प्रशासन के हाथ में कुछ नही हैं, ऊपर से ऑर्डर है : राठौड़
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/03/nothing-in-hands-of-administration-says-dilip-athore.html
जयपुर। भिवाड़ी के नजदीक टपूकड़ा इंडस्ट्रीज एरिया में स्थित होंडा मोटरसाइकिल-स्कूटर कंपनी के मजदूर पिछले कई दिनों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं, और कंपनी मैनेजमेंट तथा मजदूर आमने-सामने हैं। दरअसल, मजदूरों की मांगों में मुख्य मांग उनकी यूनीयन बनाया जाना है।
कंपनी मैनेजमेंट भी यूनियन बनाए जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन कंपनी मैनेजमेंट का कहना है कि यूनियन में सिर्फ टपूकड़ा स्थित फैक्ट्री के मजदूर ही शामिल होने चाहिए। वहीं मजदूरों का कहना है कि वे अपनी यूनियन में अन्य संगठनों के कुछ लोगों को भी शामिल करना चाहते हैं और इसी को लेकर टकराव की स्थिति बानी हुई है।
हमारे संवाददाता नई मजदूरों के मोजीज लोगों में शामिल दिलीप राठौड़ नाम के एक कर्मचारी से बातचीत की और स्थिति को करीब से जानने का प्रयास किया। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश ....
- अभी तक आप लोगों ने जो धरना-प्रदर्शन किए हैं, उनका क्या निष्कर्ष निकला है और अब आगे आपकी क्या रणनीति है ?
अभी तक हमने कोई धरना प्रदर्शन नही किया क्योकि आज भी हम प्रशासन से अनुमति की लेने की कोशिश कर रहे है। आगे हम धरना प्रदर्शन करके जो मजदूरों का रोष हैं उसे हौंडा मेनेजमेंट और सरकार के सामने दिखाना चाहते हैं।
- कंपनी प्रबंधन से किसी भी तरह की कोई वार्ता हुई है आपकी ?
हौंडा मैनजमेंट के अडियल रुख की वजह से अभी तक किसी प्रकार की वार्ता नही हुई हैं।14 दिसम्बर 2015 को हौंडा यूनियन की ओर से मांग पत्र दिए जाने के बाद श्रम विभाग अलवर ने 4 बार मीटिंग रखी गयी, लेकिन मेनेजमेंट मीटिंग में नही गया।
- क्या कंपनी को अपना प्रोडक्शन कार्य चालू करने के लिए कोई जल्दी नहीं है ?
कंपनी को प्रोडक्शन की जल्दी हैं इसलिए कंपनी मजदूरों के घर तक जा रहे हैं और डराया जा रहा हैं। यूनियन को तोड़ने की कोशिश की जा रही हैं। मजदूरों की छंटनी करने की कोशिश की जा रही हैं। अवैध रूप से की गयी नई भर्ती जो कि करीब 1 हजार मजदूर हैं उनको 24 घंटे कंपनी में रखे हुए हैं उनको बाहर नही आने दिया जा रहा हैं।
- क्या आपको प्रशासन की ओर से कोई मदद मिल रही है ?
मोदी सरकार ने 'मेक इन इंडिया' अभियान चला रखा हैं, उसे देखते हुए प्रशासन पर दबाव है। जब हमने प्रशासन के बड़े अधिकारियों से बात की तो उनका जवाब था कि हमारे हाथ में कुछ नही हैं, हमे तो ऊपर से ऑर्डर है कि जैसा मैनजमेंट चाहता हैं वैसे ही होना चाहिए। किसी भी प्रकार का इतने बड़े प्लांट में कोई डिस्प्यूट नही होना चाहिए।
- क्या आपको उम्मीद है कि प्रशासन से आपको किसी भी प्रकार से मदद मिलेगी?
हमने प्रशासन को 16 फरवरी के बाद हर जगह ज्ञापन दिए हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा अभी तक कुछ नही मिला हैं। इसलिए हम प्रशासन से ज्यादा आशा नही कर रहे हैं।
- आप जो यूनियन बनाना चाहते हैं, उसमे दूसरी यूनियन के लोगों को क्यों जोड़ना चाहते हैं ?
हमारी यूनियन सिर्फ हौंडा मजदूरों की ही यूनियन हैं। लेकिन हम एटक ट्रेड यूनियन से जुड़े हुए हैं, इसलिए दूसरी यूनियन भी हमारे साथ खड़ी हैं। अगर आज हम अकेले होते तो हमे दबा दिया जाता और जो मजदूरों पर विक्टिमाइजेशन जो हो रहा हैं वो जारी रहता। लेकिन हम दूसरी यूनियन का साथ लेकर सघर्ष करेंगे हमारे ऊपर हो रहे अत्याचारो को सबके सामने लाएंगे कि एक MNC कंपनी किस प्रकार मजदूरों का शोषण कर रही हैं।
- क्या आपको नहीं लगता कि दूसरी यूनियन आपको आगे चलकर मिसगाइड भी कर सकती है ?
दूसरी यूनियन हमारी हर प्रकार की सहायता करेगी, जो भी हमे जरूरत होगी, हम उनसे बोलेंगे और वो हमारी सहायता कर रहे हैं और आगे भी करेंगे। दूसरी यूनियन हमे सिर्फ सलाह देती है, हमारे ऊपर डिसीजन थोपा नही जाता है। किसी भी सलाह पर डिसीजन हमारी यूनियन बॉडी ही लेती हैं।
कंपनी मैनेजमेंट भी यूनियन बनाए जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन कंपनी मैनेजमेंट का कहना है कि यूनियन में सिर्फ टपूकड़ा स्थित फैक्ट्री के मजदूर ही शामिल होने चाहिए। वहीं मजदूरों का कहना है कि वे अपनी यूनियन में अन्य संगठनों के कुछ लोगों को भी शामिल करना चाहते हैं और इसी को लेकर टकराव की स्थिति बानी हुई है।
हमारे संवाददाता नई मजदूरों के मोजीज लोगों में शामिल दिलीप राठौड़ नाम के एक कर्मचारी से बातचीत की और स्थिति को करीब से जानने का प्रयास किया। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश ....
- अभी तक आप लोगों ने जो धरना-प्रदर्शन किए हैं, उनका क्या निष्कर्ष निकला है और अब आगे आपकी क्या रणनीति है ?
अभी तक हमने कोई धरना प्रदर्शन नही किया क्योकि आज भी हम प्रशासन से अनुमति की लेने की कोशिश कर रहे है। आगे हम धरना प्रदर्शन करके जो मजदूरों का रोष हैं उसे हौंडा मेनेजमेंट और सरकार के सामने दिखाना चाहते हैं।
हौंडा मैनजमेंट के अडियल रुख की वजह से अभी तक किसी प्रकार की वार्ता नही हुई हैं।14 दिसम्बर 2015 को हौंडा यूनियन की ओर से मांग पत्र दिए जाने के बाद श्रम विभाग अलवर ने 4 बार मीटिंग रखी गयी, लेकिन मेनेजमेंट मीटिंग में नही गया।
- क्या कंपनी को अपना प्रोडक्शन कार्य चालू करने के लिए कोई जल्दी नहीं है ?
कंपनी को प्रोडक्शन की जल्दी हैं इसलिए कंपनी मजदूरों के घर तक जा रहे हैं और डराया जा रहा हैं। यूनियन को तोड़ने की कोशिश की जा रही हैं। मजदूरों की छंटनी करने की कोशिश की जा रही हैं। अवैध रूप से की गयी नई भर्ती जो कि करीब 1 हजार मजदूर हैं उनको 24 घंटे कंपनी में रखे हुए हैं उनको बाहर नही आने दिया जा रहा हैं।
- क्या आपको प्रशासन की ओर से कोई मदद मिल रही है ?
मोदी सरकार ने 'मेक इन इंडिया' अभियान चला रखा हैं, उसे देखते हुए प्रशासन पर दबाव है। जब हमने प्रशासन के बड़े अधिकारियों से बात की तो उनका जवाब था कि हमारे हाथ में कुछ नही हैं, हमे तो ऊपर से ऑर्डर है कि जैसा मैनजमेंट चाहता हैं वैसे ही होना चाहिए। किसी भी प्रकार का इतने बड़े प्लांट में कोई डिस्प्यूट नही होना चाहिए।
- क्या आपको उम्मीद है कि प्रशासन से आपको किसी भी प्रकार से मदद मिलेगी?
हमने प्रशासन को 16 फरवरी के बाद हर जगह ज्ञापन दिए हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा अभी तक कुछ नही मिला हैं। इसलिए हम प्रशासन से ज्यादा आशा नही कर रहे हैं।
- आप जो यूनियन बनाना चाहते हैं, उसमे दूसरी यूनियन के लोगों को क्यों जोड़ना चाहते हैं ?
हमारी यूनियन सिर्फ हौंडा मजदूरों की ही यूनियन हैं। लेकिन हम एटक ट्रेड यूनियन से जुड़े हुए हैं, इसलिए दूसरी यूनियन भी हमारे साथ खड़ी हैं। अगर आज हम अकेले होते तो हमे दबा दिया जाता और जो मजदूरों पर विक्टिमाइजेशन जो हो रहा हैं वो जारी रहता। लेकिन हम दूसरी यूनियन का साथ लेकर सघर्ष करेंगे हमारे ऊपर हो रहे अत्याचारो को सबके सामने लाएंगे कि एक MNC कंपनी किस प्रकार मजदूरों का शोषण कर रही हैं।
- क्या आपको नहीं लगता कि दूसरी यूनियन आपको आगे चलकर मिसगाइड भी कर सकती है ?
दूसरी यूनियन हमारी हर प्रकार की सहायता करेगी, जो भी हमे जरूरत होगी, हम उनसे बोलेंगे और वो हमारी सहायता कर रहे हैं और आगे भी करेंगे। दूसरी यूनियन हमे सिर्फ सलाह देती है, हमारे ऊपर डिसीजन थोपा नही जाता है। किसी भी सलाह पर डिसीजन हमारी यूनियन बॉडी ही लेती हैं।