बुधवार को दूसरे दिन भी बंद रही अनाज मंडिया
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/11/Grain-markets-were-closed-second-day-on-wednesday.html
जयपुर। तेल और दाल मिलों में स्टॉक सीमा तय करने के विरोध में आज दूसरे दिन भी प्रदेश में अनाज मंडियां बंद रही, जिससे मंडियों का कामकाज पूरी तरह से ठप्प रहा। लाईसेंस अनिवार्यता और स्टॉक सीमा समाप्त करने की मांग पर अड़े खुदरा व्यापारी आज दिन में बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
आज हड़ताल को दूसरा दिन है, जिसके बाद हड़ताल आगे बढ़ाने या दूसरा विकल्प तलाशने को लेकर चर्चा की जाएगी। आज आयोजित होने वाली बैठक रेलवे स्टेशन के पास पंचायती भवन में होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय करने को लेकर सभी गुट एक साथ जमा होंगे।
गौरतलब है कि व्यापारी और सरकार के बीच मांगों को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। सरकार भी स्टॉक लिमिट वापस लेने और लाईसेंस अनिवार्यता में पीछे हटने से तैयार नहीं है। ऐसे में व्यापारियों और सरकार के बीच गतिरोध नहीं टूटने से हड़ताल और लंबी खिंचने की आशंका बनी हुई है। इसको देखते हुए खाद्य तेल और दालों के दाम मेंओर तेजी आ सकती है।
जानकारों के अनुसार थोक व्यापारी सरकार के रूख को देखते हुए अपना निर्णय लेंगे। अभी तक सरकार से बातचीत के बाद किसी भी तरह की सहमति नहीं बन पाई है। व्यापारियों का एक गुट हड़ताल को आगे बढ़ाने के पक्ष में है।
व्यापारियों का कहना है कि दाल और खाद्य तेल के दाम उनकी स्टॉक से नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की गलती से बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि स्टॉक सीमा तय करने से कालाबाजारी पर लगाम लगाई जा सकेगी। ऐसे में दोनों के कड़े रूख को देखते हुए इसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ सकता है।
आज हड़ताल को दूसरा दिन है, जिसके बाद हड़ताल आगे बढ़ाने या दूसरा विकल्प तलाशने को लेकर चर्चा की जाएगी। आज आयोजित होने वाली बैठक रेलवे स्टेशन के पास पंचायती भवन में होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय करने को लेकर सभी गुट एक साथ जमा होंगे।
गौरतलब है कि व्यापारी और सरकार के बीच मांगों को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। सरकार भी स्टॉक लिमिट वापस लेने और लाईसेंस अनिवार्यता में पीछे हटने से तैयार नहीं है। ऐसे में व्यापारियों और सरकार के बीच गतिरोध नहीं टूटने से हड़ताल और लंबी खिंचने की आशंका बनी हुई है। इसको देखते हुए खाद्य तेल और दालों के दाम मेंओर तेजी आ सकती है।
जानकारों के अनुसार थोक व्यापारी सरकार के रूख को देखते हुए अपना निर्णय लेंगे। अभी तक सरकार से बातचीत के बाद किसी भी तरह की सहमति नहीं बन पाई है। व्यापारियों का एक गुट हड़ताल को आगे बढ़ाने के पक्ष में है।
व्यापारियों का कहना है कि दाल और खाद्य तेल के दाम उनकी स्टॉक से नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की गलती से बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि स्टॉक सीमा तय करने से कालाबाजारी पर लगाम लगाई जा सकेगी। ऐसे में दोनों के कड़े रूख को देखते हुए इसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ सकता है।