सूफी संगीत की सुरमई शाम 'जहान-ए-खुसरो' 5 अक्टूबर से

जयपुर। सूफीयाना सुरों में डूबे कलाम जहान-ए-खुसरो जयपुर में एक बार फिर दस्तक देने जा रहा है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में 5 अक्टूबर से स...

जयपुर। सूफीयाना सुरों में डूबे कलाम जहान-ए-खुसरो जयपुर में एक बार फिर दस्तक देने जा रहा है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में 5 अक्टूबर से सूफी म्यूजिक फेस्टिवल शुरू हो रहा है, जिसमें सूफी संगीत के चाहने वाले दो दिन तक इस रूहानी आलम का लुत्फ उठा सकेंगे।

इस फेस्टिवल में कई नामी सूफी फनकार दुनियाभर के सूफी कल्चर से आपको रु-ब-रु करवाएंगे, इसके अलावा कई उभरते हुए कलाकार भी अपना हुनर और जुनून पेश करेंगे। इस वर्ष फेस्टिवल में अपने कलाम पेश करने वालों में देवेशी सहगल, मालिनी अवस्थी, सोनम कालरा, आस्था दीक्षित और सरहद पार पाकिस्तान से सूफी गायिका आबिदा परवीन तथा ट्यूनेशिया के लोफ्टी बूचांक शामिल हैं।

रूमी फाउंडेशन और राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने जा रहे इस फेस्टिवल को फिल्म मेकर, पेंटर मुज्जफर अली डायरेक्ट और डिजाइन करेंगे। मुज्जफर अली का कहना है कि जहान-ए-खुसरो का मकसद दिलों को जोड़ना है। यह रूहों को मिलाने का शायराना सफर है। मकसद है जिंदगी के रहस्य और दर्शन से आम लोगों की मुलाकात कराना। इसके स्टेज में धर्म, कल्चर जैसे शब्दों की जगह नहीं।

मुज्जफर का कहना है कि राजस्थान जो कि पूरे विश्व में अपनी आवभगत और पधारो म्हारे देस की परंपरा को लेकर जाना जाता है, यहां आध्यात्मिक वाइब्रेशन बसती हैं और यहां सूफी संगीत के दीवाने और सुनने वालों की काफी अच्छी तादाद है, फिर चाहे वो विश्व प्रसिद्ध अजमेर के ख्वाजा साहब की इबादत के कलाम हो या फिर मीरा की भक्ति के गीत। इनमे छिपी आध्यात्मिकता के सूफी संगीत के जानने वालों की भी राजस्थान में कोई कमी नहीं है। जयपुर के सेन्ट्रल पार्क में आयोजित होने वाला ये दो दिवसीय फेस्टिवल 5 व 6 अक्टूबर को रोज शाम 7 बजे होगा।

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