राजस्थान में 'बाल विवाह' को लेकर रोंगटे खड़े कर देने वाली हकीकत
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मैरिटल स्टे्टस को लेकर सेंसस रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में करीब 366 बच्चें तलाकशुदा हैं, वहीं 3 हजार से भी ज्यादा बच्चियां विधवा के रूप में रह रही हैं। 14 से 15 साल की उम्र सीमा के बच्चे यहां तलाकशुदा पाए गए हैं। 3 हजार 506 लड़कियां विधवा हैं और 2 हजार 855 सेपरेटेड यानि मतभेद से अलग हो गए हैं।
गौरतलब है कि दंपतियों के बीच अलगाव की समस्या व समाधान को लेकर एक सर्वे किया गया था, जिसमे सामने आया कि 10 साल से लेकर 14 साल की उम्र सीमा में 2.5 लाख विवाहित लोग हैं व 15-19 साल के बीच इनकी संख्या 13.62 लाख है। मिश्रित उम्र सीमा के विवाहित लोगों की कुल संख्या 3.29 करोड़ है, जिसमें से 4.95 प्रतिशत लोग नाबालिग हैं।
राजस्थान यूनिवर्सिटी के सोशियॉलजी विभाग के पूर्व प्रमुख राजीव गुप्ता ने तलाक व अलगाव के कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे ज्यादातर मामलों के पीछे दहेज, बेटे-बेटी में फर्क, अवैध संबंध जैसे कारण जिम्मेदार पाए गए हैं।
उन्होंने नाबालिग शादी-शुदा बच्चों के साथ अपने पिछले अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि अलगाव व तलाक के बाद उनकी जिंदगी बद से बदतर हो जाती है और उन्हें जीवनभर नरक जैसी जिंदगी अकेले जीनी पड़ती है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में आखातीज (अक्षय तृतीया), देवऊठनी एकादशी जैसे कई अबूझ सावों के मौके पर भारी मात्रा में बाल विवाह होते हैं। हालांकि सरकार ने ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए हैं, लेकिन परिणाम इन आंकड़ों के आधार पर इन्हें रोक पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
बहरहाल मैरिटल स्टे्टस पर आई इस सेंसस रिपोर्ट ने इस बात की कलई खोल दी है कि सरकार द्वारा रोक लगाने के बावजूद भी देश के कई राज्यों में आज भी बाल विवाह जैसी परमपरांए एवं कुरीतियां अपने पांव पसारे हुए हैं।
Keywords : Jaipur, Rajasthan, Child Marriage, Marriage, Marital Status, Rajasthan University, Rajiv Gupta