...तो 'अफोर्डेबल' नहीं रहेंगे अफोर्डेबल फ्लैट्स

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जयपुर। राजधानी जयपुर में रहने वाले शहरी गरीबों के लिए बनाई गई अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी में जल्द ही बदलाव किया जा सकता है, जिससे शायद अफोर्डेबल लैट्स अब अफोर्डेबल नहीं रहेंगे और फ्लैट्स की दरें बढ़ाए जाने के बाद फ्लैट्स लेना महंगा हो सकता है।

जानकारी के अनुसार सरकार ने 2011 की 850 रुपए प्रति वर्गफुट की दरों को बढ़ाकर 1200 रुपए प्रति वर्गफुट तक कर दिया है। इस हिसाब से गरीब को एक फ्लैट लेने के लिए 350 रुपए प्रति वर्गफुट का ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा।

जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय बनी अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी में वर्तमान भाजपा सरकार ने बदलाव करने की तैयारी कर ली है। ड्राफ्ट पॉलिसी के तहत विकासकर्ताओं पर लोर एरिया रेशो (एफएआर) के हिसाब से ज्यादा लैट बनाने और बीएसयूपी शैल्टर फंड में पैसा देने की भी बाध्यता डाली गई है।

ड्राफ्ट के अनुसार प्रोजेक्ट अनुमोदन के बाद विकासकर्ता या संबंधित एजेंसी को 60 दिन के अंदर आवासों के लिए आवेदन मांगने होंगे। यूडीएच ने ड्राफ्ट बनाकर प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केबिनेट को भेजा है। नए प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक 5 हजार वर्गमीटर से छोटे भूखण्ड वालों को 100 रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर निकायों को शुल्क देना होगा। यह शुल्क बीएसयूपी शैल्टर फंड में जाएगा।

वर्तमान में 5 हजार वर्गमीटर से छोटे भूखंड वालों पर यह शुल्क लागू नहीं है। स्वतंत्र आवास वाली योजना में 2 हैक्टेयर जमीन से कम पर योजना लाने पर विकासकर्ता को कुल बेचने योग्य जमीन की 10 प्रतिशत जमीन के मूल्य के बराबर राशि आरक्षित दर से देनी होगी।

बनाने होंगे ज्यादा फ्लैट्स :

वर्तमान में पॉलिसी के प्रावधान के अनुसार 5 हजार वर्गमीटर या उससे बड़े भूखण्ड पर आवासीय फ्लैट्स बनाने पर विकासकर्ता को कुल एफएआर के 5 प्रतिशत एफएआर के बराबर ईडब्ल्यूएस व एलआईजी के फ्लैट्स बनाकर देने होते हैं। संशोधित ड्राफ्ट में यह प्रतिशत 5 से बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत किया है। इस हिसाब से विकासकर्ता को 100 फ्लैट्स के बदले गरीबों को सात से ज्यादा फ्लैट्स बनाकर देने होंगे।


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