ताजमहल के पास से फिलहाल नहीं हटेगा 'मोक्षधाम'
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नई दिल्ली। ताजमहल के पास स्थित श्मशान घाट फिलहाल नहीं हटेगा। इसकी बजाय सुप्रीम कोर्ट ने विद्युत शवदाह गृह में आधारभूत सुविधाओं को मजबूत करने के लिए कहा है। साथ ही अदालत ने एक जनवरी से विद्युत शवदाह गृह को मुफ्त में सेवा देने के निर्देश दिए हैं। पीठ के अनुसार संभव है कि इस प्रयास से लोग अंतिम संस्कार की पुरानी परंपरा अपनाने की बजाए विद्युत शवदाह गृह की ओर रुख करें।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने श्मशान घाट को शिफ्ट करने की जगह उत्तर प्रदेश सरकार को इससे होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए विस्तृत प्लान तैयार करने को कहा है। पीठ ने तकनीक का इस्तेमाल कर इसे आधुनिक बनाने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह ने कहा कि इस श्मशान घाट में 1885 से दाह संस्कार हो रहा है। इसे शिफ्ट करने का मतलब है हिंदु भावना को ठेस पहुंचाना क्योंकि माना जाएगा कि एक इस्लामिक स्मारक को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इससे राजनीतिक विवाद होने की आशंका है। वैसे भी राज्य में 2017 में विधानसभा चुनाव होना है।
पीठ को सौंपे अपने नोट में राज्य सरकार ने कहा कि है कि ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं है, जिससे यह पता चलता हो कि श्मशान घाट से निकलने वाले धुएं की वजह से ताजमहल का रंग बदल रहा है।
उल्लेखनीय है कि आगरा के वातावरण को बचाने के लिए पहले ही दर्जनों फैक्ट्री बंद की जा चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। पीठ ने अथॉरिटी से कहा कि विद्युत शवदाह गृह के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। वहां आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। पीठ ने राज्य सरकार को छह हफ्ते के भीतर यह बताने को कहा कि इसको बढ़ावा देने के लिए क्या योजना तैयार की गई है।
गौरतलब है कि मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के एक जज कूरियन जोसेफ ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को पत्र लिखकर श्मशान घाट के कारण ताजमहल पर संभावित खतरे के प्रति आगाह किया था। सितंबर में परिवार के साथ आगरा गए जस्टिस कूरियन ने पाया था कि श्मशान से निकलने वाले धुएं से ताजमहल को नुकसान पहुंचने का खतरा है।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने श्मशान घाट को शिफ्ट करने की जगह उत्तर प्रदेश सरकार को इससे होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए विस्तृत प्लान तैयार करने को कहा है। पीठ ने तकनीक का इस्तेमाल कर इसे आधुनिक बनाने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह ने कहा कि इस श्मशान घाट में 1885 से दाह संस्कार हो रहा है। इसे शिफ्ट करने का मतलब है हिंदु भावना को ठेस पहुंचाना क्योंकि माना जाएगा कि एक इस्लामिक स्मारक को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इससे राजनीतिक विवाद होने की आशंका है। वैसे भी राज्य में 2017 में विधानसभा चुनाव होना है।
पीठ को सौंपे अपने नोट में राज्य सरकार ने कहा कि है कि ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं है, जिससे यह पता चलता हो कि श्मशान घाट से निकलने वाले धुएं की वजह से ताजमहल का रंग बदल रहा है।
उल्लेखनीय है कि आगरा के वातावरण को बचाने के लिए पहले ही दर्जनों फैक्ट्री बंद की जा चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। पीठ ने अथॉरिटी से कहा कि विद्युत शवदाह गृह के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। वहां आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। पीठ ने राज्य सरकार को छह हफ्ते के भीतर यह बताने को कहा कि इसको बढ़ावा देने के लिए क्या योजना तैयार की गई है।
गौरतलब है कि मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के एक जज कूरियन जोसेफ ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को पत्र लिखकर श्मशान घाट के कारण ताजमहल पर संभावित खतरे के प्रति आगाह किया था। सितंबर में परिवार के साथ आगरा गए जस्टिस कूरियन ने पाया था कि श्मशान से निकलने वाले धुएं से ताजमहल को नुकसान पहुंचने का खतरा है।