नजरिया : राजनीति की भेंट चढ़ी विश्वस्तर की मैराथन

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गुलाबी नगरी जयपुर के रामनिवास बाग के बीच विशाल भवन अल्बर्ट हॉल की दिवारों पर सूरज की पहली किरण निकलने तक सोने वाले कबूतरों की आँख अल-सुबह पाँच बजे स्कूली बच्चों और मैराथन दौड़ के लिए पहुँचे जयपुरवासियों की तेज आवाजों से खुली और मैराथन दौड़ में पहुँचे लगभग 60 हजार धावकों की हलचल ने जयपुर जू में सुबह का इन्तजार कर रहे शेर-चीते-रीछ और बंदरों को भी जगा दिया। इस जगने की गवाही शेरों की दहाड़ें दे रही थीं।

पिछले सात साल से विश्वस्तरीय मैराथन दौड़ का आयोजन करने वालों का दावा है कि विश्व की पाँच सबसे बड़ी मैराथन दौड़ में राजस्थान के गुलाबी नगर की मैराथन भी शामिल है, लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में मुख्यमंत्री, राज्यपाल, सभी केबिनेट मंत्री मौजूद होने के बावजूद विश्व स्तर की इस मैराथन को बॉलीवूड के एक अभिनेता के मुख्य आतिथ्य में साठ हजार धावकों को झंडी दिखाकर दौडऩे पर मजबूर होना पड़ा।

राजस्थान सरकार और मैराथन के बीच सामन्जस्य नहीं होने एवं दूरियों का कारण मालूम करने पर बताया गया कि जयपुर की मैराथन दौड़ के आयोजक कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने सांगानेर से विधानसभा चुनाव भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी के सामने लड़ा था। मैराथन का आयोजक कांग्रेसी जरुर हो सकता है, लेकिन जिस भाजपा नेता के सामने चुनाव लड़ा था, वे तो आज इस कांग्रेसी नेता से अधिक मुख्यमंत्री से खफा हैं, ऐसे में यदि मुख्यमंत्री जी के ''चाणक्य'' अच्छा निर्णय लेते तो विरोधी का विरोधी मैराथन का आयोजक दोस्त कहलाता और मुख्यमंत्री जी साठ हजार मैराथन धावकों को झंडी दिखाकर दौड़ रवाना करतीं।

जयपुर मैराथन में एक बात विशेष रही कि मैराथन दौड़ में पूरे रास्ते में प्रदेश की लोककला एवं संस्कृति से जुड़े एक हजार लोक कलाकारों के माध्यम से मैराथन  धावकों का स्वागत करने के साथ राजस्थान सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जल स्वावलम्बन, प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान जैसी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी किया गया। इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए हमारी राजस्थान सरकार करोड़ों रूपया प्रचार प्रसार में खर्च कर रही है जबकि मैराथन दौड़ के आयोजक कांग्रेसी होने के बावजूद भी समाज और राज्य हित में सरकारी योजनाओं का मैराथन दौड़ के माध्यम से संदेश दे रहे हैं।

भाजपा की केन्द्र में मोदी सरकार में राजस्थान के जयपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ स्वयं खिलाड़ी हैं साथ ही जयपुर देहात से लोकसभा में पहुँचे हैं। इस मैराथन दौड़ में केन्द्रीय मंत्री होने के साथ एक खिलाड़ी की भावना से भी मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जुड़ सकते थे, लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि भाजपा सरकार के सलाहकार विश्वस्तर की मैराथन का लाभ लेने के बजाय इस मैराथन को भाजपा-कांग्रेस की राजनीति की भेंट चढ़ा गये।
- अब्दुल सत्तार सिलावट
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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