रोजगार पर संकट के चलते अपने भविष्य को लेकर श्रमिक तनाव में
श्रमिकों का आरोप है कि कम्पनी में श्रमिकों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है और ठेकेदारी प्रथा चला रखी है। मजदूरों के हितों का शोषण किया जा रहा है, जिसके चलते इसके विरोध में आवाज उठाने के लिए हमने यूनियन का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पिछले करीब छह महीने पहले अप्लाई किया था, लेकिन अभी तक भी हमारी यूनियन का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है।
श्रमिकों का कहना है कि कंपनी हमारी यूनियन का रजिस्ट्रेशन नहीं होने देना चाहती है, जिसके चलते कम्पनी ने यूनियन के रजिस्ट्रेशन पर स्टे लगवा दिया है, जिससे मजदूर परेशान है। इसके बावजूद भी हमारे साथ हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी हमें विरोध-प्रदर्शन करने तक की भी अनुमति नहीं दी जा रही है। हम 18 मार्च को जयपुर में विधानसभा के सामने विरोध-प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन इसके लिए भी प्रशासन ने हमें अनुमति देने से मना कर दिया है। ऐसे में हमें अनुमति नहीं मिलती है, तो हम बिना अनुमति के प्रदर्शन कर अपनी गिरफ्तारियां देने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

साथ ही यूनियन में शामिल दिलीप राठौड़ ने कहा कि, हम किसी भी प्रकार से हड़ताल के पक्ष में नहीं है, लेकिन कंपनी द्वारा हमारे साथ अपनाई जा रही दमनकारी नीति के खिलाफ बोलने के लिए हमें मौका दिया जाए और हमारी बात सुनने के उचित निर्णय लिया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिए कोई समाधान ढूंढना चाहते हैं, लेकिन कंपनी प्रबंधन हमसे बात करने तक के लिए भी राजी नहीं है। इसलिए हम आंदोलन के राह पर चलने के लिए मजबूर हैं।