आतंकवाद पर पर्याप्त नहीं है संयुक्त राष्ट्र की स्थिति : भारत

Syed Akbaruddin, United Nations, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून, भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन
संयुक्त राष्ट्र। हिंसक चरमपंथ से मुकाबला करने से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की प्रस्तावित योजना की आलोचना करते हुए भारत ने इसे अपर्याप्त बताया है और इसे चरमपंथ के बढ़ते वैश्विक खतरे से निपटने के लिए अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया है।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून की रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी समझ है कि इस बीमारी से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र की संरचना पर्याप्त नहीं है। चरमपंथ हमारे लिए सामूहिक रूप से खतरा है।

महासभा ने विभिन्न देशों की भिन्न राय को देखते हुए कल हुई अपनी बैठक में इसे मंजूर नहीं किया और इस पर आगे चर्चा करने का फैसला किया। इस मुद्दे पर जो मतभेद थे वो विदेशी कब्जे और आत्म निर्णय के अधिकार जैसे मुद्दों के आसपास घूम रहे थे, जिन्हें एक्शन प्लान का हिस्सा होना चाहिए। इन्हें संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने भी उठाया था।

अकबरूद्दीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का प्रस्तावित एक्शन प्लान इस खतरे का कोई समाधान नहीं बताता है। उन्होंने कहा कि हिंसक चरमपंथ पर रोक के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायता मांगने वाले सदस्य राष्ट्रों की मदद करने के लिए एक संपर्क बिन्दु कहां है।

बदकिस्मती से, हमें इस सरल और मूल सवाल का जवाब नहीं मिला। दिसंबर 2015 में पेश की गई कार्य योजना में सिफारिश की गई है कि प्रत्येक देश हिंसक चरमपंथ रोकने के लिए अपनी खुद की कार्य योजना विकसित करेंगे।

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