राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति जेपी सिंघल ने दिया इस्तीफा, सम्भागीय आयुक्त राजेश्वर सिंह देखेंगे कार्यभार
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जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति के तौर पर जेपी सिंघल को नियुक्त करने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा कड़ी टिप्पणी किए जाने के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति जेपी सिंघल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जेपी सिंघल के इस्तीफे को राज्यपाल कलयाण सिंह ने मंजूर कर लिया है और विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार सम्भागीय आयुक्त राजेश्वर सिंह को दिया गया है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से कुलपति जेपी सिंघल की डिग्री को विवाद चल रहा था और यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन था।
विश्वविद्यालय के कुलपति जेपी सिंघल द्वारा राज्यपाल कल्याण सिंह को अपने पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद राज्यपाल ने सिंघल के इस्तीफे को मंजूर कर लिया है। सिंघल का इस्तीफा मंजूर किए जाने के साथ ही राज्यपाल कल्याण सिंह ने राज्य सरकार की सलाह से राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति पद का अतिरिक्त कार्यभार जयपुर के संभागीय आयुक्त राजेश्वर सिंह को दिये जाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
इससे पूर्व 2 जनवरी को ही हाईकोर्ट ने जेपी सिंघल किे मामले को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि, ऐसे व्यक्ति को 24 घंटे भी वीसी बने रहने का हक नहीं है, जिसके पास प्रोफेसर पद की योग्यता तक नहीं है। अदालत ने कहा था कि यह विश्वविद्यालय का दुर्भाग्य है कि ऐसे व्यक्ति को वीसी बनाया गया और आज विश्वविद्यालय स्वयं उनका पक्ष ले रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुलपति जेपी सिंघल को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई एक याचिका में कहा गया है कि जेपी सिंघल के पास न तो पीएचडी की डिग्री है और न ही उनके पास प्रोफेसर पद का दस साल का अनुभव है। इसके बावजूद भी उन्हें विवि का वीसी नियुक्त कर दिया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति जेपी सिंघल द्वारा राज्यपाल कल्याण सिंह को अपने पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद राज्यपाल ने सिंघल के इस्तीफे को मंजूर कर लिया है। सिंघल का इस्तीफा मंजूर किए जाने के साथ ही राज्यपाल कल्याण सिंह ने राज्य सरकार की सलाह से राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति पद का अतिरिक्त कार्यभार जयपुर के संभागीय आयुक्त राजेश्वर सिंह को दिये जाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
इससे पूर्व 2 जनवरी को ही हाईकोर्ट ने जेपी सिंघल किे मामले को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि, ऐसे व्यक्ति को 24 घंटे भी वीसी बने रहने का हक नहीं है, जिसके पास प्रोफेसर पद की योग्यता तक नहीं है। अदालत ने कहा था कि यह विश्वविद्यालय का दुर्भाग्य है कि ऐसे व्यक्ति को वीसी बनाया गया और आज विश्वविद्यालय स्वयं उनका पक्ष ले रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुलपति जेपी सिंघल को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई एक याचिका में कहा गया है कि जेपी सिंघल के पास न तो पीएचडी की डिग्री है और न ही उनके पास प्रोफेसर पद का दस साल का अनुभव है। इसके बावजूद भी उन्हें विवि का वीसी नियुक्त कर दिया गया।