सच्चे मन से स्मरण करने से भगवान प्रसन्न हो जाते है : शास्त्री
श्रीराम कथा के छठें दिन हुआ कथा का श्रवण बालोतरा। श्रीराम चरित्र मानस का श्रवण करने से मनुष्य जीवन का उद्धार होता है, मनुष्य जीवन दुलर्...
बालोतरा। श्रीराम चरित्र मानस का श्रवण करने से मनुष्य जीवन का उद्धार होता है, मनुष्य जीवन दुलर्भ है। ईश्वर नाम (राम नाम) का स्मरण करके ही भवसागर पार किया जा सकता है। संसार में ईश्वर नाम ही सत्य है। ईश्वर को प्राप्त करने के कई मार्ग है। भक्ति मार्ग सरल है, सच्चे मन से स्मरण करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। दैनिक जीवन में समय निकालकर ईश्वर नाम का स्मरण करें। ये उद्बोधन स्थानीय बाबू भवन में आयोजित श्रीराम कथा के छठें दिन शनिवार को संत रामस्वरुप शास्त्री ने व्यक्त किए।
कथा स्थल पर कथा वाचक महाराज ने भगवान शनिदेव की तस्वीर के समक्ष पुष्पहार अर्पित किए। कथा वाचक महाराज का विकास जिंदल, महेश अग्रवाल, मेघराज खत्री, मुन्नाभाई आदि ने माल्यार्पण किया। चित्रकुट में श्रीराम का भरत मिलाप प्रसंग सुनाया तो माहोल धर्म के रंग में सरोबार हो उठा। भरत मिलाप प्रसंग के दौरान भजन मेरी नैया प्रभु, राम, सीता, गंगा मैया धीरे चलो ... भजन पर श्रद्धालअुों ने झुमते हुए आनंद लिया। राम के वनगमन के बाद अपनी तीनों माला एवं अयोध्यावासियों सहित राम को पुन: ले जाने के लिए वन में आते हैं। श्रृगवपुर में निषादराज को जब मालूम पड़ता है तो उसके मन में एक संदेह हो जाता है कि राज्य पूर्ण रूप से हथियाने के लिए श्रीराम पर सेना सहित आक्रमण करने आ रहे हैं। वो उन्हें रोकने के लिए जाते हैं, जैसे ही निषादराजा की भरत एवं तीनों माताओं से मूलाकात हुए तो उन्होंने सारे संदेह दूर कर आनंद से उन्हें गले लगा दिया। भारदाज मुनि, निषादराजा ने भरत व सभी आयोध्यावासियों को गंगा पार कर प्रयागराज में पहुंचा दिया, वहां पर मारदाज मुनि के आश्रम में जाकर उनसे आशीर्वाद लिया। मारदाज मुनि सहित भरत ने आगे चित्रकुट के लिए प्रस्थान किया। वहां सभी आयोध्यावासियों सहित कादमगिरी पर्वत के विश्राम पर निषादराजा के साथ श्रीराम को मिलने के लिए व्याकूल हो रहे थे। इधर लक्ष्मण को इस बात का पता चलता है कि भरत सेना सहित आ रहे हैं, तो श्रीराम को कहा कि भरत के मन में राज्य का लालच हो गया। श्रीराम ने लक्ष्मण को समझाया कि लक्ष्मण तुम्हे गलत अहसास हो रहा है, भरत को हम राज्य सौंपने का कहकर वन में आए। पास में आकर भरत ने श्रीराम को प्रणाम किया और श्रीराम ने भरत को ह्रदय से लगा दिया। कथा के दौरान माली गोरधनलाल की ओर से प्रसादी का भोग लगाकर प्रसादी वितरित की गई। कथा के दौरान मंजू सोनी, हेमलता बंसल, मनुदेवी सिंहल, गोमतीदेवी राजपुरोहित, महिला भक्तों ने आरती का लाभ प्राप्त किया। मंडल प्रवक्ता दौलत प्रजापत ने बताया कि पूर्व रात्रि में बृजेश दाधिच किशनगढ़ स्थानीय गायक दीपकराव, रघुवीर सागर आदि ने देर रात सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियां दी।