भारतीय वायुसेना में जुड़ा नया अध्याय, महिला फाइटर पायलेटों ने भरी उड़ान

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नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। भारतीय वायुसेना में आज पहली बार तीन ऐसी महिला अफ़सर शमिल हुई है, जो बाद में जाकर फाइटर पायलट बनेंगी। फ्लाइंग कैडेट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी को हैदराबाद के पास वायुसेना एकेडमी में कमीशन मिल गया है। 120 महिला कैडेटों में से इनका चयन किया गया था।

हैदराबाद से तकरीबन तीन किलोमीटर दूर डुंडिगल एयरफोर्स अकादमी में पहली बार तीन प्रशिक्षु महिला पायलटों को लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए समारोहपूर्वक वायुसेना में शामिल किया गया। सफल प्रशिक्षण के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन्हें भारतीय वायु सेना में कमीशन दिया।

मध्य प्रदेश के सतना की रहने वाली अवनी के परिवार के सदस्य सैन्य अधिकारी हैं और उसे इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सेना में भर्ती अपने भाई से प्रेरणा मिली। अवनी हमेशा से उड़ना चाहती थी और इसलिए वह अपने कॉलेज के फ्लाइंग क्लब में शामिल हुईं।

वहीं, बिहार के दरभंगा की रहने वाली भावना का बचपन से ही विमान उड़ाने का सपना था। प्रथम स्तर का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद भावना ने लड़ाकू श्रेणी को चुना। 'इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन' में अधिकारी की बेटी भावना का हमेशा से लड़ाकू पायलट बनने और देश की सेवा करने का सपना था।

राजस्थान के झुंझुनूं की रहने वाली मोहना के दादा 'एविएशन रिसर्च सेंटर' में फ्लाइट गनर थे और उनके पिता आईएएफ में वारंट अधिकारी हैं। अपने परिवार की देश की सेवा करने वाली विरासत को आगे ले जाने के लिए मोहना काफी उत्साहित हैं।

ये तीनों देश की पहली महिलाएं हैं, जिन्हें वायुसेना के लड़ाकू विमानों के पायलट के तौर पर कमीशन दिया गया है। ऐसे में ये 'कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड' में आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। सभी बाधाओं को पार कर भारतीय वायु सेना के इतिहास में अपना नाम दर्ज करने वाली अवनी, भावना और मोहना को कर्नाटक के बिदार में तीसरे स्तर के प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद अगले साल सुखोई और तेजस जैसे लड़ाकू विमान उड़ाने दिए जाएंगे।

हालांकि वर्ष 1991 से ही यहां की वायुसेना में महिलाएं हेलीकाप्टर तथा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाती आ रही हैं। लेकिन लड़ाकू विमानों से इनको दूर ही रखा जाता था। भारतीय वायुसेना में कुल 15 सौ महिला कर्मचारी हैं।

तीनों महिला लड़ाकू पायलटों की पहले चरण की ट्रेनिंग 18 जून को खत्म हुई है। उन्हें इसी दिन वायुसेना अकादमी में समारोहपूर्वक दूसरे चरण में भेजा जाएगा जहां वे ट्रेनर हांक और लड़ाकू विमानों पर एक साल तक कड़ी ट्रेनिंग प्राप्त करेंगी।


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