मंगलवार को होगी आंदोलन पर रणनीति तैयार

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जयपुर। शहर में विकास के नाम पर तोड़े गए मंदिरों को लेकर मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार को तीन का समय और दिया। इसके बाद समिति अब मंगलवार को आंदोलन पर रणनीति तैयार करेगी। इससे पहले शनिवार को समिति पदाधिकारियों ने बैठक कर आगामी आंदोलन के बारे में विचार-विमर्श किया था।

मंदिर बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक बद्रीनारायण चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कार्ययोजना तैयार की गई और सभी की सहमति के बाद सरकार को तीन दिन का अल्टीमेटम देने का फैसला किया था। समिति संयोजक ने इन दिनों में समिति की मांगों पर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं होने की दिशा में आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने की बात भी कही।

गौरतलब है कि शहर में मंदिरों को तोड़े जाने के विरोध में मंदिर बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा हाल ही में 9 जुलाई को चक्का जाम रखा था, जिसमें समिति ने सरकार के सामने अपनी आठ मांगे रखी थीं एवं इन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को सात दिन का समय दिया था।

चक्का जाम के बाद 7 दिन पूर्ण होने पर समिति के पदाधिकारियों ने गुरुवार को सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के मंत्री अरुण चतुर्वेदी के घर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी व चतुर्वेदी से वार्ता की थी। इस बैठक में समिति की कुछ मांगों पर सरकार ने सहमति प्रदान की, शेष मांगों पर विचार के लिए चार से पांच दिन का समय मांगा था, जिस पर समिति ने समय देने से इंकार कर दिया।

इसके बाद हुई संघर्ष समिति की बैठक में सरकार को तीन दिन का समय और देने का निर्णय लिया गया। इसमें बैठक में फैसला किया गया कि अगर इस दौरान सभी मांगों पर सरकार की सहमति नहीं मिलती है, तो समिति मंगलवार को आंदोलन की रणनीति की रूपरेखा स्पष्ट करेगी।

ये हैं मांगें :

  • रोजगारेश्वर मंदिर सहित सभी प्राचीन मंदिरों को उन्हीं स्थानों पर विधि-विधान पूर्वक स्थापित किया जाए। 
  • किसी भी तरह से भेदभावपूर्ण कार्यवाही ना हो। मंदिरों के अलावा भी अन्य धर्म स्थल जो मार्गों के मध्य आ रहे हैं, उनको हटाया जाए।
  • जिन अफसरों के आदेश पर मंदिर ध्वस्त हुए और जिन्होंने मूर्तियां खंडित की उन सभी पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।
  • 250 साल पुराने मंदिर नवलकिशोर मंदिर का पुन: निर्माण, तोड़े गए मंदिरों की मूर्तियां जो सरकारी गोदामों में हैं, उनको पुन: स्थापित करें, चार दरवाजे पर आलों में गणेश जी की प्रतिमा को विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की जाए। अष्ट गणपति को स्थापित कर उसकी सुरक्षा का प्रबंध किया जाए।
  • प्रशासन ये जानकारी दे कि कितने मंदिर तोड़े गए, तोड़े गए मंदिरों को कहां स्थापित किया गया और हटाए गए मंदिरों के लिए भूमि आवंटन व अन्य सुविधा की क्या प्रक्रिया अपनाई गई।
  • मेट्रो स्टेशन के पास आने वाले क्षेत्र के सौंदर्यीकरण की योजना के नाम पर मंदिर नहीं हटाया जाए। मंदिर को केंद्र में रखते हुए विकास की योजना बनाई जाए।
  • भविष्य में कोई मंदिर न हटाया जाए। जिन धार्मिक स्थलों को हटाना अंतिम विकल्प है तो सामाजिक प्रतिनिधियों से चर्चा कर पूर्ण विधि विधान से मंदिर की स्थापना की जाए।

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