आयुर्वेदिक नुस्खों से बढ़ाएं यौन शक्ति
चरक संहिता के अनुसार गुणवान संतान और कामसुख की कामना से वाजीकरण हेतु प्रयुक्त आयुर्वेंदिक नुस्खे का प्रयोग चिकित्सक के निर्देंशन में किया जाना चाहिए। वाजीकरण (अश्वशक्ति) का उद्देश्य गुणवान संतान तथा कामसुख की प्राप्ति है। आयुर्वेंद में धर्मंयुक्त काम को पुरषार्थं को बढाने तथा मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। व्यवहारिक तौर पर भी यह देखा जाता है कि वाजीकरण (शरीर को अश्वशक्ति प्रदान करने वाली) औषधियां शरीर में मेधा, ओज, बल एवं तनाव को कम करती हैं।
ये चंद नुस्खें हैं, जिनका प्रयोग यौनशक्ति, यौनऊर्जा एवं पुरुषार्थ को बढाने में मददगार है :
- > असगंध, विधारा, शतावर, सफेद मूसली, तालमखाना के बीज, कौंच बीज प्रत्येक 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर दरदरा कर कपडे से छान लें तथा 350 ग्राम मिश्री मिला लें, इस नुस्खे को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ठन्डे दूध से लें, लगातार एक माह तक लेने से यौन सामर्थ्य में वृद्धि अवश्य होगी।
- > दालचीनी, अकरकरा, मुनक्का और श्वेतगुंजा को एक साथ पीसकर इन्द्रिय पर लेप करें तथा सम्भोग के समय कपडे से पोछ डालें, यह योग इन्द्रियों में रक्त के संचरण को बढाता है।
- > शुद्ध शिलाजीत 500 मिलीग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध में घोलकर सुबह शाम पीने से भी लाभ मिलता है
- > शीघ्रपतन की शिकायत हो तो धाय के फूल, मुलेठी, नागकेशर, बबूलफली इनको बराबर मात्रा में लेकर, इसमें आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर, इस योग को 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन लगातार एक माह तक करें, इससे शीघ्रपतन में लाभ मिलता है।
- > कामोत्तेजना का बढाने के लिए कौंचबीज चूर्ण, सफेद मूसली, तालमखाना, अस्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10-10 ग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध से सेवन करें निश्चित लाभ मिलेगा।