जलवायु परिवर्तन से कृषि उत्पादन पर पड़ सकता है विपरीत प्रभाव : कृषि मंत्री

अजमेर। कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी ने जलवायु परिर्वतन की वजह से हो रहे दुष्प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे कृषि उत्पादन पर व...

अजमेर। कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी ने जलवायु परिर्वतन की वजह से हो रहे दुष्प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।  उन्होंने मानव स्वास्थ्य और कृषि उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए वैज्ञानिकों को अतिरिक्त शोध करने का आव्हान् किया।

 सैनी शुक्रवार को महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय में दो दिवसीय जियोमेटिक्स-2015 नेशनल काॅन्फ्रेंस के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक वर्ष 2050 तक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है, जिसकी वजह से खाद्यान्न उत्पादन में 23 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है, जहां एक ओर इस दौरान हमारी आबादी में वृद्धि होगी, वहीं खाद्यान्न उत्पादन कम होगा, जिसकी वजह से गंभीर संकट पैदा हो सकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा होने वाले संकटों से निपटने का तरीका इजाद करें।
 
कृषि मंत्री सैनी ने कहा कि राजस्थान विपरीत जलवायु परिस्थितियों के बावजूद कई फसलों में अग्रणी स्थान रखता है, जो कि हम सबके लिए गौरव की बात है।

उन्होंने कहा कि मैथी, इसबगोल, धनिया, मेंहदी, जीरा, सरसों जैसी फसलों में राजस्थान देश में अग्रणी है।
जैतून के लिए मिलेगा राज्य को लंदन में अवार्ड

कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि जैतून उत्पादन के क्षेत्रा में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए राजस्थान को 22 नवंबर को लंदन  में आयोजित होने वाले समारोह में क्वालिटी क्राउन अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश पूरे देश में जैतून उत्पादित करने वाला पहला राज्य बन गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान का जैतून का तेल विश्व में सबसे अच्छी गुणवत्ता का है। उन्होंने जैतून की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए इसके क्षेत्रा को आगे बढ़ाने की बात कही।
राज्य में अत्यधिक जल का दोहन चिंताजनक

कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि राज्य में भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जो कि चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि राज्य के 180 से अधिक ब्लाॅक डार्क जोन में हैं, जो कि हमारे लिए खतरे का संकेत है। उन्होंने कहा कि आज कम पानी, कम लागत , अधिक उत्पादन पर आधारित कृषि तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है।


उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग पर लगानी होगी लगाम

कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि आज खेती में उर्वरकों और कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग हो रहा है, जिसकी वजह से जहां एक ओर मृदा स्वास्थ्य खराब हो रहा है वहीं दूसरी ओर मानव स्वास्थ्य पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इसके अंधाधुंध उपयोग पर लगाम लगानी होगी। उन्होंने जैविक खेती अपनाने पर जोर दिया।

इस अवसर पर महर्षि दयानन्द विश्वद्यिालय के कुलपति प्रो. कैलाश सौढ़ाणी, प्रो. एस.एस. राव, प्रो. जे.आर.शर्मा, प्रो. सर्वेश पहाडि़या सहित देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए प्राध्यापक एवं भू सूचना वैज्ञानिक उपस्थित थे।
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