शुरू हुआ देश की पहली सोलर ट्रेन का संचालन
इस ट्रेन में 8 कोच है और यह मेड़ता रोड़ से जयपुर तक ट्राइयल किया गया। ट्रेन को मेड़ता रोड़ से जोधपुर भेजा गया, फिर जोधपुर—बाड़मेर—जोधपुर और जोधपुर—हिसार रुट पर भेजा गया। यदि किसी कारण से डीएमयू का इंजन खराब हो जाता है, तो यात्रियों को पंखे लाईट की कमी महसूस नहीं होगी। देश की पहली सोलर ट्रेन की छत पर सोलर पैनल लगाए गए हैं और ट्रेन के लाइट पंखे आदि इन सोलर पैनल से तैयार होने वाली बिजली से ही चलेंगे।
बहरहाल ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारतीय रेलवे को अब जल्द ही डीजल की भारी-भरकम खपत से छुटकारा मिलने वाला है और डीजल की जगह पर अब देश में चलने वाले भारतीय रेलवे की ट्रेनें सौर ऊर्जा दौड़ती हुई दिखाई देगी।
गौरतलब है कि रेलवे बोर्ड ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत जोधपुर वर्कशॉप को 1.95 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट दिया था। हालांकि इसके ट्रायल को लेकर अभी मंजूरी नहीं मिल पाई है, जिसके तहत सोलर पैनल वाले 50 कोच बनने हैं। सोलर पैनल लगने से ट्रेन का लाखों रुपए का डीजल बचेगा। सोलर पैनल वाला एक कोच 300 वाॅट बिजली पैदा करेगा।