सौर ऊर्जा उपकरणों की सरकारी एवं निजी कीमतों में बड़ा फेर
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/08/government-and-private-price-of-solar-energy-equipment-are-difference.html
जयपुर। हर बीतते दिन के साथ बिजली और अधिक महंगी होती जा रही है। इसलिए, अपनी बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने में अधिक लोगों की रुचि भी निरंतर बढ़ रही है। बिजली कटौती व डीजी सेट पर निर्भरता, लोगों को अधिक और बेहतर विकल्पों की तरफ आकर्षित कर रहे हैं। निश्चित रूप से सौर ऊर्जा पैनल एक बहुत अच्छा विकल्प प्रदान करते हैं, लेकिन सबसे बड़ी दुविधा है कि इन पैनल्स को लगाने के लिए सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी हासिल करने के लिए लोगों को खासी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
वहीं दूसरी ओर इससे भी बड़ी दुविधा यह है कि इन पैनल को सरकारी सब्सिडी पर लगाए जाने के बावजूद किसी निजी डीलर से लगवाया जाना अधिक सस्ता एवं कारगर साबित हो रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिड़ी का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।
जानकारों के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष 300 दिनों तक निर्बाध सूर्य की रोशनी रहती है। राजस्थान इस मामले में बहुत भाग्यशाली है, इसलिए यहां सौर ऊर्जा का उत्पादन अत्यंत ही सुगम है। इसी के चलते यहां सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल रहा है और सौर पैनल की कीमतों में वैश्विक बाजार में भारी कमी आ रही है।
सरकार के माध्यम से डॉमेस्टिक एवं इंस्टिट्यूशनल उपयोग के लिए लगवाए जाने वाले सौर ऊर्जा पैनल के लिए 15 प्रतिशत सब्सिडी एवं 5 साल की वारंटी दी जाती है। सब्सिडी दिए जाने के बाद पैनल की कीमत काफी कम हो जाती है, जिस पर भी 40 प्रतिशत लॉन की सुविधा उपलब्ध है। इस दिशा में करीब 200-250 कंपनियां सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
इन सबके बावजूद दुविधा है कि सरकार के साथ कार्य करने वाली कंपनियों के पैनल को किसी निजी डीलर के माध्यम से लगावाए जाने पर सब्सिडी नहीं मिलने के बावजूद पैनल की कीमत सरकारी कीमत से काफी कम पड़ती है। जबकि वही डीलर सरकार के माध्यम से लगाता है, तो इसकी कीमत सरकारी सब्सिडी मिलने के बावजूद ज्यादा होती है। साथ ही वारंटी एवं लॉन की सुविधा भी सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के समान ही होती है। ऐसे में सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी के बावजूद लोगों का रूझान प्राइवेट डीलर से पैनल खरीदने में ज्यादा दिखाई दे रहा है।
1 केवी ऑफ ग्रिड 1.60 लाख 1.36 लाख 1.20 लाख
1 केवी ऑन ग्रिड 80 हजार 68 हजार 65 हजार
5 एचपी 5.40 लाख 3.24 लाख 3.75 लाख
3 एचपी 3.24 लाख 1.95 लाख 2.40 लाख
- रमेश चंद आहूजा,
डायरेक्टर, नेच्यूरल पॉवर सिस्टम
"सरकार की ओर से लगवाए जाने वाले पैनल पर 15 प्रतिशत सब्सिडी एवं 40 प्रतिशत लॉन के साथ 5 साल की वारंटी की सुविधा दी जाती है। जहां तक कीमतों को बात है, तो निजी डीलर्स की कीमतें हमेशा बाजार पर निर्भर होती है, जिनमें उतार-चढ़ाव चलता रहता है।"
- बी के दोशी,
मैनेजिंग डायरेक्टर, राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम
वहीं दूसरी ओर इससे भी बड़ी दुविधा यह है कि इन पैनल को सरकारी सब्सिडी पर लगाए जाने के बावजूद किसी निजी डीलर से लगवाया जाना अधिक सस्ता एवं कारगर साबित हो रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिड़ी का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।
जानकारों के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष 300 दिनों तक निर्बाध सूर्य की रोशनी रहती है। राजस्थान इस मामले में बहुत भाग्यशाली है, इसलिए यहां सौर ऊर्जा का उत्पादन अत्यंत ही सुगम है। इसी के चलते यहां सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल रहा है और सौर पैनल की कीमतों में वैश्विक बाजार में भारी कमी आ रही है।
सरकार के माध्यम से डॉमेस्टिक एवं इंस्टिट्यूशनल उपयोग के लिए लगवाए जाने वाले सौर ऊर्जा पैनल के लिए 15 प्रतिशत सब्सिडी एवं 5 साल की वारंटी दी जाती है। सब्सिडी दिए जाने के बाद पैनल की कीमत काफी कम हो जाती है, जिस पर भी 40 प्रतिशत लॉन की सुविधा उपलब्ध है। इस दिशा में करीब 200-250 कंपनियां सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
इन सबके बावजूद दुविधा है कि सरकार के साथ कार्य करने वाली कंपनियों के पैनल को किसी निजी डीलर के माध्यम से लगावाए जाने पर सब्सिडी नहीं मिलने के बावजूद पैनल की कीमत सरकारी कीमत से काफी कम पड़ती है। जबकि वही डीलर सरकार के माध्यम से लगाता है, तो इसकी कीमत सरकारी सब्सिडी मिलने के बावजूद ज्यादा होती है। साथ ही वारंटी एवं लॉन की सुविधा भी सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के समान ही होती है। ऐसे में सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी के बावजूद लोगों का रूझान प्राइवेट डीलर से पैनल खरीदने में ज्यादा दिखाई दे रहा है।
यूं काम करता है सोलर पैनल
इस तकनीक के लिए सौर रिफ्लेक्टरों का इस्तेमाल किया जाता है, जो सूरज की गर्मी को एक ऐसी जगह डाल देते हैं, जिससे पानी पाइपों के जरिए गुजरता है, इससे पानी खौलने लगता है और भाप छोडऩे लगता है, जिससे पावर जनरेटर चलाए जाते हैं और बिजली का उत्पादन किया जाता है। इस प्रकार से एक किलोवाट के सौलर पैनल से प्रतिदिन करीब 4 से 5 यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाता है, जिसे उपभोक्ता चाहे तो स्वयं इस्तेमाल कर सकता है या फिर ग्रिड कनेक्टेड करवाकर सरकार को बिजली बेच सकता है।इन कंपनियों के हैं पैनल
राजस्थान में सौर ऊर्जा पैनल उपलब्ध कराने के लिए यूं तो कई कंपनियां कार्य कर रही है, लेकिन सरकार के साथ करीब 200 से 250 कंपनियां कार्यरत हैं, जो विभिन्न कंपनियों के सोलर पैनल उपलब्ध कराती हैं। इन कंपनियों में से अधिकांश मोजरबियर, लेनको, वारी सोलर, टॉपसन, टाटा, रील, अदिती सोलर, महर्षि सोलर और रितीका सिस्टम सहित अन्य कई नाम प्रमुख हैं।कीमतों में ये है फर्क :
क्षमता कीमत रुपए में सब्सिडी के बाद निजी डीलर की कीमत1 केवी ऑफ ग्रिड 1.60 लाख 1.36 लाख 1.20 लाख
1 केवी ऑन ग्रिड 80 हजार 68 हजार 65 हजार
5 एचपी 5.40 लाख 3.24 लाख 3.75 लाख
3 एचपी 3.24 लाख 1.95 लाख 2.40 लाख
इनका कहना है...
"हम सरकारी माध्यम एवं निजी स्तर पर सीधे उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा पैनल उपलब्ध करावाए जाते हैं, जिनमें 1 वाट से लेकर 5 एचपी प प सब्र्मिसिबल तक के पैनल एवं अन्य सभी प्रकार के सौर ऊर्जा उपकरण शामिल हैं। इन सभी में लॉन, वारंटी एवं अन्य सुविधाएं सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के समान ही है, फिर भी सीधे उपभोक्ता के द्वारा लगाए जाने वाले पैनल सस्ते पड़ते हैं।"- रमेश चंद आहूजा,
डायरेक्टर, नेच्यूरल पॉवर सिस्टम
"सरकार की ओर से लगवाए जाने वाले पैनल पर 15 प्रतिशत सब्सिडी एवं 40 प्रतिशत लॉन के साथ 5 साल की वारंटी की सुविधा दी जाती है। जहां तक कीमतों को बात है, तो निजी डीलर्स की कीमतें हमेशा बाजार पर निर्भर होती है, जिनमें उतार-चढ़ाव चलता रहता है।"
- बी के दोशी,
मैनेजिंग डायरेक्टर, राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम