लालू के बाद अब जयपुर में हो सकता है 'एक और चारा घोटाला'

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- नगर निगम कार्यालय से एक पत्रावली गायब

- हिंगोनिया गौशाला में चारा क्रय से है संबंधित

जयपुर (पवन टेलर)। यू तो देश में कई तरह के घोटाले सामने आ चुके हैं, लेकिन गायों के चारे में घपले के मामले में लालू यादव का चारा घोटाला सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है। लालू यादव के चारा घोटाला के बाद अब राजधानी जयपुर में भी एक और चारा घोटाला सामने आ सकता है। इस घोटाले में भले ही रकम लालू जितनी बड़ी नहीं हो लेकिन यहां भी गायों के लिए खरीदे जाने वाले चारे के मामले में घपले की बू आ रही है। ऐसे में जयपुर नगर निगम द्वारा संचालित हिंगोनिया गौशाला से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के बीच में से भी कोई दूसरा 'लालू' सामने आ सकता है।

शहर में आवारा घूमती अथवा लावारिस गायों के पालन एवं देखरेख के लिए उन्हें चारा-पानी एवं चिकित्सकीय सेवाओं समेत कई सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम की ओर से संचालित हिंगोनिया गौशाला में पूर्व में जहां कई प्रकार की गड़बडिय़ां सामने आती रही है, वहीं अब गायों के लिए खरीदे जाने वाले चारा (खाखला एवं कुट्टी) के जुड़ी एक पत्रावली गौशाला उपायुक्त के कार्यालय से पिछले कई दिनों से गायब है।

इस पत्रावली को तलाशने के लिए काफी मशक्कत की जा रही है, लेकिन अभी तक पत्रावली के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकी है। हालांकि गौशाला उपायुक्त पत्रावली को विशेष महत्वपूर्ण नहीं बता रहे है, लेकिन किसी भी विभाग से कोई दस्तावेज गायब होना उसकी कार्यप्रणाली को बयां तो कर ही देता है।

जानकारी के अनुसार हिंगोनियां गौशाला में पशुओं के लिए खरीदे जाने वाले चारे को लेकर मैसर्स विनायक एंटरप्राईजेज की पत्रावली (क्रमांक 6112), जो नगर निगम आयुक्त कार्यालय में 16 सितम्बर को दर्ज करवाई गई थी। इसके बाद इस पत्रावली को कार्रवाई के लिए 17 सितम्बर को गौशाला उपायुक्त कार्यालय में भेजा गया था। तब से यह पत्रावली गौशाला उपायुक्त कार्यालय से गायब है और काफी तलाशने करने के बाद अभी तक नहीं मिल पाई है।

बताया जाता है कि उक्त पत्रावली में संबंधित फर्म के अभी तक का बकाया भुगतान एवं भुगतान स बंधी जानकारियां थी। इसके अतिरिक्त फर्म का टैण्डर रिन्यू कराने की जानकारी भी उक्त पत्रावली में मौजूद थी।

इस मामले में गौशाला उपायुक्त हरेन्द्र सिंह ने बताया कि गायब हुई पत्रावली से संबंधित मूल फाइल हमारे पास सुरक्षित है। इस लिहाज से यह पत्रावली विशेष महत्वपूर्ण नहीं है। पत्रावली के गायब होने से न तो किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होगी और न ही किसी कार्य पर इसका प्रभाव पड़ेगा। पत्राावली के नहीं मिलने से महज इतना फर्क पड़ेगा कि संबंधित फर्म के भुगतान में कुछ दिनों की देरी हो सकती है।

वहीं दूसरी ओर पत्रावली के गायब होने को लेकर नगर निगम के पशु नियंत्रण एवं संरक्षण समिति के अध्यक्ष भगवत सिंह देवल ने नगर निगम प्रशासन को उक्त मामले की जानकारी दी है तथा मामले में एसीडी जांच की मांग की है। इसके अतिरिक्त देवल ने लोकायुक्त, प्रमुख शासन सचिव एवं जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर जांच की मांग की है।

इनका कहना है...
पत्रावली से संबंधित ओरिजनल फाईल हमारे पास सुरक्षित रखी है। यह फर्म के द्वारा भुगतान के लिए लगाई गई पत्रावली थी। इससे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। इस बारे में जल्द ही एफआईआर दर्ज करवाएंगे और मामले की जांच कर दोषियों का पता लगाया जाएगा।   - हरेन्द्र सिंह, 'गौशाला उपयुक्त'
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