जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2014 का हुआ आगाज
जयपुर। नोबेल पुरस्कार प्राप्त लेखकों से लेकर स्थानीय लेखकों तक, पुरस्कृत लेखकों से लेकर नये उपन्यासकारों तक, बॉलीवुड की हस्तियों से लेक...
राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने समारोह के उद्घाटन भाषण में कहा कि साहित्यिक उत्सव बौद्घिकता एवं व्यक्तित्व विकास के अद्वितीय मंच है, जहां लेखकों और पाठकों के आपसी संवाद से नए विचार और सामूहिक अनुसंधान सामने आते हैं। जयपुर साहित्य उत्सव भी ऐसा ही एक मंच है, जहां भारत, दक्षिण एशिया व विश्व के जाने-माने लेखक व विचारक आम जनता व पाठकों से रू-ब-रू होते हैं और आज के चुनौतीपूर्ण विषयों पर चिन्तन-मनन कर महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकालने का प्रयास करते हैं।
साहित्य के महाकुंभ में इस बार दुनियाभर के करीब 250 से ज्यादा नामचीन साहित्यकारों के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है। समारोह में नोबल पुरस्कार प्राप्त हैरल्ड वारमस, पुलित्जर विजेता लेखिका झुंपा लाहिड़ी और टैश ऑ, एलिसन मैकलॉड, जिम क्रेस समेत अमेरिकी उपन्यासकार जॉनथन फ्रेंजेन जैसे प्रमुख लेखक और ब्रितानी इतिहासकार एंटनी बीवर, महिलावादी लेखिका ग्लोरिया स्टीनेम, बॉलीवुड कलाकार इरफान खान, ओलिंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम और गीतकार जावेद अख्तर एवं प्रसून जोशी शामिल होंगे।
इस समारोह में अंतरराष्ट्रीय संबंधों, इतिहास, पर्यावरण, मानव प्रकृति, क्षेत्रीय साहित्य, कला, फोटोग्राफी, बॉलीवुड, थियेटर और यात्र से जुड़े लगभग 250 लेखक शिरकत करेंगे और इसमें साहित्य जगत का एक बड़ा हिस्सा कवर किया जाएगा।
समारोह की सह-निदेशक नमिता गोखले ने कहा ‘जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के शुरुआती दिनों से लेकर अब तक साहित्य की दुनिया में काफी बदलाव हुए हैं। परिवर्तन के इन वर्षो में सजीव किताबों का रंगरूप बदलकर डिजिटल प्रारूपों में समा गया है। उन्होंने कहा, यह समारोह अनुभव कहने, सुनने और एक दूसरे की कहानियों को समझने की जरूरत पर आधारित है। हर साल हम जयपुर में साहित्यिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक ऊर्जाओं को जीवंत रूप में लाने का प्रयास करते हैं।’
इस पांच दिवसीय समारोह में इस बार विश्व में भाषाओं के संकट पर विशेष सत्र होगा। इसके तहत उन भाषाओं की चर्चा होगी जो संकट से जूझ रही हैं। अंडमानी भाषा से लेकर अलास्की भाषा पर विशेष सत्र होंगे। साथ ही आम चुनाव से पहले देश के राजनीतिक मूड पर भी बहस होगी। वहीं आम आदमी पार्टी से लेकर 2014 की तस्वीर पर डेमोक्रेसी डायलॉग के नाम से विशेष सत्र होंगे। इन सेशन में चर्चा के लिए आप से लेकर कई दलों के नेता भी शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में शुरू हुआ साहित्य के यह पांच दिवसीय महाकुम्भ साहित्य की दुनिया के लिए एक बड़ा समारोह बन चुका है, जिसमे दुनियाभर की कई नामचीन हस्तियां सिरकत कर चुकी है और अपने विचारों को साहित्य प्रेमियों और आमजन तक पहुँचाया और आदान-प्रदान किया है।