अंतरराष्ट्रीय सहकार दिवस पर ऋण वितरण समारोह का आयोजन
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अजमेर। केन्द्रीय जलसंसाधन, नदी संरक्षण एवं गंगा विकास राज्य मंत्री प्रो. सांवर लाल जाट ने कहा कि सहकारिता सार्वजनिक एवं निजी जीवन का मूल मंत्र है। सहकारिता जीवन के प्रत्येक क्षेत्रा में उन्नति के लिए आवश्यक है। हम सहकारिता के मूल भाव "एक सबके लिए-सब एक के लिए" को जीवन में आत्मसात करें तभी समग्र उन्नति संभव है। केन्द्रीय मंत्री प्रो. जाट ने यह बात शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकार दिवस के अवसर पर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में आयोजित कार्यक्रम एवं ऋण वितरण समारोह में कही।
उन्होंने कहा कि सहकारिता ग्रामीण विकास की धुरी है। हमें राजनीतिक भेदभाव से ऊपर उठकर पारदर्शिता एवं ईमानदारी के साथ सहकारिता को सशक्त करने के लिए काम करना होगा। धीरे-धीरे पूरे देश में सहकारिता की स्थिति में सुधार हो रहा है। जाट ने कहा कि पूरे देश में सहकारिता के लिए 18 हजार करोड़ से ज्यादा वित्त उपलब्ध कराया गया है। यह राशि सहकारिता को उन्नत एवं मजबूत करने में खर्च की जा रही है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सहकारिता हजारों वर्षों से विद्यमान है। हमारे परिवार, समाज और गांव में परस्पर सहयोग की परम्परा सहकार से ही पुष्ट हुई है। सहकारिता की उन्नति के लिए और अधिक गम्भीरता के साथ प्रयास किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में सहकारिता के क्षेत्रा में जो समस्याएं है। उनके निराकरण के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के स्तर पर प्रयास किए जाएंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि समाज में समानता के लिए सहकार आवश्यक है। सहकारिता बढ़ेगी तभी समानता बढ़ेगी। समाज में दुग्ध, ऊन और सब्जी विक्रय के क्षेत्रा में सहकारिता की उपयोगिता आज स्वयं सिद्ध है। यह अन्य व्यवसायों एवं जीवन के विविध क्षेत्रों में भी लाभदायक है।
उन्होंने कहा कि सरकार सहकारिता को मजबूत करने के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध करा रही है। किसान भाई इन सुविधाओं का लाभ उठाएं एवं अपने कृषि व्यवसाय को उन्नति की ओर अग्रसर करें। साथ ही ऋण अदायगी को भी गम्भीरता से लें ताकि उन्हें पुनः ऋण आदि की सुविधा मिल सके।
उन्होंने कहा कि सहकारिता ग्रामीण विकास की धुरी है। हमें राजनीतिक भेदभाव से ऊपर उठकर पारदर्शिता एवं ईमानदारी के साथ सहकारिता को सशक्त करने के लिए काम करना होगा। धीरे-धीरे पूरे देश में सहकारिता की स्थिति में सुधार हो रहा है। जाट ने कहा कि पूरे देश में सहकारिता के लिए 18 हजार करोड़ से ज्यादा वित्त उपलब्ध कराया गया है। यह राशि सहकारिता को उन्नत एवं मजबूत करने में खर्च की जा रही है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सहकारिता हजारों वर्षों से विद्यमान है। हमारे परिवार, समाज और गांव में परस्पर सहयोग की परम्परा सहकार से ही पुष्ट हुई है। सहकारिता की उन्नति के लिए और अधिक गम्भीरता के साथ प्रयास किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में सहकारिता के क्षेत्रा में जो समस्याएं है। उनके निराकरण के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के स्तर पर प्रयास किए जाएंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि समाज में समानता के लिए सहकार आवश्यक है। सहकारिता बढ़ेगी तभी समानता बढ़ेगी। समाज में दुग्ध, ऊन और सब्जी विक्रय के क्षेत्रा में सहकारिता की उपयोगिता आज स्वयं सिद्ध है। यह अन्य व्यवसायों एवं जीवन के विविध क्षेत्रों में भी लाभदायक है।
उन्होंने कहा कि सरकार सहकारिता को मजबूत करने के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध करा रही है। किसान भाई इन सुविधाओं का लाभ उठाएं एवं अपने कृषि व्यवसाय को उन्नति की ओर अग्रसर करें। साथ ही ऋण अदायगी को भी गम्भीरता से लें ताकि उन्हें पुनः ऋण आदि की सुविधा मिल सके।