संस्कृत को आजीविका से जोड़ना जरूरी : देवनानी
अजमेर। जिले के प्रभारी एवं शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की पूरक और परिचायक है। संस्कृत के ब...
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अजमेर। जिले के प्रभारी एवं शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की पूरक और परिचायक है। संस्कृत के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए आवश्यक है कि इसे आजीविका के साथ जोड़ा जाए। युवा संस्कृत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने आज राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय में छात्र संघ के कार्यालय का उद्घाटन कर कार्यकारीणी को को शपथ दिलायी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कृत एक दूसरे के पूरक है। संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति को जानना और पहचानना असंभव है।
उन्होंने कहा कि युवा संस्कृत जैसी समृद्ध भाषा के उत्थान का बीड़ा उठाएं। गर्मी की छुट्यिों में संस्कृत के छात्र और विद्वान अपने आसपास संस्कृत संभाषण शिविर आयोजित कर लोगों को प्रेरित करे तो तस्वीर बदल सकती है। साथ ही संस्कृत को आजीविका से भी जोड़ना होगा ताकि युवा पीढ़ी इसकी ओर आकर्षित हो सके।
देवनानी ने कहा कि संस्कृत और वेदों का अध्ययन कर आज पश्चिमी राष्ट्र नित नए आविष्कार कर रहे हैं। हमें अपनी इस विरासत को समझना और संभालना होगा। संस्कृत के विद्वान इस दिशा में गहन शोध करें। उन्होंने छात्रा संघ कार्यकारिणी को शपथ दिलाने के बाद कहा कि संस्कृत काॅलेज के नए भवन के लिए बजट शीघ्र आवंटित करवाया जाएगा।
कार्यक्रम को महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, छात्र नेता चन्द्रभान गुर्जर, प्राचार्य लक्ष्मीनारायण भार्गव, छात्रा संघ अध्यक्ष जितेन्द्र सांखला आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर पार्षद भागीरथ जोशी, सुदामा शर्मा, छात्र संघ उपाध्यक्ष राहुल जाट, महासचिव राम किशोर वैष्णव, संयुक्त सचिव दीपाली, शिल्पी गुप्ता आदि उपस्थित थे।
शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने आज राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय में छात्र संघ के कार्यालय का उद्घाटन कर कार्यकारीणी को को शपथ दिलायी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कृत एक दूसरे के पूरक है। संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति को जानना और पहचानना असंभव है।
उन्होंने कहा कि युवा संस्कृत जैसी समृद्ध भाषा के उत्थान का बीड़ा उठाएं। गर्मी की छुट्यिों में संस्कृत के छात्र और विद्वान अपने आसपास संस्कृत संभाषण शिविर आयोजित कर लोगों को प्रेरित करे तो तस्वीर बदल सकती है। साथ ही संस्कृत को आजीविका से भी जोड़ना होगा ताकि युवा पीढ़ी इसकी ओर आकर्षित हो सके।
देवनानी ने कहा कि संस्कृत और वेदों का अध्ययन कर आज पश्चिमी राष्ट्र नित नए आविष्कार कर रहे हैं। हमें अपनी इस विरासत को समझना और संभालना होगा। संस्कृत के विद्वान इस दिशा में गहन शोध करें। उन्होंने छात्रा संघ कार्यकारिणी को शपथ दिलाने के बाद कहा कि संस्कृत काॅलेज के नए भवन के लिए बजट शीघ्र आवंटित करवाया जाएगा।
कार्यक्रम को महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, छात्र नेता चन्द्रभान गुर्जर, प्राचार्य लक्ष्मीनारायण भार्गव, छात्रा संघ अध्यक्ष जितेन्द्र सांखला आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर पार्षद भागीरथ जोशी, सुदामा शर्मा, छात्र संघ उपाध्यक्ष राहुल जाट, महासचिव राम किशोर वैष्णव, संयुक्त सचिव दीपाली, शिल्पी गुप्ता आदि उपस्थित थे।