देवरों पर अब नहीं होगी पशु बलि
https://khabarrn1.blogspot.com/2013/10/slaughtered-of-animal-now-would-not-be-at-any-tample.html
उदयपुर। जिले के 30 देवरों में दशहरे पर पशुबलि नहीं होगी, जबकि माताजी को मीठी परसादी का भोग लगाया जाएगा। इस मामले में कोई जोर जबरदस्ती नहीं है, बल्कि खुद भोपाओं और ग्रामीणों ने इस सामाजिक परिवर्तन को अपनाया है। निर्णय की पालना के लिए भोपाओं ने स्टांप भी प्रशासन और पहल करवाने वाले संतों को सौंपा है।
इसमें लिखा गया है कि यदि संकल्प के बाद कहीं भी पशु बली की घटना सामने आती है, तो संबंधित भोपाओं के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह स्टांप सभी देवरों के भोपाओं ने दिया है। जिस पर उस क्षेत्र के सरपंच और गांव के प्रतिष्ठित पांच लोगों के हस्ताक्षर हैं।
सामग्री देंगे संत : नवरात्रा के दौरान और उसके बाद इन देवरों में मीठी परसादी के लिए सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है। जिसे लेने के लिए भोपा आते हैं। वे अपने क्षेत्र में होने वाली परसादी के अनुसार सामग्री ले जाते हैं तथा इसी से भोग भी लगाते हैं। बताया गया कि 11 अक्टूबर को उदयपुर में इन सामग्री का वितरण होगा। जिसमें सभी 30 स्थानों के भोपा और ग्रामीणजन भी आएंगे, जो सारी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देंगे।
यूं माने भोपा और ग्रामीण : देवरों के भोपाओं आदि के सामने हमने पशु बली नहीं करने का प्रस्ताव रखा तो पहले इन भोपाओं अटपटा सा लगा। बाद में चुनिंदा पांच सात भोपा आए और उन्होंने आराध्य देवी के सामने इस प्रस्ताव को रखने की बात कही। उसके बाद देवरों में माताजी से पाती प्रथा में यह पूछा गया। हर स्थान से पशु बली नहीं देने पर सहमति बन पाई।
इन देवरों से हुई शुरुआत : पाई, उंदरी, ढीमड़ी, जगन्नाथपुरा, झाड़ोल, पालावाड़ा, बेडवाड़ा, उपरी साठरा, बाघपुरा एवं बिजुरी से पशु बलि नहीं करने की शुरुआत हुई।
"पशुबलि नहीं देने का संकल्प लिया है। इससे पहले मंदिर में पशु बलि दी जाती थी। दशहरा पर मीठी परसादी का भोग लगाया जाएगा। इस बात में ग्रामीणों की भी रजामंदी मिली है।" -रत्ना महाराज, भोपा
इसमें लिखा गया है कि यदि संकल्प के बाद कहीं भी पशु बली की घटना सामने आती है, तो संबंधित भोपाओं के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह स्टांप सभी देवरों के भोपाओं ने दिया है। जिस पर उस क्षेत्र के सरपंच और गांव के प्रतिष्ठित पांच लोगों के हस्ताक्षर हैं।
सामग्री देंगे संत : नवरात्रा के दौरान और उसके बाद इन देवरों में मीठी परसादी के लिए सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है। जिसे लेने के लिए भोपा आते हैं। वे अपने क्षेत्र में होने वाली परसादी के अनुसार सामग्री ले जाते हैं तथा इसी से भोग भी लगाते हैं। बताया गया कि 11 अक्टूबर को उदयपुर में इन सामग्री का वितरण होगा। जिसमें सभी 30 स्थानों के भोपा और ग्रामीणजन भी आएंगे, जो सारी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देंगे।
यूं माने भोपा और ग्रामीण : देवरों के भोपाओं आदि के सामने हमने पशु बली नहीं करने का प्रस्ताव रखा तो पहले इन भोपाओं अटपटा सा लगा। बाद में चुनिंदा पांच सात भोपा आए और उन्होंने आराध्य देवी के सामने इस प्रस्ताव को रखने की बात कही। उसके बाद देवरों में माताजी से पाती प्रथा में यह पूछा गया। हर स्थान से पशु बली नहीं देने पर सहमति बन पाई।
इन देवरों से हुई शुरुआत : पाई, उंदरी, ढीमड़ी, जगन्नाथपुरा, झाड़ोल, पालावाड़ा, बेडवाड़ा, उपरी साठरा, बाघपुरा एवं बिजुरी से पशु बलि नहीं करने की शुरुआत हुई।
"पशुबलि नहीं देने का संकल्प लिया है। इससे पहले मंदिर में पशु बलि दी जाती थी। दशहरा पर मीठी परसादी का भोग लगाया जाएगा। इस बात में ग्रामीणों की भी रजामंदी मिली है।" -रत्ना महाराज, भोपा