कृमि मुक्त होने से बच्चों का होगा पूर्ण विकास : भदेल
अजमेर। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ केबिनेट मंत्री अरूण चतुर्वेदी ...
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अजमेर। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ केबिनेट मंत्री अरूण चतुर्वेदी तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने गुलाब बाड़ी डिस्पेंशरी में बच्चों को कृमि नाशक दवा एलबेन्डाजाॅल की खुराक खिलायी।
भदेल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रत्येक बच्चे को कृमि नाशक दवा की निर्धारित खुराक अवश्य लेनी चाहिए। कृमि मुक्ति दिवस के दिन वंचित रहने वाले बच्चों को स्थानीय आंगबाड़ी केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र तथा विद्यालय से दवा लेनी चाहिए।
पेट में कीड़े होने से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरूद्ध हो जाता है। शरीर भोजन का पूरा उपयोग नहीं कर पाता है। इससे बच्चा कमजोर होने लगता है। उसमें खून की कमी होने लगती है। बच्चे के स्वभाव में भी परिवर्तन हो जाता है। बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। बच्चे के सीखने की क्षमता पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। बच्चे के सुस्त रहने से खेलने में भी उसका मन नहीं लगता है।
उन्होंने कहा कि पेट के कीड़ों का जीवन चक्र तोड़ना आवश्यक है। ये कीड़े खुले में शौच के कारण तेजी से दूसरे व्यक्तियों को संक्रमित करते है। इनसे बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शौचालय का उपयोग करना चाहिए।
इस अवसर पर नगर निगम के उप महापौर संपत सांखला, पार्षद संतोष मौर्या, बीना टांक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. के.के.सोनी, आरसीएचओ डाॅ. रामलाल चौधरी, महिला अधिकारिता विभाग के कार्यक्रम अधिकारी नितेश यादव एवं कंवल प्रकाश किशनानी तथा सीमा गोस्वामी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, बच्चे और किशोरी बालिकाएं मौजूद थे।
भदेल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रत्येक बच्चे को कृमि नाशक दवा की निर्धारित खुराक अवश्य लेनी चाहिए। कृमि मुक्ति दिवस के दिन वंचित रहने वाले बच्चों को स्थानीय आंगबाड़ी केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र तथा विद्यालय से दवा लेनी चाहिए।
पेट में कीड़े होने से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरूद्ध हो जाता है। शरीर भोजन का पूरा उपयोग नहीं कर पाता है। इससे बच्चा कमजोर होने लगता है। उसमें खून की कमी होने लगती है। बच्चे के स्वभाव में भी परिवर्तन हो जाता है। बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। बच्चे के सीखने की क्षमता पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। बच्चे के सुस्त रहने से खेलने में भी उसका मन नहीं लगता है।
उन्होंने कहा कि पेट के कीड़ों का जीवन चक्र तोड़ना आवश्यक है। ये कीड़े खुले में शौच के कारण तेजी से दूसरे व्यक्तियों को संक्रमित करते है। इनसे बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शौचालय का उपयोग करना चाहिए।
इस अवसर पर नगर निगम के उप महापौर संपत सांखला, पार्षद संतोष मौर्या, बीना टांक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. के.के.सोनी, आरसीएचओ डाॅ. रामलाल चौधरी, महिला अधिकारिता विभाग के कार्यक्रम अधिकारी नितेश यादव एवं कंवल प्रकाश किशनानी तथा सीमा गोस्वामी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, बच्चे और किशोरी बालिकाएं मौजूद थे।