पर्यटकों की आवक से बढ़ने लगी पुष्कर मेले की रौनक

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अजमेर। अन्तरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में स्थानीय तथा विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ पशु पालकों की आवाजाही बढ़ने से मेले में रौनक आनी शुरू हो गई है। पुष्कर मेले में विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही हर तरफ कैमरे का शटर खोले विदेशी मेहमान नजर आने लगे है।

पुष्कर आने वाले विदेश प्रयटक ग्रामीणों और पशु पालकों की जीवन संस्कृति को नजदीक से रूबरू करके अपने कैमरे में कैद करने के लिए आतुर है। उनके द्वारा हर भंगिमा को ध्यान से देखकर अपने गाईड से अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए लालायित नजर आ रहे है। मेले में पशु पालकों द्वारा घोड़े दौड़ाने तथा ऊंटों को भ्रमण कराने से मेहमान रोमांचित हो रहे है।

परम्परागत रंग बिरंगे वस्त्रों में सजी-धजी ग्रामीण संस्कृति मेले में सजीव हो रही है। यत्रा-तत्रा अपने खेमों में धोती, अंगरकी तथा पगड़ी के साथ बैठे ग्रामीण पशुओं के मोल-भाव तथा गांव ले जाने वाले सामान के बारे में बातचीत करते नजर आ रहे है। पशु पालकों द्वारा चुल्हें तथा मिट्टी के तवे पर बाजरे की रोटी बनाना विदेशी मेहमानों को रूककर देखने के लिए मजबूर कर देता है।

मेले के रेतीले धोरों पर घोड़ों और ऊंटों की सरपट दौड़ नजर आने लगी है। पशु पालक अपने पशु को प्रशिक्षित करने तथा फेरा दिलाने के लिए सुबह शाम उनकी दौड़ लगाते है। गौ-धूली बैला पर खुरों और तलुवों के द्वारा उड़ाए गए गुब्बार से सहज ही मेले की रौनक दिखने लग जाती है।

पुष्कर सरोवर में पवित्र स्नान के साथ श्रृद्धालू धार्मिकता से परिपूर्ण होकर देवताओं की स्तुति करते नजर आ रहे है। सतयुग के समय से चली आ रही परम्परागत श्रृद्धा संस्कृति के सनातन होने का परिचय देती है। ब्रह्मा मन्दिर में पूजन के लिए श्रृद्धालूओं का तांता लगना शुरू हो गया है। आरती के समय श्रृद्धालू सरोवर तथा ब्रह्मा मन्दिर में दर्शन लाभ प्राप्त कर स्वयं को धन्य समझ रहे है।
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