'राजस्थान के उद्योग मंत्री की बेटी से दिल्ली के अफसरों ने मांगी एक लाख की घूस'

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जयपुर। किसी का कोई अटका हुआ काम कराने की एवज में अधिकारियों द्वारा किसी आमजन से घूस मांगे जाने की ख़बरें आपने अक्सर देखी-पढ़ी होंगी, लेकिन जब किसी सरकार में मंत्री के घर वालों से ही घूस मांगी जाए तो इसे आप क्या कहेंगे।

जाहिर तौर पर यही कि, जब मंत्रियों का ही ये हाल है तो फिर ऐसे में आमजन की तो बिसात ही क्या। दरअसल, राजस्थान सरकार में उद्योग मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर की बेटी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जिसका खुलासा खुद गजेंद्र सिंह खींवसर ने आज मीडिया से बातचीत के दौरान किया।

दरअसल, शुक्रवार को रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप समिट के समापन के बाद आयोजित प्रेस-कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बात कर रहे गजेंद्र सिंह खींवसर से भ्रष्टाचार की समस्या के कारण निवेशकों के हतोत्साहित होने और दिल्ली की तर्ज पर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने यह किस्सा बयां किया, जिसमे उनकी बेटी से रिश्वत मांगे जाने की बात सामने आई।

खींवसर ने केजरीवाल के भ्रष्टाचार मुक्त शासन के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली में उनकी बेटी के फ्लैट ट्रांसफर और रजिस्ट्री के ऐवज में डीडीए के अफसरों ने एक बार 50 हजार और फिर एक लाख रुपए की रिश्वत मांगी।

खींवसर ने कहा, यह मेरे सामने की बात है, आॅफिस में हंसकर बात करते हैं और साइड में ले जाकर रिश्वत मांगते हैं। मैंने कारण पूछा कि वहां हंसकर बात कर रहे हो और यहां यह कह रहे हो, तो अफसर बोला कि वहां कैमरे लगे हैं।

भ्रष्टाचार को लेकर खींवसर ने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए जनता भी कम जिम्मेदार नहीं है। भ्रष्टाचार कहां नहीं है, इसके लिए हम सब जिम्मेदार है। भ्रष्टाचार तब बढता है जब हमसे कोई रिश्वत मांगता है और हम अपना काम निकलवाने के लालच में उन्हें रिश्वत दे देते हैं।

रिसर्जेंट राजस्थान समिट में साइन किए गए 3.3 लाख करोड़ रुपए के एमओयू के कारगर सिद्ध होने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में खींवसर ने स्वीकार किया कि रिसर्जेंट राजस्थान में हुए साइन किए गए 3.3 लाख करोड़ के एमओयू में से करीब आधा ही निवेश प्रदेश में आ पाएगा।

लेकिन उन्होंने कहा कि यह आधा निवेश भी प्रदेश की तकदीर बदलने में कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में गुजरात सबसे आगे है, जिसके एमओयू का 40 फीसदी ही निवेश आता है और हमारी कोशिश है कि समिट में साइन किए गई एमओयू का कम से कम 50 फीसदी निवेश तो राजस्थान में जरूर आए।

उन्होंने कहा कि निवेश को लेकर प्रदेशों में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है, हमसे एमओयू कर चुके कई निवेशकों को दूसरे प्रदेशों ने लुभावने आॅफर दिए और कई निवेशकों को छीन लिया गया। इनमे से एक माइक्रोमैक्स मोबाइल भी है, जिसे लगभग आंध्रप्रदेश ले जा ही चुका था।

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