13 मई 2008 : आठ सालों के बाद भी नहीं भर पाए कईं जख्म
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जयपुर। 13 मई 2008, ये वो तारीख है, जब जयपुर के इतिहास में एक कहर बनकर आई और हमेशा शांत रहने वाली गुलाबी नगरी को झंकझौर कर रख दिया। आज से ठीक सात साल पहले राजधानी जयपुर में एक के बाद एक 9 जगह पर हुए सीरियल ब्लास्ट ने शहर की फिजा ही बदलकर रख दी।
अक्सर अपनी ऐतिहासिक शानौशोकत के साथ सुनहरी यादों की सैर कराने वाले शहर जयपुर में दिनभर की भागदौड़ के बाद शाम ढलने के साथ ही हर ओर चीख—पुकार और मातम का माहौल नजर आने लगा। जयपुर के इतिहास में कहर बनकर इस तारीख को बीते भले ही आज आठ साल बीत गए हों, लेकिन इस घटना के शिकार बने कई लोगों और परिवारों के जख्म आज भी हरे हैं।
शाम के समय में अक्सर व्यस्त रहने वाले शहर के बाजारों में लोग आम दिनों के जैसे ही घूमने के लिए निकले थे और मंगलवार का दिन होने के कारण शहर के कई हनुमान मंदिरों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ भी थी। इसी बात का फायदा उठाते हुए दहशतगर्दों ने अपने नापाक मंसूबों को अन्जाम देने के लिए कुछ ऐसी ही जगहों को चुना।
चांदपोल हनुमान मंदिर से शुरू होकर शहर की चारदीवारी में कई जगहों एक के बाद एक हुए धमाके हुए। इन धमाकों में जहां 63 बेकसूर लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वहीं 200 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें से कुछ लोगों की जिंदगी ही उस दिन के बाद पहले से काफी बदल गई और इनके जख्म आज भी नहीं भर पाए हैं।
13 मई 2008, मंगलवार का दिन और वक्त शाम के तकरीबन 7 बजकर 10 मिनट पर सबसे पहला धमाका चांदपोल हनुमान मंदिर के सामने हुआ, जहां सैकड़ों की तादाद मेें श्रद्धालु मौजूद थे। तीसरा धमाका कोतवाली थाने के सामने, चौथा धमाका छोटी चौपड़ पर, पांचवा धमाका बड़ी चौपड़ पर हवामहल के नजदीक, छठा धमाका नेशनल हैंडलूम के सामने, सांतवा धमाका जौहरी बाजार में, आठवां धमाका त्रिपोलिया बाजार में और आखिरी धमाका सांगानेरी गेट के पास हनुमान मंदिर के सामने किया गया। ये सभी धमाके महज 15 मिनट के अंदर ही एक के बाद एक सभी जगहों पर किये गए।
वैसे तो गुलाबी नगरी के वाशिंदों के लिए 13 मई 2008 की वो शाम भी और दिनों की तरह से आम थी और मंगलवार होने की वजह से हनुमान मंदिर पर दर्शन करने वालों की काफी भीड़ थी, तभी मंदिर के ठीक सामने एक जोरदार आवाज हुई, जिसके बाद कईं आवाजें आना शुरू हो गई। कुछ देर के बाद आसपास में ही लोगों को बुरी तरह से घायल अवस्था में देखा तो वहां का नजारा देख सभी के होश उड़ गए। चारों ओर मचे कोहराम के बीच हर कोई उसी का एक हिस्सा नजर आ रहा था।
कोई कुछ समझ पता उससे पहले ही एक के बाद एक धमाके होना शुरू हो गया, जिन्होंने लोगों की सोचने—समझने की ताकत को जैसे खत्म ही कर दिया था। दहशतगर्दों के एक—एक करके कुल 9 धमाकों से शांत रहने वाला गुलाबी शहर धधक उठा। चारों और चीख—पुकार और मातम की आवाजों ने शहर को हिलाकर रख दिया। शाम 7 बजकर 10 मिनट पर शुरू हुए इन धमाकों ने 15 मिनट के अन्दर ही न सिर्फ चारदीवारी को बल्कि पूरे शहर को दहला कर रख दिया और पीछे छोड़ दिया एक अंतहीन सन्नाटा।
इन सबसे इतर, आज 8 साल के बाद भी शहर में ऐसे कई लोग मौजूद हैं, जो दहशतगर्दों के नापाक मंसूबों के शिकार बने और उस दिन के बाद से उनकी जिन्दगी पहले से बिल्कुल बदल गई। धमाकों के शिकार बने कुछ लोगों में से किसी ने अपना हाथ खो दिया तो किसी ने अपना पांव और इसी प्रकार से 8 मई 2013 का वो उनके लिए जिन्दगीभर तकलीफ देने वाला दिन बन गया।
उस हादसे को भले ही आज 8 साल हो गए हों, लेकिन आज भी ये लोग उस दिन को याद करके सहर उठते हैं, जब उनका कोई अपना शाम को बाजार जाने के लिए निकला था और उसके बाद आज तक भी घर नहीं लौट पाया।
अक्सर अपनी ऐतिहासिक शानौशोकत के साथ सुनहरी यादों की सैर कराने वाले शहर जयपुर में दिनभर की भागदौड़ के बाद शाम ढलने के साथ ही हर ओर चीख—पुकार और मातम का माहौल नजर आने लगा। जयपुर के इतिहास में कहर बनकर इस तारीख को बीते भले ही आज आठ साल बीत गए हों, लेकिन इस घटना के शिकार बने कई लोगों और परिवारों के जख्म आज भी हरे हैं।
शाम के समय में अक्सर व्यस्त रहने वाले शहर के बाजारों में लोग आम दिनों के जैसे ही घूमने के लिए निकले थे और मंगलवार का दिन होने के कारण शहर के कई हनुमान मंदिरों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ भी थी। इसी बात का फायदा उठाते हुए दहशतगर्दों ने अपने नापाक मंसूबों को अन्जाम देने के लिए कुछ ऐसी ही जगहों को चुना।
चांदपोल हनुमान मंदिर से शुरू होकर शहर की चारदीवारी में कई जगहों एक के बाद एक हुए धमाके हुए। इन धमाकों में जहां 63 बेकसूर लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वहीं 200 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें से कुछ लोगों की जिंदगी ही उस दिन के बाद पहले से काफी बदल गई और इनके जख्म आज भी नहीं भर पाए हैं।
13 मई 2008, मंगलवार का दिन और वक्त शाम के तकरीबन 7 बजकर 10 मिनट पर सबसे पहला धमाका चांदपोल हनुमान मंदिर के सामने हुआ, जहां सैकड़ों की तादाद मेें श्रद्धालु मौजूद थे। तीसरा धमाका कोतवाली थाने के सामने, चौथा धमाका छोटी चौपड़ पर, पांचवा धमाका बड़ी चौपड़ पर हवामहल के नजदीक, छठा धमाका नेशनल हैंडलूम के सामने, सांतवा धमाका जौहरी बाजार में, आठवां धमाका त्रिपोलिया बाजार में और आखिरी धमाका सांगानेरी गेट के पास हनुमान मंदिर के सामने किया गया। ये सभी धमाके महज 15 मिनट के अंदर ही एक के बाद एक सभी जगहों पर किये गए।
वैसे तो गुलाबी नगरी के वाशिंदों के लिए 13 मई 2008 की वो शाम भी और दिनों की तरह से आम थी और मंगलवार होने की वजह से हनुमान मंदिर पर दर्शन करने वालों की काफी भीड़ थी, तभी मंदिर के ठीक सामने एक जोरदार आवाज हुई, जिसके बाद कईं आवाजें आना शुरू हो गई। कुछ देर के बाद आसपास में ही लोगों को बुरी तरह से घायल अवस्था में देखा तो वहां का नजारा देख सभी के होश उड़ गए। चारों ओर मचे कोहराम के बीच हर कोई उसी का एक हिस्सा नजर आ रहा था।
कोई कुछ समझ पता उससे पहले ही एक के बाद एक धमाके होना शुरू हो गया, जिन्होंने लोगों की सोचने—समझने की ताकत को जैसे खत्म ही कर दिया था। दहशतगर्दों के एक—एक करके कुल 9 धमाकों से शांत रहने वाला गुलाबी शहर धधक उठा। चारों और चीख—पुकार और मातम की आवाजों ने शहर को हिलाकर रख दिया। शाम 7 बजकर 10 मिनट पर शुरू हुए इन धमाकों ने 15 मिनट के अन्दर ही न सिर्फ चारदीवारी को बल्कि पूरे शहर को दहला कर रख दिया और पीछे छोड़ दिया एक अंतहीन सन्नाटा।
इन सबसे इतर, आज 8 साल के बाद भी शहर में ऐसे कई लोग मौजूद हैं, जो दहशतगर्दों के नापाक मंसूबों के शिकार बने और उस दिन के बाद से उनकी जिन्दगी पहले से बिल्कुल बदल गई। धमाकों के शिकार बने कुछ लोगों में से किसी ने अपना हाथ खो दिया तो किसी ने अपना पांव और इसी प्रकार से 8 मई 2013 का वो उनके लिए जिन्दगीभर तकलीफ देने वाला दिन बन गया।
उस हादसे को भले ही आज 8 साल हो गए हों, लेकिन आज भी ये लोग उस दिन को याद करके सहर उठते हैं, जब उनका कोई अपना शाम को बाजार जाने के लिए निकला था और उसके बाद आज तक भी घर नहीं लौट पाया।