'...तो बंद हो जाएगी राजस्थान में चल रही स्टील इंडस्ट्रीज'

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जयपुर। प्रदेश में चल रही स्टील इंडस्टीज के मालिकों ने आज एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान राज्य सरकार की ओर से बिजली की दरों में की गई अप्रत्याशित बढ़ोतरी के विरोध में बुधवार से सात दिनों के बंद की घोषणा की है। इस दौरान इंडस्टीज मालिक ऊर्जा मंत्री, उद्योग मंत्री एवं सचिव को ज्ञापन देकर अपनी पीड़ा से अवगत कराएंगे। इसके बावजूद यदि उनकी समस्या का कोई हल नहीं निकलता है तो वे अपनी अपनी इंडस्टीज को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर देंगे।

बिजली कंपनियों द्वारा ओपन एक्सेस से खरीदी जा रही बिजली पर 80 पैसे प्रति यूनिट एडिशनल सरचार्ज लगाने और इसे 1 मई 2016 से लागू किए जाने व 1 दिसम्बर से 1.26 रुपए प्रति यूनिट क्रॉस सब्सिडी लगाने का औद्योगिक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। इसके विरोध में बुधवार से अगले सात दिनों के लिए प्रदेश के सभी स्टील प्लांट को बंद किए जाने की घोषणा की गई है।

इस दौरान राजस्थान स्टील चैम्बर के अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल, महासचिव सुदेश शर्मा, युकोरी अध्यक्ष सुभद्र पापड़ीवाल, फोर्टी उपाध्यक्ष अरूण अग्रवाल, विश्वकर्मा इंडस्ट्रीज एरिया के अध्यक्ष जगदीश सोमानी व महासचिव रवि कानूनगो, बगरू इंडस्ट्रीज एरिया अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल, आॅल इंडिया फर्नेस एसोसिएशन उपाध्यक्ष श्रीनिवास गुप्ता, एम्प्लोई एसोसिएशन अध्यक्ष एन के जैन व अन्य औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

राजस्थान स्टील चैम्बर के अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार एक ओर जहां इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के लिए रिसर्जेंट राजस्थान जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन कर इंडस्ट्रीज मालिकों को प्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित कर रही है, वहीं दूसरी ओर बिजली कंपनियों की नाकामियों का ठीकरा उद्यमियों पर थौपा जा रहा है। ऐसे में प्रदेश में मौजूद इंडस्ट्रीज मालिकों को बिजली की दरों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी कर प्रदेश से पलायन करने के लिए सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान ऐसा प्रदेश है, जहां न तो कच्चा माल उपलब्ध है और न ही सस्ती बिजली। ऐसे में पहले से ही संकट के दौर से गुजर रही स्टील इकाइयां विद्युत लागत को तर्कसंगत करने के लिए ओपन एक्सेस से बिजली खरीद कर रही है। लेकिन इस बढ़ोतरी से इनका काम करना असंभव होने लगा है। राज्य के राजस्व में स्टील इकाईयों का सालाना 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा का योगदान है। साथ ही 50 हजार से ज्यादा का कामगार उद्योग से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। ऐसे में इस उद्योग के बंद होने से भयानक स्थिति उत्पन्न होने का अंदेशा है तथा स्टील इंडस्ट्री को राज्य से पलायन करने जैसे निर्णय लेने के बारे में सोचने पर विवश होना पड़ेगा।

उन्होेंने बताया कि अन्य राज्यों की अपेक्षा राजस्थान में बिजली की दरें कई अधिक हैं, जिससे पहले से ही स्टील इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है। ऐसे में बिजली की दरों में लगाए गए अतिरिक्त सरचार्ज को वापस लिया जाना चाहिए। राज्य में इस इंडस्ट्री एवं अपने आप को बचाए रखने के लिए हम अन्य राज्यों से 10 प्रतिशत अतिरिक्त चार्ज तक भी देने को तैयार है।



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