कलेक्टर ने लू और तापघात से बचकर रहने का किया आग्रह
अजमेर। जिला कलक्टर गौरव गोयल ने प्रचंड गर्मी को देखते हुए आम नागरिकों से लू एवं तापघात से बचकर रहने का आग्रह किया है। उन्होंने चिकित्सा ए...
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अजमेर। जिला कलक्टर गौरव गोयल ने प्रचंड गर्मी को देखते हुए आम नागरिकों से लू एवं तापघात से बचकर रहने का आग्रह किया है। उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को भी निर्देश दिए है कि लू एवं तापघात के मरीजों के लिए चिकित्सालयों में विशेष व्यवस्था रखी जाए।
गोयल ने बताया कि इस संबंध में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण संस्थान नई दिल्ली ने भी विशेष निर्देश जारी किए है। उन्होंने कहा कि इस गर्मी के प्रकोप में लू से कोई भी ग्रसित हो सकता है। परन्तु बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं धूप में व दोपहर में कार्यरत श्रमिक, यात्रा, खिलाड़ी व ठंडी जलवायु में रहने वाले व्यक्ति अधिक लू से ग्रसित होते हैं।
लू व तापघात के लक्षण
शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू व तापघात निम्नांकित लक्षणों के द्वारा प्रभावी होता है। सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढ़ना, शरीर का तापमान अत्यधिक 105 या अधिक हो जाना व पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना। अत्यधिक प्यास का लगना बेहोशी जैसी स्थिति का होना/बेहोश होना, प्राथमिक उपचार/समुचित उपचार के अभाव में मृत्यु भी संभव है।
यह लक्षण लवण पानी की
आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केन्द्र जो मानव के तापमान को सामान्य बनाये रखता है, काम करना छोड़ देता है। लाल रक्त कोशिकायें रक्त वाहिनियों में टूट जाती है व कोशिकाओं में जो पोटेशियम लवण होता है व रक्त संचार में आ जाता है। जिसमें हृदय गति व शरीर के अन्य अवयव व अंग प्रभावित होकर लू तापघात के रोगी को मृत्यु के मुंह में धकेल देते है।
लू तापघात के बचाव के उपाय
लू तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे वृद्ध गर्भवती महिलाएं, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते है। इन्हें प्रायः 10 बजे से सांय 6 बजे तक तेज गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठंडे स्थान पर रखने का प्रयास करें। तेज धूप में निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा में ठंडे जल का सेवन करके बाहर निकलें। थोड़े अन्तराल के पश्चात् ठंडे पानी, शीतल पेय, छाछ, ताजा फलों का रस का सेवन करते रहें। तेज धूप में बाहर निकलने पर छाते का उपयोग करें अथवा कपड़े से सिर को ढककर रखें।
उपचार
लू तापघात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे सथान पर लिटा दें। रोगी की त्वचा को गीले कपड़े से स्पंज करते रहे तथा रोगी के कपड़ों को ढीला कर दें। रोगी होश में हो तो उसे ठंडे पेय पदार्थ देवें। रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में उपचार हेतु लेकर जाएं।
गोयल ने बताया कि इस संबंध में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण संस्थान नई दिल्ली ने भी विशेष निर्देश जारी किए है। उन्होंने कहा कि इस गर्मी के प्रकोप में लू से कोई भी ग्रसित हो सकता है। परन्तु बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं धूप में व दोपहर में कार्यरत श्रमिक, यात्रा, खिलाड़ी व ठंडी जलवायु में रहने वाले व्यक्ति अधिक लू से ग्रसित होते हैं।
लू व तापघात के लक्षण
शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू व तापघात निम्नांकित लक्षणों के द्वारा प्रभावी होता है। सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढ़ना, शरीर का तापमान अत्यधिक 105 या अधिक हो जाना व पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना। अत्यधिक प्यास का लगना बेहोशी जैसी स्थिति का होना/बेहोश होना, प्राथमिक उपचार/समुचित उपचार के अभाव में मृत्यु भी संभव है।
यह लक्षण लवण पानी की
आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केन्द्र जो मानव के तापमान को सामान्य बनाये रखता है, काम करना छोड़ देता है। लाल रक्त कोशिकायें रक्त वाहिनियों में टूट जाती है व कोशिकाओं में जो पोटेशियम लवण होता है व रक्त संचार में आ जाता है। जिसमें हृदय गति व शरीर के अन्य अवयव व अंग प्रभावित होकर लू तापघात के रोगी को मृत्यु के मुंह में धकेल देते है।
लू तापघात के बचाव के उपाय
लू तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे वृद्ध गर्भवती महिलाएं, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते है। इन्हें प्रायः 10 बजे से सांय 6 बजे तक तेज गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठंडे स्थान पर रखने का प्रयास करें। तेज धूप में निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा में ठंडे जल का सेवन करके बाहर निकलें। थोड़े अन्तराल के पश्चात् ठंडे पानी, शीतल पेय, छाछ, ताजा फलों का रस का सेवन करते रहें। तेज धूप में बाहर निकलने पर छाते का उपयोग करें अथवा कपड़े से सिर को ढककर रखें।
उपचार
लू तापघात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे सथान पर लिटा दें। रोगी की त्वचा को गीले कपड़े से स्पंज करते रहे तथा रोगी के कपड़ों को ढीला कर दें। रोगी होश में हो तो उसे ठंडे पेय पदार्थ देवें। रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में उपचार हेतु लेकर जाएं।