असहिष्णुता के मामले में अब संघ भी उतरा मैदान में
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/11/rss-comes-in-front-with-the-intolerance-matter.html
जयपुर। देश में इन दिनों चर्चा का विषय बने तथाकथित असहिष्णुता के माहौल को लेकर एक ओर जहां कई नामी चेहरे अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं, वहीं अब संघ भी इस मामले को लेकर मैदान में उतर आया है। गौरतलब है कि बॉलीवुड में मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से पहचाने जाने वाले अभिनेता आमिर खान उनकी पत्नी, अक्षय कुमार समेत कई चर्चित शख्सियतों के बयानों को लेकर देशभर में काफी हो-हल्ला मचा हुआ है और अब आरएसएस ने भी इस मामले में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है। इस मामले में संघ के राष्ट्रीय सह प्रचार प्रमुख नंदकुमार और क्षेत्रीय प्रमुख दुर्गादास प्रेस क्लब में पत्रकारों से रुबरु हुए।
संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नंद कुमार ने कहा कि देश में अचानक इस प्रकार से असहिष्णुता का मामला सामने आने को लगकर इसा प्रतीत होता है कि कहीलं ये किसी प्रकार की कोई सोची-समझी साजिश तो नहीं है। साथ ही उन्होंने विभिन्न साहित्यकारों की ओर से सम्मान के रूप में दिए गए अवार्ड्स को वापिस लौटाने के मामले में कहा कि अवार्ड वापिस करने का मतलब है कि आप जनता का तिरस्कार कर रहें हैं।
उन्होंने कहा कि ये देश अचानक असहिष्णु क्यों हो गया। ये एक तरह की साजिश है और सम्भवतया देश और विदेश में बैठी ताकतें ऐसा कर रही हैं। ये एक तरह का बौद्धिक आतंकवाद है। अगर देश में कुछ गलत हो रहा हो तो सभी को मिलकर उसका समाधान किया जाना चाहिए। संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नंद कुमार ने कहा कश्मीर पंडित, सिक्ख दंगो के वक्त किसी को असहिष्णुता याद नहीं आई, अवार्ड वापिस देने का मतलब जनता का तिरस्कार है।
नंदकुमार ने आमिर खान पर भी निशाना साधते हुए कहा कि क्या पीके जैसी फिल्म पाकिस्तान में बन सकती है। जब मुबई में हमला हुआ तब किरण राव ने आमिर खान से देश छोडऩे की बात क्यों नहीं की। नंदकुमार ने कहा ये देश असहिष्णु नहीं हो सकता है, क्योंकि मुसलमानों की इज़्जत सबसे ज्यादा भारत में है।
उन्होंने कहा कि आज भारत विकास की ओर तेज गति से बढ़़ रहा है। कुछ लोग साजिश का शिकार होकर देश को बदनाम कर रहे हैं। आज से सैंकड़ों साल पहले यहूदियों को, पारसियों को गले लगाने वाला भारत असहिष्णु नहीं हो सकता।
संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नंद कुमार ने कहा कि देश में अचानक इस प्रकार से असहिष्णुता का मामला सामने आने को लगकर इसा प्रतीत होता है कि कहीलं ये किसी प्रकार की कोई सोची-समझी साजिश तो नहीं है। साथ ही उन्होंने विभिन्न साहित्यकारों की ओर से सम्मान के रूप में दिए गए अवार्ड्स को वापिस लौटाने के मामले में कहा कि अवार्ड वापिस करने का मतलब है कि आप जनता का तिरस्कार कर रहें हैं।
उन्होंने कहा कि ये देश अचानक असहिष्णु क्यों हो गया। ये एक तरह की साजिश है और सम्भवतया देश और विदेश में बैठी ताकतें ऐसा कर रही हैं। ये एक तरह का बौद्धिक आतंकवाद है। अगर देश में कुछ गलत हो रहा हो तो सभी को मिलकर उसका समाधान किया जाना चाहिए। संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नंद कुमार ने कहा कश्मीर पंडित, सिक्ख दंगो के वक्त किसी को असहिष्णुता याद नहीं आई, अवार्ड वापिस देने का मतलब जनता का तिरस्कार है।
नंदकुमार ने आमिर खान पर भी निशाना साधते हुए कहा कि क्या पीके जैसी फिल्म पाकिस्तान में बन सकती है। जब मुबई में हमला हुआ तब किरण राव ने आमिर खान से देश छोडऩे की बात क्यों नहीं की। नंदकुमार ने कहा ये देश असहिष्णु नहीं हो सकता है, क्योंकि मुसलमानों की इज़्जत सबसे ज्यादा भारत में है।
उन्होंने कहा कि आज भारत विकास की ओर तेज गति से बढ़़ रहा है। कुछ लोग साजिश का शिकार होकर देश को बदनाम कर रहे हैं। आज से सैंकड़ों साल पहले यहूदियों को, पारसियों को गले लगाने वाला भारत असहिष्णु नहीं हो सकता।