जेएनयू में लगा नया पोस्टर, होली को बताया महिला विरोधी त्यौहार
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/03/new-poster-about-holi-imposed-in-jnu-campus.html
नई दिल्ली। संसद हमले के दोषी अफजल गुरू के बारे में हाल ही में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार द्वारा एक कार्यक्रम में दिए गए बयान को लेकर विवादों में आया जेएनयू मामला अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हो पाया कि अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगे कुछ नए पोस्टरों में दावा किया गया है कि ‘होली एक महिला विरोधी त्योहार है, क्योंकि ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो इस त्योहार के नाम पर हमेशा दलित महिलाओं का यौन शोषण होता रहा है।’
संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी की सजा दिए जाने का एक साल पूरा होने के अवसर पर पिछले महीने आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर विवादों में रह चुका यह विश्वविद्यालय अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर छिड़ी बहस का केंद्र बन गया है।
इन पोस्टर्स का शीर्षक ‘होली में क्या पवित्रता’ है। ये पोस्टर कैंपस में स्थित स्कूलों, खाने-पीने की जगहों और मार्केट में लगाए गए हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर भी ये पोस्टर शेयर किए जा रहे हैं।
पोस्टर में लिखा है ब्राह्मणवादी पितृसतात्मक भारत एक असुर बहुजन महिला होलिका को जलाने का जश्न क्यों मनाता है? होली में क्या पवित्रता है? इतिहास बताता है कि जश्न के नाम पर दलित महिलाओं का यौन शोषण किया जाता था। होली का त्योहार मनाना महिला विरोधी है।’
पोस्टर्स पर ‘फ्लेम्स ऑफ रेसिस्टेंस’ ग्रुप का नाम है। एक जेएनयू छात्र संघ कार्यकर्ता ने कहा कि उन्होंने ऐसे किसी ग्रुप का नाम नहीं सुना। यह कोई नया ग्रुप लगता है। हाल ही में छात्रों के एक दल ने मनस्मृति के अंश जलाए थे। उनका आरोप था कि मनुस्मृति में महिलाओं के संबंध में अपमानजनक टिप्पिणयां की गई है।
संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी की सजा दिए जाने का एक साल पूरा होने के अवसर पर पिछले महीने आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर विवादों में रह चुका यह विश्वविद्यालय अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर छिड़ी बहस का केंद्र बन गया है।
इन पोस्टर्स का शीर्षक ‘होली में क्या पवित्रता’ है। ये पोस्टर कैंपस में स्थित स्कूलों, खाने-पीने की जगहों और मार्केट में लगाए गए हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर भी ये पोस्टर शेयर किए जा रहे हैं।
पोस्टर में लिखा है ब्राह्मणवादी पितृसतात्मक भारत एक असुर बहुजन महिला होलिका को जलाने का जश्न क्यों मनाता है? होली में क्या पवित्रता है? इतिहास बताता है कि जश्न के नाम पर दलित महिलाओं का यौन शोषण किया जाता था। होली का त्योहार मनाना महिला विरोधी है।’
पोस्टर्स पर ‘फ्लेम्स ऑफ रेसिस्टेंस’ ग्रुप का नाम है। एक जेएनयू छात्र संघ कार्यकर्ता ने कहा कि उन्होंने ऐसे किसी ग्रुप का नाम नहीं सुना। यह कोई नया ग्रुप लगता है। हाल ही में छात्रों के एक दल ने मनस्मृति के अंश जलाए थे। उनका आरोप था कि मनुस्मृति में महिलाओं के संबंध में अपमानजनक टिप्पिणयां की गई है।