न डिवाइडर और न संकेतक, बना रहता है हादसे का अंदेशा

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जालौर। जिले के चितलवाना उपखंड के नेहड़ क्षेत्र में नर्मदा का अतिरिक्त पानी लूणी नदी के एस्केप में छोड़ने के साथ भारी बारिश होने की स्थिति में नेहड़ वासियों के लिए पानी आफत बन कर कई गांव डूबो सकता हैं। इधर सिंचाई विभाग के पास इन हालातों से निपटने के लिए राहत के नाम पर दो नाव जरुर है मगर नाविक गोताखोर नहीं होने से ये साधन किसी काम के नहीं है। नेहड़ क्षेत्र में सिंचाई के लिए 21 बांध बने हुए हैं,बांधों की मरम्मत नहीं होने से वर्तमान में केवल चितलवाना, फोगड़वा, सूंथड़ी साकरिया बांध ही सुरक्षित हैं।

पिछले वर्ष भी ज्यादा बारिश होने नर्मदा नहर का ओवरफ्लो पानी लूणी नदी के बहाव में छोड़ देने से क्षेत्र के कई बांध टूट गए थे, जिससे दर्जनों गांव टापू बन गए। प्रशासन ने उन गांवों में नाव की व्यवस्था की उसके बाद लोगों तक राहत पहुंचाई जा सकी। मगर इस सीजन में मानसून के दस्तक देने के साथ क्षेत्र में नर्मदा का अतिरिक्त पानी भी लगातार लूणी नदी के बहाव में छोड़ा जा रहा हैं, जिससे हालात बिगड़ते समय नहीं लगेगा।

वहीं प्रशासन की ओर से अभी तक संभावित खतरे को लेकर किसी तरह की तैयारियां नजर नहीं रही। यहां बता दें कि नेहड़ क्षेत्र में आज भी कई वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नर्मदा का ओवरफ्लो पानी भरा हुआ हैं। ऐसे में यदि भारी बारिश होती है तो क्षेत्र के कई गांव रातों रात टापू में तब्दील हो सकते हैं।

पिछले वर्ष टूट गया था केरिया क्रॉस बांध :
पिछले साल क्षेत्र का केरिया क्रॉस बांध नर्मदा के ओवरफ्लो पानी के बहाव से टूट गया था, जिससे बांध का पानी गांवों में घुस गया और गांव के लोगों का उपखंड से पूरी तरह संपर्क कट गया। बाद में प्रशासन की ओर से नावें भेजकर लोगों को वहां से निकाला गया।

नहर आने के बाद बेकार हुए बांध : क्षेत्र में सिंचाई विभाग की ओर से आठ से दस बांध बनाए गए थे। ये बांध लूणी नदी में पानी का बहाव होने पानी से भर जाते थे। बांध का पानी पेयजल सिंचाई के काम लिया जाता था। मगर नर्मदा नहर आने के बाद क्षेत्र में नर्मदा के पानी से सिंचाई जलापूर्ति होने लगी, जिससे बांध का कोई औचित्य नहीं रह गया। वहीं नर्मदा का ओवरफ्लो पानी छोड़ने से क्षेत्र के अधिकांश बांध टूट चुके हैं। जिसकी मरम्मत को लेकर सिंचाई नर्मदा विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।

ये गांव होते हैं प्रभावित : नेहड़ क्षेत्र में भारी बारिश के दौरान होथीगांव, मेढ़ा, रतनपुरा, गोमी, दूठवा, टांपी, गलीफा, टेंबी, पादरड़ी, कोलियों की गढ़ी, भादरूण, सुराचंद, सूंथड़ी, जोरादर, खेजडिय़ाली, भलाईया तथा सुजानपुरा सहित कई गांव तेज बारिश के दौरान टापू बन जाते हैं। इन गांवों के लोगो को बारिश के दौरान हाडेचा सांचौर आने के लिए रास्ता नहीं होने पर तरापे की सहायता से नदी पार करनी पड़ती है।

पुलिया दे रही हादसों को न्यौता : नेहड़ क्षेत्र में आने जाने मार्गो पर बने पुलिए हादसे को बुलावा दे रहे हैं। कई पुलिये पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं तो कई पुलियों का निर्माण के बाद भी हादसे होने का ज्यादा डर रहता हैं। क्योंकि इन पुलियों पर न तो डिवाइडर बने हैं न ही संकेतक, जिससे किसी भी समय वाहन सन्तुलन से बहार हो जाए तो बड़ा हादसा हो सकता हैं। इतना ही नही इन पुलियों के पास सड़के किनारे बड़े बड़े गड्ढे बने हुए हैं, जिससे हर समय डर लगा रहता हैं।

1 चितलवाना से रामपुरा जाने वाली सड़क पर
2 रतोड़ा-गोमी सड़क
3 जानवी – खासरवि
इनके अलावा भी नेहड़ क्षेत्र में कई मार्गो पर समस्या बनी हुई हैं। नेहड़ क्षेत्र के लूणी नदी के बहाव में प्रभावित होने वाले गांवों को लेकर प्रशासन सिंचाई विभाग की ओर से अभी तक कोई तैयारी नहीं है। प्रभावित क्षेत्रों की जानकारी लेकर आपदा प्रबंधन की ओर से राहत बचाव कार्यों का जल्द पुख्ता इंतजाम किया जाएगा।
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