खनन माफियाओं ने बिगाड़ा मरूगंगा का प्राकृतिक स्वरूप

लंबे समय से खनन के मानकों की उड़ रही है धज्जिया, जेसीबी मशीन से छलनी हो रही है नदी उपजाऊ कोख, रीता भू-गर्भीय जल, खेत हो रहे है बंजर और कि...

लंबे समय से खनन के मानकों की उड़ रही है धज्जिया, जेसीबी मशीन से छलनी हो रही है नदी उपजाऊ कोख, रीता भू-गर्भीय जल, खेत हो रहे है बंजर और किसान बेरोजगार

बालोतरा (भगाराम पंवार)। बालोतरा व सिवाना उपखंड की लाईफ लाइन कही जाने वाली मरू गंगा लूनी नदी पिछले लंबे समय से मनमाने तरीके के खनन का दंश झेल रही है। बाड़मेर जिले में लूनी नदी के प्रवेश स्थल रामपुरा गांव से कच्छ के रण तक इसमें से सैकड़ों स्थानों पर बजरी खनन का काम हो रहा है। 

कहने को राजस्थान सरकार अपनी शर्तों पर नदी में से बजरी खनन के ठेके आवंटित करती है। ठेके आवंटन के बाद राज्य सरकार केवल रॉयल्टी से होने वाली आय का ध्यान रखती है। वहीं बजरी खनन का ठेका प्राप्त करने वाले ठेकेदार लूनी नदी में से तय मानकों को ताक में रखकर दिन-रात अवैध तरीकों से बजरी खनन कर जेब भरने में लगे हुए है। 

लूनी नदी में से अवैध तरीकों से खनन के चलते नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा है। वहीं लूनी नदी की दुर्दशा को अपनी आंखों से देखते हुए भी स्थानीय खनन विभाग के अधिकारी और प्रशासन के नुमाइंदे मूक दर्शक बनकर नदी में अवैधा खनन की मौन स्वीकृति प्रदान किए हुए है।

जानकारी के अनुसार खनन विभाग ने जिन शर्तों व मानकों पर लूनी नदी में खनन के ठेके आवंटित किए है उन नियमों की बालोतरा व सिवाना उपखंड के ठेकेदार पालना नहीं कर रहे हैं। लूनी नदी में से कम समय में अधिकाधिक बजरी निकाल कर चांदी काटने की नियत से ठेकेदारों की ओर से जेसीबी मशीन से बजरी खनन किया जा रहा है। जेसीबी मशीन द्वारा करीब पांच मीटर तक नदी के सिने को छलनी किया जा रहा है। जबकि नियमानुसार डेढ़ मीटर तक ही खनन किया जा सकता है। साथ ही ठेकेदारों द्वारा लूनी नदी में संरक्षित चारागाह भूमी, श्मासान घाट आदि को भी नहीं बख्शा जा रहा है। 

जेठंतरी गांव के समीप लूनी नदी में ठेकेदारों ने जेसीबी मशीन से बजरी का खनन कर बड़े गड्डे बना दिए हैं। यहां पर नदी की पत्थर गढ़ी के समीप बजरी निकाले जाने से नदी में पानी आने पर आस-पास के गांवों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। अधिक गहराई तक जेसीबी से खनन के चलते प्राकृतिक भू-गर्भीय जल स्त्रोतों को भी जबरदस्त नुकसान हुआ है। नदी में से अंधाधुन बजरी खनन होने से नदी का उपजाऊ बेसिन बंजर हो गया है। खनन से बिगड़े प्राकृतिक स्वरूप का आस-पास स्थित खेतों में प्रतिकूल असर पड़ा है। खेतों के बंजर हो जाने से हजारों किसानों के सामने रोजी-रोटी और भविष्य पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है।

हालही में लूनी नदी की दुर्दशा को समझकर जेठंतरी गांव के ग्रामीणों ने गलत तरीके से हो रहे बजरी खनन के खिलाफ आवाज बुलंद की और चार दिन तक धरना भी दिया। ग्रामीणों की सजगता के बावजूद स्थानीय खनन विभाग के अधिकारी कुंभकरणी नींद में रहे और किसी भी अधिकारी ने धरने पर आकर ग्रामीणों का मर्म समझने की जहमत नहीं उठाई। अंत में ग्रामीणों को ही अपने स्तर पर ठेकेदार के साथ समझौता कर लूनी नदी को बचाने की कवायद करनी पड़ी। 

ग्रामीणों और बजरी खननकतार्ओं के बीच समझौता हुआ कि डेढ़ मीटर मोटाई की परत से ही बजरी भरवाई जाएगी। साथ ही नदी में बड़े वाहनों मसलन ट्रक आदि में बजरी की ढुलाई नही होगी। जिले भागीरथी माने जाने वाले एक मात्र लूनी नदी के सिने पर आधुनिक मशीनों से हो रहे खनन के नुकसान को रोकने के लिए समुचे इलाके में किसान और पर्यावरण प्रेमी समय-समय पर खनन विभाग को शिकायत करते रहे हैं लेकिन खनन विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से मिलकर लूनी नदी की प्राकृतिक संपदा को नष्ट होते हुए देखे रहे हैं।

ग्रामीण पूर्व सरपंच भंवरसिंह, एडवोकेट उम्मेदसिंह, पंचायत समिति सदस्य रूपाराम चौधरी, तिलोकाराम चौधरी, भेराराम चौधरी, देवीसिंह भाटी लालाणा, समाजसेवी सुमेरसिंह सोढ़ा सिलोर, बाबुलाल सैन पवनपुरी आदि ने बताया कि जेठंतरी ग्राम पंचायत में खसरा नं. 839/821 नदी व प्राकृतिक चारागाह की भूमी के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में अंकित है। इस नदी की जमीन में से मैसर्स रिद्धि-सिद्धि एसोसिएट के कार्मिकों द्वारा जेसीबी से बजरी का खनन किया जा रहा है। 

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लूनी नदी में से बजरी खनन के काम में उच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त निर्देर्शो की अवहेलना हो रही है। किसान बताते है कि लूनी नदी से किसी प्रकार से गैर कानूनी तरीके से बजरी का खनन होता रहा तो आने वाले कुछ ही वर्षों में नदी का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।


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