'सरकारी स्कूलों की असफलता की जिम्मेदार सरकार की उदासीनता'
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/07/indifference-of-government-is-responsible-for-failure-of-government-schools.html
जयपुर। राजस्थान के समस्त शिक्षक संघों ने एकजुट होकर सरकार के विरुद्ध राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा का गठन किया है एवं सरकार द्वारा स्कूलों का समय बढ़ाए जाने, शिक्षा के निजीकरण किए जाने के विरोध में तथा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन की घोषणा की है, जिसके तहत प्रदेश के करीब साढ़े 3 लाख शिक्षकों का नेतृत्व कर रहे राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा के द्वारा 29 जुलाई को शिक्षा संकुल के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा।
राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा का निजीकरण कर शिक्षा में पूँजीवाद को बढ़ावा देने तथा पीपीपी मॉडल के नाम पर राज्य के बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ क्या जा रहा है। साथ ही स्टाफिंग पैटर्न के अंतर्गत शिक्षकों के एक लाख पदों में कटौती कर कार्यरत सरकारी शिक्षकों की नौकरियों पर तलवार लटका दी गई है।
संयुक्त मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि शिक्षा विभाग में बेवजह विद्यालयों के समय में वृद्धि कर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बालकों एवं शिक्षकों के साथ राज्य की जलवायु व भौगोलिक परिस्थितियों को नजरअंदाज कर अन्याय किया गया है। इसकी वजह से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बालकों को तेज गर्मी व सर्दी के मौसम में भौतिक सुविधाओं के आभाव में लम्बे समय तक अध्ययन करने तथा अध्यापकों को शिक्षण कार्य करने में मुश्किलें उठानी पद रही है।
मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों को लेकर प्रदेशभर के शिक्षकों में भरी आक्रोश है, लेकिन मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने को लेकर मोर्चा ने कड़ा विरोध किया है।
इसी को लेकर सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों को तत्काल प्रभाव से वापस नहीं लेने के विरोध में मोर्चा को आंदोलन की राह पर उतरने के लिए मजबूर किया गया है, जिसके तहत राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा के द्वारा विभिन्न आंदोलन किए जाएंगे।
इनमे 17 जुलाई को तहसील मुख्यालयों पर मोर्चा के संयुक्त बैनर तले शिक्षक उपखण्ड अधिकारी को इन आदेशों को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे तथा 20 जुलाई को जिला स्तर पर जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिए जाएंगे। इसके बाद 29 जुलाई को प्रांत स्टार पर प्रदेश के करीब 1 लाख शिक्षक जयपुर में राधाकृष्ण शिक्षा संकुल पर रैली के रूप में पहुंचेंगे और शिक्षा विभाग के अन्यायपूर्ण आदेशों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करेंगे।
राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा का निजीकरण कर शिक्षा में पूँजीवाद को बढ़ावा देने तथा पीपीपी मॉडल के नाम पर राज्य के बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ क्या जा रहा है। साथ ही स्टाफिंग पैटर्न के अंतर्गत शिक्षकों के एक लाख पदों में कटौती कर कार्यरत सरकारी शिक्षकों की नौकरियों पर तलवार लटका दी गई है।
संयुक्त मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि शिक्षा विभाग में बेवजह विद्यालयों के समय में वृद्धि कर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बालकों एवं शिक्षकों के साथ राज्य की जलवायु व भौगोलिक परिस्थितियों को नजरअंदाज कर अन्याय किया गया है। इसकी वजह से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बालकों को तेज गर्मी व सर्दी के मौसम में भौतिक सुविधाओं के आभाव में लम्बे समय तक अध्ययन करने तथा अध्यापकों को शिक्षण कार्य करने में मुश्किलें उठानी पद रही है।
मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों को लेकर प्रदेशभर के शिक्षकों में भरी आक्रोश है, लेकिन मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने को लेकर मोर्चा ने कड़ा विरोध किया है।
इसी को लेकर सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों को तत्काल प्रभाव से वापस नहीं लेने के विरोध में मोर्चा को आंदोलन की राह पर उतरने के लिए मजबूर किया गया है, जिसके तहत राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा के द्वारा विभिन्न आंदोलन किए जाएंगे।
इनमे 17 जुलाई को तहसील मुख्यालयों पर मोर्चा के संयुक्त बैनर तले शिक्षक उपखण्ड अधिकारी को इन आदेशों को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे तथा 20 जुलाई को जिला स्तर पर जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिए जाएंगे। इसके बाद 29 जुलाई को प्रांत स्टार पर प्रदेश के करीब 1 लाख शिक्षक जयपुर में राधाकृष्ण शिक्षा संकुल पर रैली के रूप में पहुंचेंगे और शिक्षा विभाग के अन्यायपूर्ण आदेशों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करेंगे।
क्या है मांगें :
- विद्यालय समय में की गई समय की वृद्धि को वापस लिया जाए।
- स्टाफिंग पैटर्न के आदेश को रद्द किया जाए।
- शिक्षा के निजीकरण को तत्काल बंद किया जाए।
- पारदर्शी स्थानांतरण की नीति बनाई जाए।
- समानीकरण एकीकरण को अविलम्ब बंद किया जाए।
- 2012 के नियुक्त शिक्षकों का तुरंत नियमितीकरण किया जाए।
- शिक्षा अधिनियम 2009 पर पुनर्विचार किया जाए।
- प्रधिबंधित जिलों से तबादला प्रतिबंध हटाया जाए।
- पूर्व प्राथमिक कक्षाएं संचालित की जाए तथा शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए।