जांच अधिकारी बना आरोपी, आरोपियों को बचाने के लिए बदला आरोप पत्र !

एससी एक्ट की धारा 4 के अन्तर्गत न्यायालय ने लिया प्रसंज्ञान

ASP churu, Rajkumar Chaudhary, Rajkumar Chaudhary Churu ASP, ASP Churuचूरू। कानून किसी जांच अधिकारी के हाथ का खिलौना नहीं है। अदालतें अपने विवेक से अपराध की हर परिस्थिति और तथ्यों को देखकर फैसला देती हैं। यह टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में पुलिस द्वारा जांच कार्य में लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए की थी। अब अगर जांच अधिकारी ही कानून को हाथ का खिलौना बना ले और न्यायालय में लम्बित मामले में आरोप पत्र तक बदल दे तो शोषित और पीडितों को राहत प्रदान करने वाले कानून के रखवालों पर कई सवाल खडे हो जाते हैं। 

ऐसा ही एक मामला चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील के एसीजेएम कोर्ट में सामने आया है जब जांच अधिकारी ने अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से मुलजिमानों को बचाने के लिए आरोप पत्र तक बदल दिया। चूरू जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी राजकुमार चौधरी, जिन्होने अपने अधिकार क्षैत्र से बाहर जाकर, न्यायालय की हिदायत के बिना ना केवल धारा 161 में ब्यान लिये अपितु आरोप पत्र भी बदल दिया और इस पुरे मामले में न्यायालय ने मुलजिम मानते हुए पांच हजार के जमानती वारन्ट से तलब किया है। 

एडवोकेट उम्मेराज सैनी के अनुसार वर्ष 2012 की जुलाई में पुलिस द्वारा एसीजेएम कोर्ट सुजानगढ में अभियुक्तगणों के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 307, 382, 341, 323, 325 तथा अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3/10 व 3/5 में पेश किया था। यह पत्रावली सितम्बर 2012 तक न्यायालय में रही तथा न्यायालय द्वारा आरोप पत्र कमियों के आक्षेप के साथ पुलिस को लौटाई गई, लेकिन कमियों को दूर करने की बजाय जांच अधिकारी एएसपी राजकुमार चौधरी ने आरोप पत्र बदलकर कुछ मुलजिमानों को छोड दिया, कुछ को जमानतीय प्रकरण में तब्दील कर दिया। 

एएसपी ने नये आरोप पत्र में एससी एक्ट के प्रावधानों को बचाने के लिए दीपक, रामचन्द्र, गजानन्द को बिना किसी अधिकार क्षैत्र के 161 के ब्यान भी ले डाले। एएसपी ने नये आरोप पत्र में भादसं की धारा 307 और एससी एक्ट के प्रावधानों से बचाने के लिए दीपक, रामचन्द्र और गजानन्द को निकाल दिया। 

इस सम्बन्ध में जब जांच अधिकारी व चूरू एएसपी राजकुमार चौधरी से पुछा गया तो पहले उन्होने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया, लेकिन उन्होंने बताया कि मुझे जो आदेश उच्चाधिकारियों से मिले हैं] मैने उनकी अनुपालना की है, माननीय न्यायालय के बारे में कुछ नहीं कहुंगा। हो सकता है उन्हें लगा हो कि हमसे कोई गलती हुई हो, इसके बाद हम बड़े न्यायालय में जाएंगे। 
- राजकुमार चौधरी, 
'एएसपी', चूरू।


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