राजनाथ सिंह ने किया पीएचडी चैम्बर के 110वें वार्षिक सत्र का उद्घाटन
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/11/rajnath-singh-inaugurated-110th-annual-session-at-PHD-chamber.html
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के 110वें वार्षिक सत्र का दीप जलाकर उद्घाटन किया। इस वार्षिक सत्र को ‘भारत में बदलाव लाना – हम मिलकर ला सकते हैं और हम लाएंगे’ विषय वस्तु पर आयोजित किया जा रहा है है। उद्घाटन सत्र के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि कोई देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक वह सुरक्षित नहीं है और यह सुरक्षा ही विकास की पहली शर्त है।
उऩ्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए आर्थिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास की भी जरूरत है। भौतिकवाद हमें क्षणिक, आनंद दे सकता है लेकिन मानसिक शांति केवल आध्यात्मिक विकास से ही प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बड़ी आर्थिक ताकत बनने के साथ-साथ भारत को जगत गुरू भी बनना चाहिए। विश्व को भारत के मूल्यों से आकर्षित होना चाहिए।
इस सत्र की विषय-वस्तु ‘हम मिलकर कर सकते हैं और हम करेंगे’ पर टिप्पणी करते हुए उन्होने कहा कि यह विषय-वस्तु प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ सबका विकास’ के अनुसार है। सरकार की योजनाओं का उद्देश्य आम आदमी की वित्तीय समाग्रता से है।
उन्होंने कहा भारत विश्व की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओँ में से एक है और वर्ष 2020-25 तक भारत विश्व की 5 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि भारत का स्थान कारोबार को सरल बनाने के मानदंड से ऊपर उठा है। भारत की विकास दर निकट भविष्य में दोहरे अंकों में पहुंच जाएगी जो वर्तमान में 7.5 प्रतिशत है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आर्थिक अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। भारत में प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को स्वतंत्रता से लेकर ही अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों से गुजरना पड़ा है। लेकिन इसने वैश्विक मंदी के प्रभाव में भी अपने को बचाए रखा और विश्व ने माना की भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की काफी संभावनाएं हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ जैसी विभिन्न योजनाओं ने भारत की विकास दर को गति प्रदान की। भारत विदेशी निवेशकों का पसंदीदा स्थान बन गया है, क्योंकि विदेशी निवेशकों का विश्वास बड़ा है और सरकार ने भारत में कारोबार और उद्योग के माफिक विभिन्न संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधार किए हैं।
राजनाथ सिंह ने उत्कृष्टता के लिए पीएचडी वार्षिक पुरस्कार – 2015 भी प्रदान किए हैं। डॉ. ई.श्रीधरन को सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में उनके जीवन पर्यन्त योगदान के लिए लाइफ टाइम उपलब्धि पुरस्कार प्रदान किया।
डाबर इंडिया लिमिटेड को गुड कॉरपोरेट सिटीजन अवॉर्ड दिया गया जबकि समाज कल्याण के लिए उत्कृष्ट योगदान देने का पुरस्कार जीएमआर वारालक्ष्मी फाउंडेशन को दिया गया। गैर-कॉरपोरेट द्वारा समाज कल्याण के लिए दिए गए उत्कृष्ट योगदान का पुरस्कार प्रसन्ना भंडारी को दिया गया।
विशिष्ट उद्यमता का पुरस्कार डी.के.अग्रवाल अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एस.एम.सी. इन्वेस्टमेंट एंड एडवाइजर्स लिमिटेड को तथा उत्कृष्ट महिला कारोबारी पुरस्कार मोनिका मल्होत्रा, निदेशक हॉली फेथ इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को, कौशल विकास में उत्कृष्टता का पुरस्कार पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) को प्रदान किया गया।
एमएसएमई के लिए विशिष्ट उद्यममिता पुरस्कार जितेन्द्र सोढी, प्रबंध निदेशक, आयुष हर्बस् प्राइवेट लिमिटेड और एम.एस.एम.ई के लिए उत्कृष्ट प्राप्तकर्ता निर्यात पुरस्कार शिव दयाल सूद एंड संस को प्रदान किए गए हैं।
भारतीय व्यापार, उद्यमियों और व्यक्तियों को उत्कृष्ट उपलब्धि तथा चुनिंदा क्षेत्रों में योगदान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में कॉरपोरेट और व्यक्तिगत पहलू को प्रोत्साहित करने में दिए गए योगदान को मान्यता देने के लिए 1977 में यह पुरस्कार शुरू किए गए थे।
उऩ्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए आर्थिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास की भी जरूरत है। भौतिकवाद हमें क्षणिक, आनंद दे सकता है लेकिन मानसिक शांति केवल आध्यात्मिक विकास से ही प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बड़ी आर्थिक ताकत बनने के साथ-साथ भारत को जगत गुरू भी बनना चाहिए। विश्व को भारत के मूल्यों से आकर्षित होना चाहिए।
इस सत्र की विषय-वस्तु ‘हम मिलकर कर सकते हैं और हम करेंगे’ पर टिप्पणी करते हुए उन्होने कहा कि यह विषय-वस्तु प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ सबका विकास’ के अनुसार है। सरकार की योजनाओं का उद्देश्य आम आदमी की वित्तीय समाग्रता से है।
उन्होंने कहा भारत विश्व की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओँ में से एक है और वर्ष 2020-25 तक भारत विश्व की 5 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि भारत का स्थान कारोबार को सरल बनाने के मानदंड से ऊपर उठा है। भारत की विकास दर निकट भविष्य में दोहरे अंकों में पहुंच जाएगी जो वर्तमान में 7.5 प्रतिशत है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आर्थिक अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। भारत में प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को स्वतंत्रता से लेकर ही अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों से गुजरना पड़ा है। लेकिन इसने वैश्विक मंदी के प्रभाव में भी अपने को बचाए रखा और विश्व ने माना की भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की काफी संभावनाएं हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ जैसी विभिन्न योजनाओं ने भारत की विकास दर को गति प्रदान की। भारत विदेशी निवेशकों का पसंदीदा स्थान बन गया है, क्योंकि विदेशी निवेशकों का विश्वास बड़ा है और सरकार ने भारत में कारोबार और उद्योग के माफिक विभिन्न संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधार किए हैं।
राजनाथ सिंह ने उत्कृष्टता के लिए पीएचडी वार्षिक पुरस्कार – 2015 भी प्रदान किए हैं। डॉ. ई.श्रीधरन को सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में उनके जीवन पर्यन्त योगदान के लिए लाइफ टाइम उपलब्धि पुरस्कार प्रदान किया।
डाबर इंडिया लिमिटेड को गुड कॉरपोरेट सिटीजन अवॉर्ड दिया गया जबकि समाज कल्याण के लिए उत्कृष्ट योगदान देने का पुरस्कार जीएमआर वारालक्ष्मी फाउंडेशन को दिया गया। गैर-कॉरपोरेट द्वारा समाज कल्याण के लिए दिए गए उत्कृष्ट योगदान का पुरस्कार प्रसन्ना भंडारी को दिया गया।
विशिष्ट उद्यमता का पुरस्कार डी.के.अग्रवाल अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एस.एम.सी. इन्वेस्टमेंट एंड एडवाइजर्स लिमिटेड को तथा उत्कृष्ट महिला कारोबारी पुरस्कार मोनिका मल्होत्रा, निदेशक हॉली फेथ इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को, कौशल विकास में उत्कृष्टता का पुरस्कार पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) को प्रदान किया गया।
एमएसएमई के लिए विशिष्ट उद्यममिता पुरस्कार जितेन्द्र सोढी, प्रबंध निदेशक, आयुष हर्बस् प्राइवेट लिमिटेड और एम.एस.एम.ई के लिए उत्कृष्ट प्राप्तकर्ता निर्यात पुरस्कार शिव दयाल सूद एंड संस को प्रदान किए गए हैं।
भारतीय व्यापार, उद्यमियों और व्यक्तियों को उत्कृष्ट उपलब्धि तथा चुनिंदा क्षेत्रों में योगदान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में कॉरपोरेट और व्यक्तिगत पहलू को प्रोत्साहित करने में दिए गए योगदान को मान्यता देने के लिए 1977 में यह पुरस्कार शुरू किए गए थे।