महापौर निर्मल नाहटा आज पेश करेंगे सालभर का लेखाजोखा

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जयपुर। राजधानी जयपुर को 'क्लीन जयपुर ग्रीन जयपुर' की तर्ज पर स्वच्छ शहर बनाने के वादे के साथ जयपुर नगर निगम महापौर के पद पर आसीन होने वाले निर्मल नाहटा ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन उनके वादे के अनुसार शहर में साफ-सफाई, सार्वजनिक लाइट व्यवस्था एवं अन्य कार्यों में सुधार के लिए शहर की जनता अभी भी बाठ जोह रही है। वहीं दूसरी ओर, महापौर निर्मल नाहटा अपना एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने को लेकर अपनी उपलब्धियों का साझा करने के लिए आज मीडिया से मीडिया से मुखतिब होंगे।

मीडिया से बातचीत के दौरान महापौर बीते एक साल के दौरान शहरभर में करवाए गए विभिन्न कार्यों के बारे में बातचीत करेंगे और वर्षभर की उपलब्धियों को साझा करेंगे। जानकारी के अनुसार इन उपलब्धियों में मुख्य रूप से भ्रष्टाचार पर रोक लगाए जाने की बात सबसे पमुख रहने वाली है और इसके अतिरिक्त हाल ही में सम्पन्न हुई रिसर्जेंट राजस्थान समिट के लिए निगम की ओर से करवाए गए विभिन्न विकास एवं सौन्दर्यीकरण के कार्य शामिल होने वाले हैं। साथ ही निगम के राजस्व में बढ़ोतरी किए जाने की उपलब्धि शामिल हो सकती है, जिसमें लगभग 85 करोड़ रुपए के विकास कार्य बीते वर्ष में करवाए जाना और करीब 41 करोड़ का यूडी टैक्स अर्जित किया जाना शामिल है।

एक साल पहले 26 नवम्बर के दिन स्वच्छ शासन और स्वच्छ शहर का संकल्प लेकर महापौर बने निर्मल नाहटा का कार्यकाल में शहरी विकास को लेकर चुनौतियां बरकरार है। एक साल में बोर्ड में विकास की प्रक्रिया कछुआ चाल से चली तो आवंटित विकास राशि भी पार्षद नहीं कर पाए। वहीं महापौर-उपमहापौर बीते एक वर्ष आधे शहर का दौरा भी नहीं कर पाए हैं।

ऐसे में आम जनता में पूर्ण बहुमत के बाद जिस तरह की अपेक्षाएं और सुधार की बाठ जोह रही थी, वे अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाई। शहर में आज भी पहले के समान न सिर्फ गंदगी एवं कचरे के ढेर लगे नजर आ रहे हैं, बल्कि शहर की सफाई व्यवस्था रसातल में पहुंच चुकी है। हालांकि इसका सबसे प्रमुख कारण सफाई के लिए बनी तीनों सफाई समितियों में तालमेल का अभाव बताया जाता है, लेकिन इसका खामियाजा शहर की जनता को सड़ती गलियों के रूप में भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में शहरवासी अभी तक भी महापौर के स्वच्छ जयपुर के वादा को पूरा होने की आस लगाए बैठे हैं।

मजबूत बोर्ड, कमजोर प्रतिपक्ष

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में आंतरिक कलह एवं कमजोर प्रतिपक्ष के चलते प्रतिपक्ष की ओर से अभी तक कोई रणनीति नहीं बन पाई है। सूत्रों के मुताबिक गुलाम नबी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने से कांग्रेसियों का एक गुट अंदरूनी तौर पर इसके खिलाफ है। इसके चलते ही पिछले एक साल में भाजपा बोर्ड के विरोध में प्रतिपक्ष की ओर से कोई आक्रामक रणनीति या धरने-प्रदर्शन सामने नहीं आए है। कांग्रेस में अंतक्रलह के कारण बीते साल में शहर की सफाई व्यवस्था हाशिये पर होने सहित अन्य मामलों पर आम जनता में आक्रोश दिखा लेकिन कांग्रेस इसको भुना नहीं पाई। इस संबंध में प्रतिपक्ष की ओर से महापौर द्वारा उपलब्धियां बताए जाने का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद ही प्रतिपक्ष की ओर से कोई रणनीति बनाई जाएगी। मजे की बात तो यह है कि महापौर का एक साल का कार्यकाल जब जनता के सामने है, तो नेता प्रतिपक्ष को इन्हें जानने के लिए मेयर द्वारा बताए जाने का इंतजार आखिर क्यो किया जा रहा हैं। असल में कांग्रेस में भीतरी कलह के कारण किसी भी तरह की रणनीति नहीं बन पाई है, जिसका बड़ा फायदा नगर निगम में भाजपा को मिला है।

इनका कहना है...

"पिछले एक साल में शहर में जो भी कार्य हुए हैं, वे सब शहर की जनता के सामने है। लेकिन सालभर पूरा होने के मौके पर माहपौर द्वारा कुछ उपलब्धियों का बखान जरूर किया जाएगा। ऐसेे में उनके द्वारा बताई जाने वाली उपलब्धियों की जमीनी हकीकत के बारे में फैसला तभी हो पाएगा, जब वे उन उपलब्धियों को बताएंगे। इसके बाद ही हमारी ओर से रणनीति तैयार की जाएगी और उन उपलब्धियों के बारे में जमीनी हकीकत सामने लाई जाएगी।"   - गुलाम नबी, नेता प्रतिपक्ष

विफलताएं :

  • सफाई कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति योजना नहीं हो पाई क्रियान्वित।
  • अधिकारियों ने शहर के विकास में बहुत कम रुचि दिखाई।
  • कई जोन उपायुक्तों ने फील्ड में जाने की जहमत तक नहीं उठाई।
  • समिति अध्यक्ष चैंबर और वाहन आवंटित कराने में एक साल में ज्यादा रूचि दिखाई।
  • डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण नहीं हो पाया शुरू।
  • बीट्सकर्मियों के पीएफ, ईएसआई संबंधित मसले अटके रहे।
  • ठोस अवशिष्ट कचरा प्रबंधन को लेकर पुख्ता नीति सामने नहीं आ पाई।
  • अक्टूबर माह में केवल 16 वार्डों में विकास कार्यों के लिए राशि स्वीकृत हो पाई।
  • स्वच्छ भारत रैंकिंग रॉक में जयपुर नीचे आ गया।
  • तीन सफाई समितियां सफाई में पूरी तरह विफल रही।
  • राशि जारी हुई पर विकास कार्य की प्रक्रिया अटकी रही।

उपलब्धियां :

  • रिसर्जेंट राजस्थान के दौरान शहर में विकास कार्य तेज गति से हुए।
  • ई-टेण्डरिंग और और स्वच्छ भारत मिशन के तहत काम किए।
  • एक साल में भ्रष्टाचार का कोई बड़ा मामला कोई सामने नहीं आया।
  • एलईडी लाइट प्रोटेक्ट इस बोर्ड में आगे से बढ़ी।
  • लगभग 85 करोड़ रुपए के विकास कार्य इस वर्ष में हुए।
  • 41 करोड़ का यूडी टैक्स किया अर्जित।


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