हौसलों की उड़ान : लकड़ी के पृष्ठों पर चालीसा उकेर बनाया रिकार्ड
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रिकार्ड्स सूची में अपना नाम दर्ज कराने वाले सुरेन्द्र कुमार अपनी मेहनत का मीठा फल मिलने से काफी खुश है, लेकिन कहते हैं जिस प्रकार से सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह से हर खुशी के साथ कुछ तकलीफदेह और मन को पीड़ा देने वाली बातें भी जरूर छिपी होती है। सुरेन्द्र के साथ भी कुछ ऐसा ही है।
अपने हौसलों के दम पर परवाज भरने के बाद मंजिल पाने की इच्छा में जी-तोड़ मेहनत कर मुकाम हासिल करने वाले सुरेन्द्र इस तरह के कई रिकार्ड्स बना पाने की कला में पारंगत है, लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति ऐसा कर पाने में उनकी राह का रोड़ा बन रही है, जिसके चलते उन्हें इस तरह के कार्य करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सुरेन्द्र कुमार का कहना है कि उन्हें शुरू से ही कुछ अलग हटकर कार्य करने की इच्छा थी। अपना पारंपरिक कार्य होने की वजह से लकड़ी के काम में कलाकारी दिखाना उनके खून में शामिल है और इसी के चलते उन्होंने लकड़ी पर भक्त पूरणमल (बाबा चौरंगीनाथ) चालीसा लिखने के बारे में सोचा। इसके बाद सुरेन्द्र ने सबसे पहले लकड़ी की पतली-पतली परतों के रूप में पृष्ठ तैयार किए और उन पर चालीसा के शब्दों को उकेरा।
सभी पृष्ठों पर चालीसा लिखे जाने के बाद उन्होंने चालीसा के कवर पर पुस्तक का नाम, भक्त पूरणमल का चित्र एवं अन्य सामग्री उकेरी और सभी पृष्ठों को एक समान जमाकर उनमें छेद किए और उनमें भी लकड़ी के ही घेरों से बाइंडिंग कर किताब का रूप प्रदान किया।
सुरेन्द्र ने बताया कि वे इस प्रकार के और भी कई अनोखे कार्य कर सकते हैं, लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति उनकी राह में रोड़ा बनी हुई है और उनके हुनर को आगे बढ़ पाने में बाधा बनी हुई है।
बीपीएल परिवार से सम्बन्ध रखने वाले सुरेन्द्र ने भावुक होते हुए कहा कि, 'चूंकि मैं चार बेटियों का पिता हूं और मेरे कोई बेटा नहीं होने के कारण सभी परिवार वालों ने भी मुझसे किनारा कर लिया है। लेकिन मैं अपनी बेटियों को भी इस काबिल बनाना चाहता हूँ कि वे मुझे एक बेटे से भी ज्यादा गौरवान्वित कर सकें और समाज में बेटी को अभिशाप माने जाने की धारणा को गलत साबित करेगी।'
उन्होंने कहा कि, 'मैं इस तरह के कई राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय रिकार्ड भी बनाकर देश को गौरवान्वित करना चाहता हूं, लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते धन के अभाव तथा प्रशासनिक सहायता के बिना ऐसा कर पाने में कायमाब नहीं हो पा रहा हूं। अगर मुझे सरकार से किसी प्रकार का कोई सहयोग मिले तो मैं इस प्रकार के कई रिकार्ड देश के नाम कर सकता हूं।'