बाड़मेर लीलाला मे धरना समाप्त
बालोतरा/बायतु। क्षेत्र के लीलाला जांदूओं की ढाणी में रिफाइनरी लगाने को लेकर करीब सात वर्ष तक भले ही प्रशासनिक व राजनीतिक प्रयास चले मगर ...
8 मार्च को लीलाला के किसानों ने रिफाइनरी के लिए जमीन नहीं देने की मांग को लेकर धरना शुरू किया। लम्बी मान मनोव्वल के बाद किसानों ने एक करोड़ रूपए प्रति बीघा मुआवजे की मांग की। मुआवजे की भारी भरकम राशि की मांग के चलते राज्य सरकार ने पचपदरा में रिफाइनरी लगाने का मानस बनाया।
इस पर किसान मुआवजे की राशि एक करोड़ से 15 लाख रूपए प्रतिबीघा पर भी ले आए मगर तब तक देर हो चुकी थी। लीलाला गांव में किसानों का जमीन नहीं देने को लेकर आंदोलन चलता रहा। इधर,4 जुलाई से बायतु में ग्रामीणों ने एक बैठक कर रिफाइनरी लीलाला ही लगाने की मांग की।
हुआ था महासम्मेलन : जिला मुख्यालय पर 15 जुलाई को जिले भर के किसानों ने महासम्मेलन कर रिफाइनरी लीलाला में ही लगाने की मांग की तथा 16 जुलाई से इसके लिए जिला मुख्यालय पर धरना शुरू कर दिया। दोनों तरफ चल रहे इस विरोध के चलते 26 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रस्तावित सेड़वा दौरा भी रद्द करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने राजस्व मंत्री व सांसद को किसानों से समझाइश करने को कहा।
24 जुलाई को मंत्री का इस्तीफा : बायतु पनजी गांव में 24 जुलाई को किसानों से समझाइश करने गए सांसद हरीश चौधरी व राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी की बायतु विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी के साथ हुई बात इतनी बढ़ गई कि नाराज होकर राजस्व मंत्री ने पद से इस्तीफा दे डाला। काफी मान मनुहार के बाद हालांकि राजस्व मंत्री ने इस्तीफा वापस ले लिया मगर रिफाइनरी का पचपदरा में 22 सितम्बर को शिलान्यास होना तय हो गया। इस बीच पचपदरा में रिफाइनरी के सोनिया गांधी के शिलान्यास से ठीक एक दिन पूर्व कुछ लोगों ने लीलासर कोलू में ग्रामीणों ने अपने स्तर पर सांकेतिक रिफाइनरी का शिलान्यास कर डाला। 23 सितम्बर को लीलाला के किसानों ने 199 दिन बाद धरना उठा लिया।
ज्यूस पिलाया, टेंट हटवाया : क्षेत्र के लीलाला गांव में रिफाइनरी के लिए प्रस्तावित जमीन की अवाप्ति प्रक्रिया का विरोध कर रहे किसानों का धरना सोमवार को तहसीलदार महावीर जैन ने ज्यूस पिलाकर समाप्त करवाया।8 मार्च से शुरू हुए इस धरने को सोमवार को 199 दिन पूरे हो गए। क्रमिक अनशन को 180 दिन हो गए। धरने पर बैठे किसान रूपाराम बेरड़, मंगलाराम जांणी, मंगनाराम बेरड़, बगताराम जांदू, घमण्डाराम कडवासरा को धरना स्थल पर ही ज्यूस पिलाकर धरना खत्म करवाया तथा किसानों ने भी हाथों हाथ धरने से टेंट हटा लिया।