्फ राजपूत मदर्स को जोड़ा गया।
यहां पर फीमेल्स बच्चों की स्टडी से लेकर बिजनेस स्टार्ट करने पर गाइडेंस, सामाजिक इस्यूज, अपने कल्चर से एक-दूसरे को रूबरू कराने, जीवन की परेशानियों और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देने को लेकर खुलकर चर्चा की जाती है।
हॉन्ग कॉन्ग में रहकर मदर्स डे के अवसर पर इस पहल से अब जोधपुर की राजपूत मदर्स को भी जोड़ा गया है, जिसमें करीब 40 से 50 महिलाएं शामिल हुई हैं। खास बात ये है कि जुड़ने वाली सभी महिलाएं आपस में एक—दूसरे से पहली बार मिली और इससे पहले महिलाओं के रिलेशन सोशल साइट्स तक ही थे।
इस मीटिंग में जोधपुर की डॉक्टर नीलिमा शेखावत और अनीता पी सिंह ने अपना प्रयास कर इतनी महिलाओ को जोड़ा है। इसमें मूल शिक्षा को बढ़ावा देने से लेकर अपने बच्चों को कैसे इस रेज़र्वेशन जेसे दानव से लड़ने के लिए तैयार किया जाए, जैसे विषयों पर बात की गई।
विदेश में भी कई राजपूत महिलाएं हैं, जो भारत में रहने वाली माताओं से जुड़कर समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं। राजपूत महिलाओ को एक साथ देखने वाली रचना राठौड़ हॉन्ग कॉन्ग में एजुकेशन डिपार्टमेंट में कार्यरत है और रचना ने एक जिद ठानी है कि समाज में राजपूत माताओं की प्रतिभाओं को उभार कर लाना है। साथ ही एक—दूसरे से मिलने से कड़ी जुड़ जाएगी और एक बहुत बड़ा परिवार बन जायेगा।
ग्रूप का मानना है कि कई राजपूत मदर्स जो बहुत टैलंटेड है और जिन्हें अपना टैलेंट दिखाने का मौका नहीं मिलता, उन प्रतिभाओं को उभार के सब के सामने लाना चाहती है। अब ये मीटिंगस जोधपुर, कोटा, नीमच, बैंगलोर, दिल्ली एंवम देश के कही शहरों मैं हो रही है।
रचना राठौड़ का मानना है कि वह इस ग्रूप को राजपूत सोसायटी का सोशल आइकॉन बनाना चाहती है, जिसके ज़रिए वो एक सोशल मैसेज देना चाहतीं है और उनकी इस कोशिश में सारी मदर्स एक होकर कई नए प्राजेक्ट्स ला रही है। रचना, राजपूत मदर्स पर एक बुक लिख रही है उसी से प्ररित होकर रचना ने इस ग्रूप की शुरुआत की थी।
हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाली रचना राठौड़ ने कुछ ऐसी ही मिसाइल पेश की है। राजपूत समाज में महिलाओ को उनका दर्जा मिले और वे जिंदगी में आगे बढ़े, इसी सोच के साथ उन्होंने पहले फेसबुक पेज बनाया, जिसमें सिर्फ राजपूत मदर्स को जोड़ा गया।
यहां पर फीमेल्स बच्चों की स्टडी से लेकर बिजनेस स्टार्ट करने पर गाइडेंस, सामाजिक इस्यूज, अपने कल्चर से एक-दूसरे को रूबरू कराने, जीवन की परेशानियों और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देने को लेकर खुलकर चर्चा की जाती है।
हॉन्ग कॉन्ग में रहकर मदर्स डे के अवसर पर इस पहल से अब जोधपुर की राजपूत मदर्स को भी जोड़ा गया है, जिसमें करीब 40 से 50 महिलाएं शामिल हुई हैं। खास बात ये है कि जुड़ने वाली सभी महिलाएं आपस में एक—दूसरे से पहली बार मिली और इससे पहले महिलाओं के रिलेशन सोशल साइट्स तक ही थे।
इस मीटिंग में जोधपुर की डॉक्टर नीलिमा शेखावत और अनीता पी सिंह ने अपना प्रयास कर इतनी महिलाओ को जोड़ा है। इसमें मूल शिक्षा को बढ़ावा देने से लेकर अपने बच्चों को कैसे इस रेज़र्वेशन जेसे दानव से लड़ने के लिए तैयार किया जाए, जैसे विषयों पर बात की गई।
विदेश में भी कई राजपूत महिलाएं हैं, जो भारत में रहने वाली माताओं से जुड़कर समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं। राजपूत महिलाओ को एक साथ देखने वाली रचना राठौड़ हॉन्ग कॉन्ग में एजुकेशन डिपार्टमेंट में कार्यरत है और रचना ने एक जिद ठानी है कि समाज में राजपूत माताओं की प्रतिभाओं को उभार कर लाना है। साथ ही एक—दूसरे से मिलने से कड़ी जुड़ जाएगी और एक बहुत बड़ा परिवार बन जायेगा।
ग्रूप का मानना है कि कई राजपूत मदर्स जो बहुत टैलंटेड है और जिन्हें अपना टैलेंट दिखाने का मौका नहीं मिलता, उन प्रतिभाओं को उभार के सब के सामने लाना चाहती है। अब ये मीटिंगस जोधपुर, कोटा, नीमच, बैंगलोर, दिल्ली एंवम देश के कही शहरों मैं हो रही है।
रचना राठौड़ का मानना है कि वह इस ग्रूप को राजपूत सोसायटी का सोशल आइकॉन बनाना चाहती है, जिसके ज़रिए वो एक सोशल मैसेज देना चाहतीं है और उनकी इस कोशिश में सारी मदर्स एक होकर कई नए प्राजेक्ट्स ला रही है। रचना, राजपूत मदर्स पर एक बुक लिख रही है उसी से प्ररित होकर रचना ने इस ग्रूप की शुरुआत की थी।