ई-कॉमर्स एवं रिटेल पर कैट ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वित्त एवं उद्योग मंत्रियों को ज्ञापन भेजा
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/07/ciat-sent-memorandum.html
नई दिल्ली। देश में ई-कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार के मुद्दे पर कल नई दिल्ली में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्यों के मंत्रियों की बीच हुई बैठक के बाद आज कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वित्त एवं उद्योग मंत्रियों को एक ज्ञापन भेजकर इस मुद्दे पर व्यापारियों की चिंताओं से अवगत कराया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्यों को आगामी 15 दिनों के भीतर इस विषय पर अपनी राय और सुझाव केंद्र सरकार को भेजने हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने बताया कि इस मुद्दे पर जिसका सीधा सम्बन्ध करोड़ों लोगों की रोजी रोटी से है। हमने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वित्त एवं उद्योग मंत्रियों को एक विस्तृत ज्ञापन भेजा है और मुलाकात का समय माँगा है और जल्द ही कैट के विभिन्न प्रतिनिधिमंडल इन नेताओं से मिलकर अपनी बात रखेंगे।
कैट ई-कॉमर्स सहित रिटेल व्यापार के सभी क्षेत्रों में किसी भी तरह के विदेशी निवेश का विरोध कर रहा है। दूसरी ओर कैट ने सरकार से मांग की है कि ई-कॉमर्स व्यापार के लिए एक स्थापित नियम, कानून एवं दिशा-निर्देश बनने चाहिए। रिटेल व्यापार के एक वर्ग को बिना किसी कानून के अंतर्गत आये बिना व्यापार करने की छूट कैसे दी जा सकती है।
फ़िलहाल तो ई-कॉमर्स व्यापार में ऐसा ही हो रहा है। स्थापित नियम एवं कानून के अभाव में ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी मनमर्जी से व्यापार कर रही है ओर रिटेल व्यापार पर आधिपत्य जमाने की फ़िराक में है, जिसका खामियाजा पूरे तौर पर व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है।
खण्डेलवाल ने कहा कि, यह बड़ी पूँजी बनाम आजीविका कमाने का जरिया का मुकाबला है ओर ई-कॉमर्स कंपनियां नुकसान में माल बेच कर सुनहरे भविष्य के सपने बन रही है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए कतई भी ठीक नहीं है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने बताया कि इस मुद्दे पर जिसका सीधा सम्बन्ध करोड़ों लोगों की रोजी रोटी से है। हमने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वित्त एवं उद्योग मंत्रियों को एक विस्तृत ज्ञापन भेजा है और मुलाकात का समय माँगा है और जल्द ही कैट के विभिन्न प्रतिनिधिमंडल इन नेताओं से मिलकर अपनी बात रखेंगे।
कैट ई-कॉमर्स सहित रिटेल व्यापार के सभी क्षेत्रों में किसी भी तरह के विदेशी निवेश का विरोध कर रहा है। दूसरी ओर कैट ने सरकार से मांग की है कि ई-कॉमर्स व्यापार के लिए एक स्थापित नियम, कानून एवं दिशा-निर्देश बनने चाहिए। रिटेल व्यापार के एक वर्ग को बिना किसी कानून के अंतर्गत आये बिना व्यापार करने की छूट कैसे दी जा सकती है।
फ़िलहाल तो ई-कॉमर्स व्यापार में ऐसा ही हो रहा है। स्थापित नियम एवं कानून के अभाव में ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी मनमर्जी से व्यापार कर रही है ओर रिटेल व्यापार पर आधिपत्य जमाने की फ़िराक में है, जिसका खामियाजा पूरे तौर पर व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है।
खण्डेलवाल ने कहा कि, यह बड़ी पूँजी बनाम आजीविका कमाने का जरिया का मुकाबला है ओर ई-कॉमर्स कंपनियां नुकसान में माल बेच कर सुनहरे भविष्य के सपने बन रही है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए कतई भी ठीक नहीं है।