नव क्रमोन्नत विद्यालयों में होंगे 5 हजार प्रधानाचार्य नियुक्त
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अजमेर। शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में योग्य शिक्षकों के होने के बावजूद नामांकन के प्रति अभिभावकों की अरूचि चिन्ताजनक है। राज्य सरकार नामांकन वृद्धि के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को भी स्कूलों की उन्नति एवं अभिभावकों में विश्वास बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने होंगे। सरकार विद्यालयों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है लेकिन विद्यालय स्थानीय भामाशाहों को भी सहायता के लिए प्रेरित करें।
शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने यह बात रविवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पुलिस लाइन में भामाशाह व नवप्रवेशी विद्यार्थियों के अभिनंदन एवं हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से फर्नीचर वितरण कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रति वर्ष शिक्षा पर 200 अरब रूपए खर्च कर रही है। शिक्षा जगत के सबसे योग्य व्यक्ति हमारे विभाग को उपलब्ध हैं। सरकार विद्यार्थियों को प्रोत्साहन के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है। इसके बावजूद अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। यह स्थिति चिन्ताजनक है।
देवनानी ने कहा कि हम सब मिल कर समन्वित प्रयासों से सरकारी स्कूलों का गौरव पुनः स्थापित करेंगे। शिक्षकों को भी अपने स्कूलों को उन्नति की ओर अग्रसर करने के लिए स्वयं प्रयास करने होंगे। शिक्षक स्कूल समय के अतिरिक्त एक घण्टा प्रतिदिन निकाल कर आसपास के क्षेत्रा में अभिभावकों से सम्पर्क करें एवं उन्हें सरकारी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा एवं अन्य सुविधाओं के बारे में आश्वस्त करें तो स्थितियां निश्चित रूप से बदलेंगी।
उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन महीनों में शिक्षा विभाग में क्रांतिकारी रूप से सुधार आया है। कई सालों से अटकी डी.पी.सी. करवा दी गई है। आगामी कुछ दिनों में नव क्रमोन्नत विद्यालयों में पांच हजार प्रधानाचार्य नियुक्त कर दिए जाएंगे। अन्य पद भी शीघ्र भरे जा रहे हैं। इसके बावजूद पूरी मेहनत किए जाने की आवश्यकता है। हमें शिक्षा में गुणवत्ता और नामांकन वृद्धि के लिए पूरी गंभीरता से प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि अब जमाना बदल रहा है। अब सिर्फ 100 प्रतिशत परिणाम या 36 प्रतिशत पर उत्तीर्ण होने से काम नहीं चलेगा। विद्यार्थियों को शिक्षा में इतना आत्मनिर्भर बनाना होगा कि वे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हों, गार्गी व अन्य पुरस्कार प्राप्त करें, राज्य व जिला स्तर की मेरिट में स्थान हासिल करें। इसके लिए शिक्षक विद्यार्थियों से संवाद करें, उन्हें प्रेरित करें, अभिभावकों से भी सम्पर्क कर विद्यार्थियों को घर पर अध्ययन करने के लिए प्रेरित करें। तब जाकर अच्छे परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में विद्यालय एवं शिक्षकों का मूल्यांकन भी इसी आधार पर होगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को भी स्कूलों की उन्नति एवं अभिभावकों में विश्वास बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने होंगे। सरकार विद्यालयों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है लेकिन विद्यालय स्थानीय भामाशाहों को भी सहायता के लिए प्रेरित करें।
शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने यह बात रविवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पुलिस लाइन में भामाशाह व नवप्रवेशी विद्यार्थियों के अभिनंदन एवं हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से फर्नीचर वितरण कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रति वर्ष शिक्षा पर 200 अरब रूपए खर्च कर रही है। शिक्षा जगत के सबसे योग्य व्यक्ति हमारे विभाग को उपलब्ध हैं। सरकार विद्यार्थियों को प्रोत्साहन के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है। इसके बावजूद अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। यह स्थिति चिन्ताजनक है।
देवनानी ने कहा कि हम सब मिल कर समन्वित प्रयासों से सरकारी स्कूलों का गौरव पुनः स्थापित करेंगे। शिक्षकों को भी अपने स्कूलों को उन्नति की ओर अग्रसर करने के लिए स्वयं प्रयास करने होंगे। शिक्षक स्कूल समय के अतिरिक्त एक घण्टा प्रतिदिन निकाल कर आसपास के क्षेत्रा में अभिभावकों से सम्पर्क करें एवं उन्हें सरकारी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा एवं अन्य सुविधाओं के बारे में आश्वस्त करें तो स्थितियां निश्चित रूप से बदलेंगी।
उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन महीनों में शिक्षा विभाग में क्रांतिकारी रूप से सुधार आया है। कई सालों से अटकी डी.पी.सी. करवा दी गई है। आगामी कुछ दिनों में नव क्रमोन्नत विद्यालयों में पांच हजार प्रधानाचार्य नियुक्त कर दिए जाएंगे। अन्य पद भी शीघ्र भरे जा रहे हैं। इसके बावजूद पूरी मेहनत किए जाने की आवश्यकता है। हमें शिक्षा में गुणवत्ता और नामांकन वृद्धि के लिए पूरी गंभीरता से प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि अब जमाना बदल रहा है। अब सिर्फ 100 प्रतिशत परिणाम या 36 प्रतिशत पर उत्तीर्ण होने से काम नहीं चलेगा। विद्यार्थियों को शिक्षा में इतना आत्मनिर्भर बनाना होगा कि वे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हों, गार्गी व अन्य पुरस्कार प्राप्त करें, राज्य व जिला स्तर की मेरिट में स्थान हासिल करें। इसके लिए शिक्षक विद्यार्थियों से संवाद करें, उन्हें प्रेरित करें, अभिभावकों से भी सम्पर्क कर विद्यार्थियों को घर पर अध्ययन करने के लिए प्रेरित करें। तब जाकर अच्छे परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में विद्यालय एवं शिक्षकों का मूल्यांकन भी इसी आधार पर होगा।